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कभी यूपी में विलीन हुई थीं रियासतें, सरकार देती है इनके पुजारियों को अनुदान
उत्तर प्रदेश में धर्मार्थ संस्थाओं को अनुदान देने के लिए कोई धनराशि की व्यवस्था नहीं की गई है। लेकिन विलीनीकृत रियासतों के पुजारियों के लिए सामान्य प्रशासन के बजट के जरिए अनुदान की व्यवस्था की जाती है। धर्मार्थ संस्था के लिए शासन की ओर से अधिकारी नियुक्त किए जाते हैं।
लखनऊ: यूपी के छह जिलों झांसी, महोबा, जालौन, चित्रकूट, वाराणसी और हमीरपुर की रियासतों का प्रदेश में विलय हुआ है। प्रदेश सरकार इन तत्कालीन रियासतों के मंदिरों के पुजारियों को अनुदान देती है। यह राशि 16504 रूपए प्रतिवर्ष होती है।।
सरकारी अनुदान
-उत्तर प्रदेश में धर्मार्थ संस्थाओं को अनुदान देने के लिए कोई धनराशि की व्यवस्था नहीं की गई है।
-लेकिन विलीनीकृत रियासतों के पुजारियों के लिए सामान्य प्रशासन के बजट के जरिए अनुदान की व्यवस्था की जाती है।
-धर्मार्थ संस्था के लिए शासन की ओर से पीसीएस संवर्ग का एक अधिकारी मुख्य कार्यपालक अधिकारी के पद पर नियुक्त किया जाता है।
-तहसीलदार स्तर का एक अधिकारी अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी होता है।
-वित्त एवं लेखा सेवा का एक अधिकारी सहायक लेखधिकारी के पद पर मंदिर में कार्यरत होता है।
इन जिलों में मिलता है मंदिर के पुजारियों को अनुदान
हमीरपुर 810 रूपये
झांसी 3545 रूपये
चित्रकूट 3650 रूपये
जालौन 828 रूपये
वाराणसी 360 रूपये
महोबा 120 रूपये
इन्हें भी मिलता है वेतन
-श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के पुजारियों और कर्मचारियों को भी प्रदेश सरकार की तरफ से वेतन मिलता है।
-श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में होने वाली वार्षिक आय के सापेक्ष वहां के कर्मचारियों, पुजारियों के वेतन, रखरखाव और अन्य खर्चे शासन द्वारा दिए जाते हैं।