Gorakhpur News: नगर निगम की बैठक में जमकर हंगामा, पार्षदों का आरोप- 1500 देते ही दलाल बना देते हैं जन्म प्रमाण पत्र

Gorakhpur News: पार्षद ने कहा कि निगम के कर्मचारी, आवेदकों को तहसील से रिपोर्ट नहीं आने की बात बताते हैं। तहसील जाने पर वहां से कोई जानकारी ही नहीं मिलती।

Purnima Srivastava
Published on: 7 Oct 2024 4:41 PM GMT
Gorakhpur News: नगर निगम की बैठक में जमकर हंगामा, पार्षदों का आरोप- 1500 देते ही दलाल बना देते हैं जन्म प्रमाण पत्र
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Gorakhpur News: नगर निगम की बैठक खूब हंगामेदार रही। 20 से अधिक पार्षदों ने जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र जारी होने के मामले में निगम प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए। इसमें सत्ता पक्ष के साथ ही विपक्ष के भी पार्षद शामिल रहे। दिग्विजयनगर के पार्षद ऋषि मोहन वर्मा ने जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र का मुद्दा उठाते हुए कहा कि प्रमाण पत्र जारी होने में दो से तीन महीने लग जा रहे हैं। यह समस्या एक वर्ष से अधिक समय से बनी हुई है।

पार्षद ने कहा कि निगम के कर्मचारी, आवेदकों को तहसील से रिपोर्ट नहीं आने की बात बताते हैं। तहसील जाने पर वहां से कोई जानकारी ही नहीं मिलती। चूंकि आवेदन नगर निगम में जमा होता है और प्रमाण पत्र यहीं से जारी होते हैं, इसलिए जिम्मेदारी भी नगर निगम की बनती है। इसपर अपर नगर आयुक्त शिव पूजन यादव ने कहा कि नगर निगम से देरी नहीं होती है। तहसील से हाेती है। जवाब में ऋषि मोहन वर्मा ने एक केस का हवाला देते हुए बताया कि जो प्रमाण पत्र नगर निगम से जारी होते हैं, उनमें भी देरी हो रही है। बेतियाहाता के पार्षद विश्वजीत त्रिपाठी ने आरोप लगाया कि सुविधा शुल्क लेकर निगम के ही कर्मचारी दो से तीन दिन में प्रमाण पत्र जारी करा देते हैं। बोले कि 1500 रुपये देकर वह खुद अपने वार्ड के लोगों का सात से दस दिन में प्रमाण पत्र बनवाते हैं।

जन्म-मृत्यु के 1145 आवेदन लंबित

नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने कहा कि वर्तमान में जन्म-मृत्यु के 1145 आवेदन एक महीने से लंबित हैं। 733 का निस्तारण हो गया है। 231 नगर निगम के पास, जबकि 1480 तहसील कार्यालय के पास लंबित हैं। नगर आयुक्त ने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र समय से जारी नहीं हो पा रहे। इस संबंध में पहले भी प्रशासनिक अधिकारियों से बात हो चुकी है। वह और महापौर डा. मंगलेश श्रीवास्तव एक बार फिर मंडलायुक्त और जिलाधिकारी से बात करेंगे। रही बात नगर निगम के कर्मचारियों के सुविधा शुल्क लेने की तो संबंधित पार्षद सदन में ही उनका नाम बताएं, यहीं पर उनके निलंबन का आदेश जारी कर दिया जाएगा। नगर आयुक्त के इस दावे पर पार्षदों ने यह कहते हुए दूसरे मुद्दों पर चर्चा शुरू कर दी कि यह उनका काम नहीं। ऐसा भी नहीं है कि सदन में इतनी बड़ी संख्या में पार्षद झूठ बोल रहे हैं।


धरने पर बैठ गए पार्षद

वार्ड 79 सिविल लाइन प्रथम के पार्षद अजय राय ने जोनल कार्यालय के निर्धारण में हुई गड़बड़ी का मुद्दा उठाते हुए कहा कि कुछ जोन में शामिल वार्ड की दूरी बहुत अधिक है। लोगों को परेशानी होती है। पार्षद बिजेंद्र अग्रहरि ने बैठक के दौरान ही सदन हाल में धरने पर बैठ गए। उन्होंने पहले आरोप लगाया कि अनुपालन आख्या में हर पार्षद के सवाल के जवाब में एक ही जवाब लिखा जाता है- 'नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी'। नगर आयुक्त ने जब उनके सवाल पर जवाब देने लगे तो उनका कहना था कि जबरन आवाज दबाई जा रही है। यह कहकर वह फर्श पर ही धरने पर बैठ गए और करीब 15 मिनट तक बैठे रहे। इसके बाद नगर आयुक्त के आश्वासन पर वह जमीन से उठकर अपनी कुर्सी पर बैठे।

Sidheshwar Nath Pandey

Sidheshwar Nath Pandey

Content Writer

मेरा नाम सिद्धेश्वर नाथ पांडे है। मैंने इलाहाबाद विश्विद्यालय से मीडिया स्टडीज से स्नातक की पढ़ाई की है। फ्रीलांस राइटिंग में करीब एक साल के अनुभव के साथ अभी मैं NewsTrack में हिंदी कंटेंट राइटर के रूप में काम करता हूं। पत्रकारिता के अलावा किताबें पढ़ना और घूमना मेरी हॉबी हैं।

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