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गवर्नर ने CM से कहा-आजम को हटाओ, माता प्रसाद पर भी साधा निशाना

Admin
Published on: 31 March 2016 8:37 AM GMT
गवर्नर ने CM से कहा-आजम को हटाओ, माता प्रसाद पर भी साधा निशाना
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गाजियाबाद: यूपी के गवर्नर राम नाईक ने गुरुवार को सीएम अखिलेश यादव से संसदीय कार्य मंत्री आजम खान को उनके पद से हटाने को कहा है। गवर्नर ने कहा कि आजम संसदीय कार्य मंत्री हैं, लेकिन उन्हें संसदीय परंपरा और संसदीय भाषा का ज्ञान नहीं है।

राम नाईक ने विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडे पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सभाध्यक्ष से आजम के बयान के बारे में विधानसभा कार्यवाही की सीडी मंगाई थी। सभाध्यक्ष माता प्रसाद ने उन्हें जो सीडी भेजी उसमें 20 जगहों पर काट छांट की गई है। इस मामले में उनका रोल भी ठीक नहीं था।

सदन की कार्यवाही से आजम के बयान की 33 फीसदी लाइनें हटाई गईं

गवर्नर ने अपने लेटर में कहा था कि 8 मार्च के कार्यवाही की प्राप्त संपादित और असंपादित मुद्रित प्रति से स्पष्ट है कि आजम खान द्वारा विधानसभा में राज्यपाल के प्रति की गई टिप्प्णी जो लगभग 60 लाइन में टाइप है, में से 20 लाइनें हटा दी गई हैं। विधानसभा की कार्यवाही से संसदीय कार्यमंत्री के बयान की 33 फीसदी बातें हटाना दर्शा​ता है कि उनकी भाषा विधानसभा की गरिमा, मर्यादा और परंपरा के अनुकूल नहीं है।

गर्वनर ने लेटर में क्‍या लिखा था

-राज्यपाल ने माता प्रसाद को लिखे लेटर में कहा- आपने विधानसभा में यह भी कहा था कि “लेकिन यह भी है कि जनहित के बिलों पर उन्हें गंभीरता से सोचना चाहिए।”

-मेरे लंबे राजनीतिक जीवन से और राज्यपाल पद के कार्यकाल की अवधि से आप भलीभांति अवगत होंगे कि मैं किस प्रकार जनहित से जुड़े मुद्दों के प्रति संवेदनशील रहा हूं।

-इस संबंध में आपसे भेंट के दौरान चर्चा का इच्छुक हूं।

-राज्यपाल ने इसकी प्रति सीएम अखिलेश यादव को भी भेजी है।

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-9 मार्च को राज्यपाल राम नाईक ने विधानसभाध्यक्ष माता प्रसाद पांडे को पत्र भेजा था।

-8 मार्च को विधानसभा की कार्यवाही में राज्यपाल पर की गई टिप्पणी की संपादित और असंपादित प्रति मांगी थी।

-15 मार्च को राज्यपाल को प्राप्त हुआ था माता प्रसाद का पत्र।

क्या है मामला?

-8 मार्च को विधानसभा में आजम खान गवर्नर राम नाईक पर बरसे थे।

-आजम ने कहा-गवर्नर ने महापौर संबंधी बिल पिछले डेढ़ साल से रोक रखा है।

-बिल रोक कर वह महापौरों को भ्रष्टाचार के लिए उकसा रहे हैं।

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-यदि उन्हें बिल में कोई संशय है तो मुझे या मेरे विभाग के अफसरों को बुलाकर पूछ लें।

-जब कुछ गलत नहीं है तो विधेयक को क्यों रोके रखा गया है?

-पूछा-सबकी जवाबदेही है तो फिर महापौरों की जवाबदेही नियत क्यों न हो?

-इस संबंध में उन्होंने भाजपा के नेता से भी बात की थी

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