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आखिरकार नानी ने हाई कोर्ट से जीती नातियों के दाखिले की जंग
लखनऊ: जवाहर नवोदय विद्यालय गौरीगंज में पीजीटी शिक्षिका निमतुलनिशा ने बतौर टीचिंग स्टाफ अपने संरक्षण में रह रहे दो नातियों के दाखिले की प्रार्थना विद्यालय प्रशासन से की थी। नवोदय विद्यालय समिति टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ के बच्चों के दाखिले की सुविधा देती है लेकिन निमतुलनिशा की प्रार्थना यह कहते हुए खारिज कर दी गई कि दोनों बच्चे उनके वास्तविक बच्चे नहीं हैं और यह सुविधा स्टाफ के वास्तविक बच्चों को ही दिए जाने का प्रावधान है।
हाई कोर्ट ने दाखिले के दिए आदेश
जिसके बाद निमतुलनिशा और दोनों बच्चों ने हाईकोर्ट की शरण ली। उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बच्चों का दाखिला तत्काल किए जाने के आदेश विद्यालय और सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) को दिए हैं।
इसी साल नानी को मिला था संरक्षण का अधिकार
9वीं और 10वीं क्लास में पढ़ने वाले नाबालिग नातिन और नाती का संरक्षण अभिभावक व प्रतिपाल्य अधिनियम, 1890 के तहत जनपद न्यायाधीश प्रतापगढ ने इसी साल मार्च महीने में बच्चों की नानी निमतुलनिशा को दिया है।
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क्या है मामला ?
दरअसल बच्चों के पिता की जनवरी 2014 में हत्या कर दी गई थी और मां ने जून 2015 में दूसरी शादी तो की लेकिन बच्चों को बेसहारा छोड़ दिया। जिसके बाद उनके संरक्षण का जिम्मा बच्चों की नानी को दिया गया। दोनों बच्चे फिलहाल हरियाणा के रेवारी के यूरो इंटरनेशनल स्कूल में पढ रहे हैं। चूंकि बच्चों की नानी जवाहर नवोदय विद्यालय गौरीगंज में शिक्षिका हैं इसलिए वह उनका दाखिला उसी विद्यालय में कराने के लिए प्रयासरत थीं।
नवोदय विद्यालय समिति की ओर से जारी 1 जनवरी 1990 के एक सर्कुलर का हवाला देते हुए विद्यालय प्रधानाचार्य की ओर से कहा गया कि नियमों के अनुसार गोद लिए गए बच्चों के दाखिले की सुविधा स्टाफ को नहीं है।
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कोर्ट ने क्या कहा ?
याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय की सिंगल बेंच ने कहा कि बच्चों का संरक्षण वैधानिक प्रक्रिया द्वारा उनकी नानी को दिया गया है। वे गोद लिए हुए बच्चे नहीं हैं। बच्चों के दाखिले से इंकार के लिए जो तर्क प्रतिवादियों द्वारा दिया गया है उसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने कहा कि अगर इन बच्चों को दाखिला लेने से रोका जाता है तो यह उनके साथ महा अन्याय होगा। कोर्ट ने नवोदय विद्यालय समिति और सीबीएसई को याचिका पर चार सप्ताह में जवाब देने का समय देते हुए कम से कम समय में बच्चों के दाखिले के आदेश दिए हैं।