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जौनपुर: सभी कार्य छोड़ गौवंश संभालने में जुटा सरकारी तंत्र

जहां ग्रामीण फसलो को बचाने के लिए जहां दिन रात अपने खेतो की रखवाली करते देखे जा रहे है वहीं पर आज भी छुट्टा जानवारो को ग्राम पंचायत भवन से लेकर अन्य सरकारी भवनो के परिसर में कैद किये जाने की घटना आये दिन देखने और सुनने को मिल रही है।

Shivakant Shukla
Published on: 4 Feb 2019 12:22 PM GMT

जौनपुर: प्रदेश सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री द्वारा पशुबध पर रोक लगाये जाने के बाद प्रदेश की राजनीति से लेकर सरकारिया तंत्र गौवंश के इर्द गिर्द ही घूमती नजर पा रही है। यहां तक कि न्यायपालिका (इलाहाबाद हाईकोर्ट ) पशु संरक्षण के लिए कठोर कदम उठाने तक आदेश दे रखा है।

हलांकि संविधान के अनुच्छेद 48 में गौवंश को निषेध किया गया है देश में इसका पालन हो न हो लेकिन उप्र के मुख्यमंत्री ने इस अनुच्छेद का अनुपालन करा दिया है। जिसका परिणाम है कि छुट्टा जानवरो की संख्या में लगातार हो रही बृद्धि से आम जन मानस खासा परेशान व पीड़ित है। आज कल सबसे बड़ी समस्या छुट्टा जानवरो की है शहर की सड़को गलियों तक दुर्घटना को दावत दे रहे है तो गांवो में किसानो की फसलो को बर्बाद करते हुए अन्नदाता के समक्ष अन्न का संकट पैदा कर रहे है।

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बेसहारा पुशओं द्वारा बर्बाद की जा रही फसलों को लेकर किसानो में सरकार के प्रति बढ़ रहे गुस्से को कम करने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा 28 जनवरी 19 को जारी किये गये शासनादेश के बाद सरकारी तंत्र सभी कार्यो को छोड़कर बेसहारा पशुओं को पशु आश्रय केन्द्र पहुंचाने की मुहीम में जुटे नजर आ रहे है।

ताकि अन्नदाताओं की फसलो का बर्बाद होने से बचाया जा सके। इसके बाद भी इस समस्या से अभी तक पूरी तरह से निदान नहीं मिल सका है। किसान अपनी फसलो की रखवाली दिन रात खेतो में रह कर करने को मजबूर है। एक खबर के मुताबिक पशु आश्रय केन्द्रो पर जानवरो के खान पान की जिम्मेदारी नगर पलिकाओ सहित ग्राम पंचायतो का दिया गया है। अलग से सरकार द्वारा किसी तरह के बजट की व्यवस्था नहीं किया गया है।

सरकारी सूचना के मुताबिक शासन से जारी शासनादेश यहां जनपद में आने के बाद से जिला प्रशासन की प्राथमिकता अब छुटटा जानवर आ गये है। जिसके चलते फसलो को बचाने की पहल शुरू करते हुए छुट्टा जानवरो पकड़ने का अभियान तेज कर दिया है। सरकारी आंकड़े की माने तो अब तक लगभग 1087 बेसहारा पशुओं को स्थाई एवं अस्थाई पशु आश्रय केन्द्र पर भेजा जा चुका है। आश्रय पाने वाले जानवरो की टैगिंग की जा रही है। उनका परिक्षण करा कर टीका करण एवं कीटनाशक दवाएं दी जा रही है।

जिले में अब तक 1087 बेसहारा पशु पहुंचे आश्रय केन्द्र

खबर है कि जिला प्रशासन ने शासनादेश आने के बाद तय किया है कि स्थाई पशु आश्रय केन्द्र बनने तक नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रो में विकास खन्ड स्तर पर अस्थाई पशु आश्रय केन्द्र बना कर बेसहारा पशुओं को उसमें रखा जाये। हलांकि सरकार ने पहले 10 जनवरी तक पशुओ को आश्रय केन्द्र पहुंचाने का निर्देश दिया था लेकिन लिखित आदेश न मिलने के कारण सरकारी स्तर पर केवल कागजी बाजीगरी का खेल चल रहा था लेकिन शासनादेश जारी होने के बाद से इस कार्य में तेजी देखने को मिली है।

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प्रशासन के आदेश पर तहसील ब्लाक से लेकर नगर पालिकाओ के अधिकारी छुट्टा पशुओं को संरक्षण प्रदान करने की कवायत में जुट गये है। इसके सन्दर्भ में जिला मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. वीरेन्द्र सिंह से बात करने पर उन्होने बताया कि पशु आश्रय केन्द्र पहुंचाये गये जानवरों का चिकित्सकीय परिक्षण विभाग द्वारा कराया जायेगा साथ ही उनका बधियाकरण आदि कराया जायेगा।

हर स्तर पर गोबंश संभालने की चल रही है कवायत

डा. सिंह का मानना है कि छुट्टा जानवारो में नर पशुओं की गुणवत्ता अच्छी नहीं होती है इनसे गर्भ धारण करने वाली गाय अथवा भैंसे अच्छे नस्ल के बच्चे नहीं दे रकेगे और दूध भी कम ही मिलेगा इस लिए इनका बन्ध्याकरण उचित रहेगा ताकि इनकी आक्रमकता कम रहे। अधिशासी अधिकारी नगर पालिका कृष्णचन्द के अनुसार नगरीय क्षेत्र में वाहन लगा कर नगर पालिका कर्मचारियों द्वारा छुट्टा जानवारो को पकड़ कर कृृषि भवन परिसर में अस्थाई रूप से बनाये गये पशु आश्रय केन्द्र पहुंचाया जा रहा है। इसके बाद भी शहर की गलियों से लगायत सड़को पर बेसहारा पशुओ की जमात को देखा जा सकता है जो हर समय दुर्घटनाओं दावत देते दिखायी दे रहे है।

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खबर है कि तहसील एवं विकास खन्ड स्तर के अधिकारी कर्मचारी सभी कार्यो को छोड़ कर इन दिनो छुट्टा जानवरो के पीछे परेशान दिख रहे है उन्हे पकड़वाने के लिए भाग दौड़ में अपना समय दे रहें है लेकिन इसके बाद भी जिले में छुट्टा जानवारो से किसानो को कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है।

जहां ग्रामीण फसलो को बचाने के लिए जहां दिन रात अपने खेतो की रखवाली करते देखे जा रहे है वहीं पर आज भी छुट्टा जानवारो को ग्राम पंचायत भवन से लेकर अन्य सरकारी भवनो के परिसर में कैद किये जाने की घटना आये दिन देखने और सुनने को मिल रही है। स्थिति जो भी हो लेकिन आज प्रदेश से लेकर जिला, तहसील एवं ब्लाक तक छुट्टा पशुओ के संरक्षित करने की कवायत किया जा रहा है साथ ही किसान से लेकर सरकारिया तंत्र सभी की दिनचर्या छुट्टा पशुओं के इर्दगिर्द घूमती दिखायी दे रही है तो हर स्तर पर गोबंश का संभालने की ब्यस्तता नजर आ रही है।

Shivakant Shukla

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