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Gorakhpur News: हाकी के द्रोणाचार्य ‘इमरान चाचा’ की कहानियां, 50 से अधिक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को निखारा

Gorakhpur News: राजेश बेरी कहते हैं कि इमरान चाचा ने अपने देश और राष्ट्रीय खेल हॉकी के लिए जीवन समर्पित कर दिया। उनके संघर्ष की कहानियों ने इस उपन्यास के लिए प्रेरित किया। खुद पर प्रकाशित उपन्यास को लेकर मोहम्मद इमरान काफी खुश हैं।

Purnima Srivastava
Published on: 8 Dec 2024 8:54 AM IST
Gorakhpur News
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हाकी के द्रोणाचार्य ‘इमरान चाचा’ की कहानियां, 50 से अधिक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को निखारा (social media)

Gorakhpur News: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में हाकी के द्रोणाचार्य के नाम से पहचान रखने वाले इमरान चाचा की अनकही कहानियों को अब किताब के जरिये आने वाली पीढ़ियां जान सकेंगी। साहित्यकार राजेश बेरी ने इमरान पर किताब लिखी है। मुम्बई फिल्म इंडस्ट्री में सरबजीत फेम साहित्यकार राजेश बेरी ने उनके जीवन पर ‘इमरान चाचा’ नामक उपन्यास लिखा है। यह उपन्यास मॉय बुक्स पब्लिकेशन से प्रकाशित और अमेजन पर बिक्री के लिए उपलब्ध है।

उपन्यास लिखने वाले राजेश बेरी कहते हैं कि इमरान चाचा ने अपने देश और राष्ट्रीय खेल हॉकी के लिए जीवन समर्पित कर दिया। उनके संघर्ष की कहानियों ने इस उपन्यास के लिए प्रेरित किया। खुद पर प्रकाशित उपन्यास को लेकर मोहम्मद इमरान काफी खुश हैं। वह कहते हैं कि राजेश बेरी उनकी कहानी को शब्दों में पिरोकर दुनिया के सामने लाए हैं। उम्मीद है कि यह किताब संसाधनों के अभाव से जूझ रहे और भी लोगों को देश के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित करेगी। 76 वर्षीय मोहम्मद इमरान बताते हैं कि एक बार उन्होंने हॉकी के जादूगर ध्यानचंद से पूछा था कि दुनिया का सबसे अच्छा खिलाड़ी कैसे बना जा सकता है। ध्यानचंद ने कहा कि अनंत प्रयास से। फिर भी लक्ष्य न मिले तो आसपास के खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देकर। बस इसी मंत्र को जीवन का लक्ष्य बना लिया। इसके बाद फर्टिलाइजर के ग्राउंड पर अत्यंत गरीब परिवार की लड़कियों और लड़कों को हॉकी का प्रशिक्षण देना शुरू किया।

इन खिलाड़ियों को निखारा

रियो ओलंपिक (2016) में देश का प्रतिनिधित्व करने वाली भारतीय महिला हॉकी टीम की उपकप्तान निधि खुल्लर समेत देश को आठ अंतरराष्ट्रीय एवं 50 से अधिक राष्ट्रीय खिलाड़ी देने वाले ‘हॉकी के द्रोणाचार्य’ इमरान चाचा के संघर्ष को नई पहचान मिली है। इमरान से प्रशिक्षण लेकर भारतीय हॉकी के रत्न रीता पाण्डेय, रजनी चौधरी, प्रतिमा चौधरी, संवर अली और निधि खुल्लर, जर्नादन गुप्ता आदि आगे बढ़े। उनके सिखाए 50 से अधिक खिलाड़ी राष्ट्रीय हॉकी का झंडा बुलंद कर सरकारी नौकरियां भी कर रहे हैं। खुद ध्यानचंद से प्रशिक्षित मोहम्मद इमरान 1000 पेंशन पर निर्भर हैं।

जौनपुर के रहने वाले इमरान

मोहम्मद इमरान मूल रूप से जौनपुर के रहने वाले हैं लेकिन बाद में गोरखपुर में बस गए। तमाम आर्थिक मुश्किलों का सामना करने वाले इमरान को अपने मामू सम्मू खां से काफी लगाव था क्योंकि वह मेजर ध्यानचंद की टीम में हॉकी खेलते थे। इमरान को हॉकी के प्रति आकर्षण भी मामू की वजह से हुआ। जौनपुर में स्कूल की पढ़ाई के दौरान ही हॉकी में झंडे गाड़ने वाले मोहम्मद इमरान ने खेल की बदौलत ही 1974 में फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया बतौर तकनीकी कर्मचारी ज्वाइनिंग की। तभी से 1985 तक गोरखपुर फर्टिलाइजर से हॉकी खिलाड़ी रहे। 1975 में ओलंपिक में उनका खेलना तय था लेकिन वंचित रह गए।



Ragini Sinha

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