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UP राज्यपाल ने कहा- भ्रष्टाचार खत्म करने को सरकार ने संस्थाओं का नहीं किया सही उपयोग

भ्रष्टाचार के समाप्ति के लिए सरकार ने इन संस्थाओं का उपयोग नहीं किया। नाईक अपने कार्यकाल के ढाई साल पूरे होने पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे

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Published on: 23 Jan 2017 4:13 AM GMT
UP राज्यपाल ने कहा- भ्रष्टाचार खत्म करने को सरकार ने संस्थाओं का नहीं किया सही उपयोग
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लखनऊ: लोकायुक्त की 53 रिपोर्ट कार्रवाई के लिए सरकार के पास गईं। लेकिन इसमें सिर्फ दो मामलों में ही राज्य सरकार ने निर्णय लिया। शेष 51 मामले लंबित हैं। राज्यपाल रामनाईक ने कहा कि उन्होंने इस मामले में सीएम अखिलेश यादव से भी बात की और उन्हें पत्र लिखा है। लेकिन इन संस्थाओं का भ्रष्टाचार के समाप्ति के लिए जिस तरह का उपयोग करना चाहिए, सरकार ने नहीं किया। नाईक अपने कार्यकाल के ढाई साल पूरे होने पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने पिछले छह महीने (22 जुलाई 2016 से 21 जनवरी 2017) के काम का ब्यौरा भी दिया।

उन्होंने कहा कि शेष 41 मामलों को न ही राज्य विधानमंडल के समक्ष प्रस्तुत किए जाने की सूचना प्राप्त हुई है और न ही स्पष्टीकरण ज्ञापन प्राप्त हुए हैं। इनमें 9 पूर्व मंत्रियों, एक विधायक, 3 अध्यक्ष (नगर पालिकाध/नगर पंचायत) और 40 अधिकारियों का उल्लेख है।

बसपा सरकार के इन मंत्रियों को लोकायुक्त जांच में पाया गया था दोषी

अवधपाल सिंह यादव, रामवीर उपाध्याय, बादशाह सिंह, रामअचल राजभर, राजेश त्रिपाठी, अयोध्या प्रसाद पाल, रतन लाल अहिरवार, नसीमुद्दीन सिद्दीकी और स्वामी प्रसाद मौर्या।

यूपी के ​इतिहास में पहली बार कानूनी ढंग से विधायक को अयोग्य घोषित किया

राज्यपाल ने विधायक उमाशंकर सिंह की सदस्यता की समाप्ति का जिक्र करते हुए कहा कि यूपी के ​इतिहास में पहली बार कानूनी ढंग से किसी विधायक को अयोग्य घोषित किया गया है। इस प्रकरण में एक ना​गरिक ने भ्रष्टाचार की शिकायत की थी।

आडिट न हो, सरकारी काम चलता रहे

नाईक ने कहा कि गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के आडिट के मामले में सरकार ने कहा कि हम इसकी कैग से ऑडिट नहीं कराने देंगे। उन्होंने इसकी राष्ट्रपति और वित्त मंत्री को भी पत्र​ लिखकर जानकारी दी है। पर इस पर अभी तक फैसला नहीं आ पाया है। उनका कहना है कि जिस संस्था में जनता का पैसा लगा है। उसकी आडिट होनी चाहिए। ऐसा न हो कि सरकारी काम चलता रहे और उसका ऑडिट न हो ऐसे ही काम चलता रहे।

188 बंदियों को दी रिहाई

राज्यपाल ने कहा कि पिछले 6 महीने में सिद्धदोष बंदियों से संबंधित 408 दयायाचिका की प​त्रावलियां प्राप्त हुई हैं। इनमें से 188 बंदियों को रिहा किया गया, जबकि 170 बंदियों की पत्रावलियां पूरी नहीं होने के कारण वापस की गई हैं और 9 पत्रावलियां पुनर्विचार के लिए वापस भेजी गईं। पहले यह फाइले यहां 3 से 4 महीने पेंडिंग रहती थीं।

जमीनों पर अतिक्रमण यूपी में ला एंड आर्डर को लेकर गंभीर विषय

राज्यपाल ने सरकारी जमीनों पर हो रहे अतिक्रमण को गंभीर बताते हुए कहा कि उन्होंने जवाहर बाग कांड के बाद सरकार को सुझाव दिया था कि ​जमीनों पर कितना अतिक्रमण हुआ और इससे सरकार को कितना नुकसान हुआ। इस बारे में श्वेत पत्र जारी करें। अवैध कब्जों और श्वेत पत्रों को लेरक मुख्य सचिव को पिछले साल 23 सितम्बर, 4 नवम्बर और 23 नवम्बर को पत्र भी लिखा था। पर इस पर अब तक कोई रिपोर्ट नहीं आई है।

-राष्ट्रपति को 6 महीने में 6 रिपोर्ट भेजी है।

-ढाई साल के कार्यकाल में कुल 15831 लोगों से मुलाकात की।

-लखनऊ में 533 सार्वजनिक कार्यक्रम किएं।

-लखनऊ के बाहर 348 सार्वजनिक कार्यक्रम किएं।

राज्यपाल ने कहीं ये खास बातें

-जो जिस पद पर हो उसे जवाबदेह होना चाहिए।

-केंद्र और राज्य सरकार के बीच में सेतु का काम करता रहा हूं।

-आजम खान के बयानों पर कहा कि इस तरह की टिप्पणी पर व्यक्तव्य नहीं देता।

-यूपी के विकास को लेकर टिप्पणी करने का काम जनता का है।

-जो सपा में हुआ या हो रहा है। वह intra party controversy का मामला है।

-जैसा मैंने कहा वैसा ही हुआ। उस पर मेरी नजर थी।

-कहा—उर्दू भाषा को जितना महत्व मिलना चाहिए नहीं मिल रहा है पर मैं काम कर रहा हूँ।

-जौहर विवि के विधेयक पर 4 से 5 साल तक राज्यपाल ने सम्मति नहीं दी।

-मेरे आने के पहले राज्यपाल ने हस्ताक्षर किया।

-ऐसे मामले में राज्यपाल इसको वापस नहीं कर सकते।

-यूपी में विकास और कानून-व्यवस्था के सवाल पर कहा कि इसका निष्कर्ष निकालने का काम आपका हैं

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