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Ganga Janajagran Yatra: गोविंदाचार्य 11 अक्टूबर से शुरू करेंगे 'गंगा जनजागरण यात्रा', यूपी के बुलंदशहर जिले से होगी शुरुआत

Ganga Janajagran Yatra: पदयात्रा 11 अक्टूबर को बुलंदशहर जिले के नरौरा से शुरू होने वाली गंगा जनजागरण यात्रा 30 नवंबर 2022 को कानपुर के बिठूर घाट पर समाप्त होगी।

Rahul Singh Rajpoot
Published on: 25 Aug 2022 9:07 PM IST
Govindacharya will start Ganga Janjagran Yatra from October 11, will start from Bulandshahr district of UP
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बीजेपी के पूर्व नेता केएन गोविंदाचार्य: Photo- Social Media

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Ganga Janajagran Yatra: बीजेपी (BJP) के पूर्व नेता केएन गोविंदाचार्य (KN Govindacharya) एक बार फिर से गंगा को अविरल बनाने की मुहिम शुरू करने जा रहे हैं। गंगा की दशा पर जनजागरण के लिए गोविंदाचार्य 11 अक्टूबर 2022 से पद यात्रा (Pad Yatra) शुरू करेंगे। यह पदयात्रा उत्तर प्रदेश के सात जिलों से होकर गुजरेगी। 11 अक्टूबर को बुलंदशहर (Bulandshahr) जिले के नरौरा (Narora) से शुरू होने वाली गंगा जनजागरण यात्रा (Ganga Janajagran Yatra) 30 नवंबर 2022 को कानपुर के बिठूर घाट पर समाप्त होगी। इस बीच दीपावली (Diwali 2022) का पर्व पड़ने से कुछ दिन का अवकाश होगा। दिवाली के बाद यात्रा फिर से शुरू होगी जो बुलंदशहर के रास्ते संभल, बदायूं, हरदोई, शाहजहांपुर, उन्नाव, कानपुर के बिठूर घाट पर खत्म होगी।

बता दें पिछले 15 वर्षों से गोविंदाचार्य लगातार 'अविरल गंगा, निर्मल गंगा' (Aviral Ganga, Nirmal Ganga) का विषय उठाते रहें हैं। वर्ष 2009 में हुई गंगा संस्कृति प्रवाह यात्रा से वे लगातार गंगा विषय को उठा रहे हैं। गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित कराने में भी गोविंदाचार्य ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आज भी गंगा की अविरलता, निर्मलता के लिए वह लगातार जनजागरण अभियानों के माध्यम से सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।

गंगा की दशा सुधारने के लिए संतों ने आत्मोत्सर्ग किया

गौरतलब है कि पिछले दशक में गंगा की दशा सुधारने के लिए प्रसिद्ध संतों सहित अन्य लोगों ने आत्मोत्सर्ग किया है। गंगा के लिए स्वामी निगमानंद का बलिदान 2011 में हुआ था। जबकि सुप्रसिद्ध पर्यावरणविद डॉ जीडी अग्रवाल (स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद) का बलिदान अक्टूबर 2018 में हुआ। उनके बलिदान के बावजूद गंगा की अविरलता व निर्मलता का संकल्प आज भी हमारे सम्मुख है।

गंगा: Photo- Social Media

गोविंदाचार्य 2004 से स्वतंत्र रूप से राष्ट्रीय कार्यों में सक्रिय हुए थे। तब से भारतीय संस्कृति और भारत की भौगोलिक प्रकृति के अनुकूल व्यवस्था परिवर्तन के लिए अलख जगा रहे हैं। जलवायु परिवर्तन के संकट के कारण उनके द्वारा प्रतिपादित 'प्रकृति केन्द्रित विकास की संकल्पना की अपरिहार्यता को अब अधिकाधिक लोग स्वीकारने की मनोदशा में आने लगे हैं।

अमरकंटक से अमरकंटक तक नर्मदा की परिक्रमा

प्रकृति केंद्रित विकास को प्रचारित करने और नदियों की दशा का प्रत्यक्ष अनुभव लेने के लिए कोरोना काल के दो वर्षों में उन्होंने तीन नदियों का अध्ययन प्रवास किया। पहले राम तपोस्थली से लेकर गंगा सागर तक का गंगा अध्ययन प्रवास किया। उसके बाद अमरकंटक से अमरकंटक (Amarkantak to Amarkantak) तक नर्मदा की परिक्रमा रूपी अध्ययन प्रवास किया। आखिर में विकासनगर से प्रयागराज तक यमुना का अध्ययन प्रवास किया। उन अध्ययन यात्राओं से प्राप्त अनुभवों को सरकार और समाज तक पहुंचाने के लिए दिल्ली में नदी संवाद' नाम से दो आयोजन किये।

इसी क्रम में अब एक बार फिर गंगा के दशा पर जनजागरण के लिए वह आगामी 11 अक्टूबर 2022 से एक बार फिर यूपी के बुलंदशहर के नरौरा से अपनी यात्रा प्रारंभ करने का निर्णय लिया है।



Shashi kant gautam

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