×

गवर्नर ने फिर लिखा चुनाव आयोग को पत्र, उमाशंकर की सदस्यता पर जल्द हो फैसला

गवर्नर नाईक ने मुख्य चुनाव आयुक्त को पुन: पत्र लिखा कर उमा शंकर सिंह मामले में जल्द निर्णय लेकर अवगत कराने को कहा है, ताकि विधायक की सदस्यता के बारे में अंतिम निर्णय ले सकें। गवर्नर ने पत्र में उच्च न्यायालय के चुनाव आयोग को जल्द निर्णय लेने के आदेश का भी हवाला दिया है।

zafar
Published on: 17 Dec 2016 10:33 AM GMT
गवर्नर ने फिर लिखा चुनाव आयोग को पत्र, उमाशंकर की सदस्यता पर जल्द हो फैसला
X

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के गवर्नर राम नाईक ने बलिया की रसड़ा विधानसभा सीट से विधायक उमाशंकर सिंह को 6 मार्च 2012 से विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिया था। जिसके विरोध में श्री सिंह ने हाईकोर्ट में वाद दायर किया था। इस पर हाईकोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग को इसका परीक्षण कर राज्यपाल को अपने अभिमत से अवगत कराना है। इस प्रक्रिया में हो रही देरी को देखते हुए राज्यपाल ने मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी को पत्र लिखकर अपने अभिमत से जल्द अवगत कराने को कहा है।

चुनाव आयोग को फिर लिखा पत्र

-इस प्रकरण में गवर्नर नाईक ने मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) डा. नसीम जैदी को पुन: पत्र लिखा है।

-नाईक ने इस प्रकरण में जल्द निर्णय लेकर अवगत कराने को कहा है। जिससे वह विधायक की सदस्यता के बारे में अंतिम निर्णय ले सकें।

-गवर्नर ने इसमें उच्च न्यायालय इलाहाबाद के 28 मई को चुनाव आयोग को जल्द निर्णय लेने के आदेश का भी हवाला दिया है।

-पत्र में कहा गया है कि निर्णय में विलंब से मीडिया और आम जनता में निर्वाचन आयोग के प्रति गलत संदेश जा रहा है।

पहले भेजा था पत्र

-राज्यपाल ने इससे पहले 9 अगस्त को विधायक की सदस्यता को लेकर चुनाव आयोग को पत्र भेजा था।

-इसके जवाब में चुनाव आयोग ने 01 सितम्बर को पत्र भेज कर कहा था कि प्रकरण की जांच पूरी होने पर आयोग जल्द ही उन्हें अवगत कराएगा।

-राज्यपाल ने 16 सितम्बर को इस संबंध में मुख्य चुनाव आयुक्त से टेलिफोन पर भी बात की थी।

-बातचीत में मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने प्रकरण पर जल्द निर्णय लेने की बात कही थी और 5 नवम्बर को इस संबंध में स्मरण पत्र भी भेजा गया था।

क्या है मामला ?

-मौजूदा विधानसभा का सामान्य निर्वाचन मार्च, 2012 में हुआ था। चुने गए विधायकों को 6 मार्च, 2012 को निर्वाचित घोषित किया गया था।

-उमाशंकर सिंह वर्ष 2009 से सरकारी ठेके लेकर सड़क निर्माण का कार्य करते आ रहे थे।

-तत्कालीन लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा ने प्राप्त शिकायत के आधार पर सरकारी कान्ट्रैक्ट लेने के आरोप में विधायक को दोषी पाते हुये मुख्यमंत्री को जांच रिपोर्ट प्रेषित की थी।

-यह रिपोर्ट मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को भेज दी थी।

गवर्नर ने निर्वाचन आयोग को भेजा मामला

-आयोग से 03 जनवरी को अभिमत मिलने के बाद विधायक ने 16 जनवरी को अपना पक्ष रखा।

-गवर्नर ने उमाशंकर सिंह का पक्ष सुना और आरोपों को सही पाया।

-गवर्नर ने विधायक को 6 मार्च, 2012 से विस की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया था।

-राज्यपाल के निर्णय के विरूद्ध अयोग्य घोषित विधायक ने हाईकोर्ट इलाहाबाद में रिट दाखिल की, जिस पर 28 मई को न्यायालय ने निर्णय दिया।

-कोर्ट ने प्रकरण में चुनाव आयोग से स्वयं जांच कर निर्णय से राज्यपाल को अवगत कराने के आदेश दिए।

-कोर्ट ने यह भी कहा कि इसके बाद राज्यपाल संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत अपना निर्णय लें।

-इसी मामले में जल्द निर्णय के लिए अब राज्यपाल ने निर्वाचन आयोग फिर पत्र लिखा है।

(फोटो साभार:flickr)

zafar

zafar

Next Story