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सरकारी निष्ठा का नया रंग हुआ केसरिया

tiwarishalini
Published on: 8 Sept 2017 5:26 PM IST
सरकारी निष्ठा का नया रंग हुआ केसरिया
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पूर्णिमा श्रीवास्तव की स्पेशल रिपोर्ट

गोरखपुर: सरकारों के साथ बदलते रंग का ‘निष्ठा’ से मेलजोल गहराता जा रहा है। बसपा शासनकाल में निष्ठा का रंग नीला तो सपा के सत्ता में आते ही निष्ठा हरे रंग के साथ पेटेंट होती दिखती है। अब भाजपा की सरकार में ब्रांड केसरिया का सरकारीकरण हो गया है। यह रंग ही निष्ठा का प्रतीक बन गया है। तभी तो सिर्फ कपड़ों पर ही नहीं, पेंट से लेकर छतों पर टंगा पंखा तक केसरिया हो गया है। सरकारी कार्यालयों से लेकर पुलिस चौकी में पर्दे का रंग केसरिया नजर आने लगा है। अब तो प्रदेश के आला अफसर भी मुख्यमंत्री की नजर में आने के लिए बसों से लेकर बिजली के खंभों और ट्रांसफार्मर तक को केसरिया करने में जुटे हैं। मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन हुए छह महीने का वक्त होने को है। कार्यकर्ताओं तक केसरिया का सिमटा क्रेज अब सरकारी कार्यालयों में घुसपैठ बना चुका है। परिवहन विभाग की अंत्योदय बसों को केसरिया रंग में रंगा जा रहा है। बिजली महकमा भी परिवहन विभाग के कदमताल करता दिख रहा है। अब विकसित होने वाली नई कालोनियों में बिजली विभाग केसरिया रंग में रंगे खम्भे और ट्रांसफार्मर लगाएगा।

गोरक्षधाम में वैसे तो केसरिया रंग की चमक पिछले तीन दशक से दिख रही है, लेकिन गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन होने के साथ ही हर जगह भगवा की धूम है। मुख्यमंत्री न सिर्फ केसरिया कपड़ा पहनते हैं बल्कि उनके द्वारा इस्तेमाल हर समान का रंग केसरिया ही नजर आता है। गोरखनाथ मंदिर में जिस कुर्सी पर योगी बैठते हैं वह तो केसरिया है ही, वहां के पर्दे, कालीन, सोफा आदि भी इसी रंग में दिखते हैं। वैसे तो गोरखपुर में केसरिया और योगी का चोली-दामन का साथ है। पहले भी भाजपा के कार्यक्रमों में भी योगी का केसरिया ही फहरता दिखता था। तब इसे हिन्दु युवा वाहिनी का झंडा बताया जाता था। लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन होने के बाद निजी संस्थानों से लेकर सरकारी कार्यालयों में इसका असर दिखने लगा है। मुख्यमंत्री बनने के बाद गोरखपुर पहुंचे योगी आदित्यनाथ ने पहली समीक्षा बैठक गोरखपुर विकास प्राधिकरण में की थी। तत्कालीन उपाध्यक्ष ओएन सिंह ने रातों रात सभागार के पर्दे से लेकर कुर्सी पर रखे तौलिये केसरिया रंग वाले रखवा दिये थे। शहीदों के घर पहुंचे मुख्यमंत्री की आंखों को केसरियां रंग दिखे, इसके पुख्ता इंतजाम हुए। अब गोलघर में जटेपुर पुलिस चैकी में पर्दे का रंग भी केसरिया हो चुका है तो गोरखनाथ मंदिर के ठीक सामने स्थित गोरखनाथ थाने के बाहर लैक्स पर सिटीजन चार्टर का ब्योरा भगवा होर्डिंग पर ही दर्ज है। यहीं नहीं ऑटो ड्राइवरों को को प्रशासन ने जो ड्रेस दिया है उसका रंग मैरून है।

सरकारी पंडाल केसरिया

मुख्यमंत्री बनने के बाद गोरखपुर में योगी दर्जन बार से अधिक पहुंचे हैं। पंडाल का केसरिया रंग का होना अनिवार्य शर्त है। यहां तक की कुॢसयां भी केसरिया ही मंगाई जाती हैं। शहर के एक प्रतिष्ठित टेंट हाउस के मालिक का कहना है कि टेंट हाउस में प्रयोग में आने वाला कपड़ा, कुर्सी, कालीन सब कुछ केसरिया किया गया है। नये सिरे से खरीदारी में एक करोड़ से अधिक खर्च हुए हैं।

गांधी संग योगी

गोरखपुर मंडल के सभी जिलों और सरकारी कार्यालयों में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की फोटो अनिवार्य होती जा रही है। कमोबेश सभी थानों और प्रमुख पुलिस चौकियों में महात्मा गांधी के साथ योगी आदित्यनाथ की फोटो दिख जाती है। पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता एसपी सक्सेना ने पिछले सप्ताह ही अपनी कुर्सी के पीछे मुख्यमंत्री की फोटो लगाई है। बड़े साफगोई से वह कहते हैं कि किसी ने मुख्यमंत्री जी की फोटो गिफ्ट की थी। वह अपने शहर के हैं। ऐसे में सरकारी कार्यालयों में उनकी फोटो लगाना कहा गलत है।

इंटीरियर भी केसरिया

केसरिया या इससे मिलते-जुलते रंग के पर्दे की जबरदस्त मांग है। इंटीरियर के प्रमुख कारोबारी हिमांशु मोदी कहते हैं कि पहले केसरिया रंग के पर्दे आर्डर पर ही मंगाते थे, अब तो रोज एक-दो ग्राहक पहुंच रहे हैं। लोग केसरिया पेनट भी मांगते हैं। फर्नीचर के लिए लोग केसरिया को तरजीह दे रहे हैं। सर्वाधिक मांग वाल पेपर की है। एशियन पेंट्स के डीलर सुरेश चन्द्र गुप्ता कहते हैं कि मुख्यमंत्री योगी के साथ अपनी फोटो दीवारपर लगाने वालों की संख्या बढ़ी है। आधा दर्जन लोगों के आर्डर पर फोटो वाला वाल पेपर मुंबई से मंगाया जा रहा है। इसकी लागत 110 रुपये प्रति वर्ग फीट है। घरों की बाहरी से लेकर अंदरूनी दीवारको भी केसरिया में रंगने की होड़ दिख रही है। रेलवे स्टेशन के बाहर 40 फीसदी से अधिक गुमटी और ठेले का रंग केसरिया हो चुका है। पेंट कारोबारी महेन्द्र मौर्या का कहना है कि लोगों में डीप आरेंज, सनराइज, आरेंज विजन और कैंप फायर रंग की डिमांड काफी बढ़ी है। इन रंगों की मांग में तीन सौ फीसदी तक की बढ़ोत्तरी हुई है।

गोरखपुर के लिए कंपनियां बना रही स्पेशल पंखे

बिजली उपकरणों की दुकानों पर जितने पंखों का डिस्प्ले दिखायी देता उनमें कम से कम एक तो केसरिया होता ही है। रेतीचैक पर पंखों के थोक कारोबारी आलोक कुमार गुप्ता बताते हैं कि कमोबेश सभी ब्रांड में केसरिया रंग का पंखा आ गया है। केरोमन गोल्ड रंग के पंखों की शहरों की अपेक्षा गांव में जबरदस्त डिमांड है। कोलकाता और दिल्ली में लोकल कंपनियां मांग भुनाने में जुट गई हैं। आलोक बताते हैं कि कोलकाता की कंपनी ने पिछले वर्ष गर्मी में गोरखपुर के लिए विशेष तौर पर तैयार 120 केसरिया रंग के पंखों को बिक्री के लिए भेजा था, मुश्किल से 50 पंखे बिके थे। इस गर्मी 120 पंखों की तीन खेप मंगा चुके हैं, 360 पंखों का आर्डर भेजा जा चुका है। ग्रामीण इलाकों के दुकानदार काफी डिमांड कर रहे हैं।

केसरिया कपड़ों की मांग में जबरदस्त इजाफा

केसरिया रंग ब्रांड बनता जा रहा है। कपड़ा कारोबारी विकास जालान कहते हैं कि गर्मी के दिनों में सर्वाधिक स$फेद गमछे का मांग होती थी लेकिन इस बार 60 फीसदी से अधिक केसरिया रंग का गमछा बिक रहा है। ग्रामीण इलाकों में तो शहरों की अपेक्षा दोगुनी मांग है। थोक कारोबारी विकास बुधिया कहते हैं कि गमछा खलीलाबाद से मंगाया जा रहा है। 30 से 150 रुपये तक बिकने वाले गमछा की मांग के अनुसार आपूॢत करना मुश्किल हो रहा है। ब्रांडेड कपड़ों के शो-रूम लिनेन क्लब में भी केसरिया की धूम है। गोलघर के सिविल लाइंस में शो-रूम के संचालक सर्वेश कुमार का कहना है कि पहले लोगों में मोदी कट सदरी का क्रेज था लेकिन अब लोग केसरिया और इससे मिलते-जुलते रंग का सदरी, शर्ट और कुर्ता बनवा रहे हैं। सिर्फ भाजपा और हिन्दुवादी नेता ही नहीं योगी जी के फालोवर भी केसरिया कपड़ों की मांग कर रहे हैं। 700 से 1400 रुपये मीटर बिकने वाले कपड़े की मांग काफी अधिक बढ़ गई है। आरेंज और केसरिया रेडीमेड शर्ट भी 2400 से 2800 रुपये में बिक रही है।

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Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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