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उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में सुधार के लिए राज्यपाल ने कुलपतियों की बुलाई बैठक
लखनऊ: राज्य के विश्वविदयालयों में कुछ नियमित शिक्षकों के सहयोग न देने के कारण अन्य शिक्षकों से उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन कराना पड़ता है। इन पुस्तिकाओं की संख्या भी अधिक होती है। इस वजह से इनकी जांच में त्रुटियां रह जाती हैं।
राज्यपाल राम नाईक ने इसका संज्ञान लेते हुए राज्य के विश्वविदयालयों की परीक्षा प्रणाली और मूल्यांकन प्रक्रिया के सुधार के लिए 24 अक्टूबर को 27 विवि के कुलपतियों की बैठक बुलाई है।
राज्यपाल ने जताई थी चिंता
दरअसल, प्रतिभाशाली और मेधावी छात्रों के भविष्य को देखते हुए कुलाधिपति ने राजभवन में आयोजित कुलपति/कुलसचिव सम्मेलन में अपनी चिंता जताई थी। परीक्षा प्रणाली एवं उत्तर पुस्तिकाओं की मूल्यांकन प्रक्रिया में सुधारात्मक सुझाव देने के लिए प्रो मुजम्मिल, कुलपति, डाॅ भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, आगरा एवं प्रो जेवी वैशम्पायन, कुलपति, छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर को निर्देशित किया था।
समिति ने सौंपी रिपोर्ट
समिति ने इस पर अपनी रिपोर्ट दे दी है। इस पर विचार करने और परीक्षा प्रणाली एवं मूल्यांकन प्रक्रिया में सुधारात्मक उपाय के उद्देश्य से कुलपतियों की बैठक बुलाई गई है।
राज्यपाल ने ये भी कहा :
-राज्य विश्वविद्यालयों एवं उनसे संबद्ध महाविद्यालयों में छात्रों की संख्या अधिक है।
-नकल विहीन परीक्षाएं समय से कराना और उत्तर पुस्तिकाओं का सही मूल्यांकन चुनौती है।
-मूल्यांकन कार्य में कुछ नियमित शिक्षक अपेक्षित सहयोग नहीं देते हैं।
-इसके कारण स्व वित्तपोषित एवं अतिथि प्रवक्ता/नियत वेतनमान में नियुक्त शिक्षकों के द्वारा मूल्यांकन कराया जाता है।
-सीमित अवधि में मूल्यांकन कार्य पूर्ण करने का दबाव होता है और उत्तर पुस्तिकाओं की संख्या अधिक भी अधिक होती है।
-इसके कारण उत्तर पुस्तिका का परीक्षण त्रुटिपूर्ण होता है।
-फलस्वरूप कई प्रकरणों में कुलाधिपति महोदय के समक्ष प्रत्यावेदनों के माध्यम से अपेक्षित अंक प्राप्त न होने की शिकायत करते हुए उचित न्याय प्राप्त करने हेतु अनुरोध किया जाता है।