TRENDING TAGS :
Lucknow: खाद्य प्रसंस्करण से बदलेगी खेतीबाड़ी की सूरत, बढ़ेगी आय, खुशहाल होंगे किसान
Lucknow News: कृषि उत्पादक संगठनों को प्रोत्साहन देने की रणनीति के तहत जल्द ही फसल विशेष के लीड 4000 नए एफपीओ बनाने की तैयारी है। इन्हें 18 लाख रुपए तक का अनुदान भी देय होगा।
Lucknow News: देश के शीर्षस्थ औद्योगिक संगठन एसोचैम और चार्टर्ड एकाउंटेंट की वैश्विक संस्था ग्रैंडथार्टन कि एक रिपोर्ट के मुताबिक खाद्य प्रसंस्करण संभावनाओं का क्षेत्र है। वर्ष 2024 तक इसमें करीब 90 लाख रोजगार के मौके सृजित होंगे। इसमें से करीब 10 लाख लोगों को तो सीधे रोजगार मिलेगा। शहरीकरण, एकल परिवार के बढ़ते चलन के कारण प्रसंस्कृत खाद्यपदार्थों की मांग बढऩी ही है। विदेशी बाजारों में भी ऐसे गुणवत्ता युक्त उत्पादों की अच्छी मांग है।
उत्तर प्रदेश में तो कई वजहों से इस क्षेत्र की संभावनाएं और बढ़ जाती हैं। मसलन प्रदेश उत्तर प्रदेश खाद्य प्रसंस्करण के कच्चे माल के उत्पादन में देश में नंबर एक है। सर्वाधिक आबादी के नाते श्रम और बाजार भी कोई समस्या नहीं है। 9 तरह के कृषि जलवायु क्षेत्र और भरपूर पानी की उपलब्धता की वजह से किसानों को प्रसंस्करण इकाइयों की मांग के अनुसार फसल उगाना आसान है।
इन्हीं सारी संभावनाओं, एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था और पांच साल में पांच करोड़ रोजगार के लक्ष्य के मद्देनजर योगी सरकार का जोर खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को बढ़ावा देने का है।
इसी मकसद से भाजपा ने अपने लोककल्याण संकल्पपत्र-2022 में प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में 6 मेगा फ़ूड पार्क लगाने के प्रति प्रतिबद्धता जतायी थी। उसी प्रतिबद्धता के क्रम में गत बुधवार को खेतीबाड़ी से जुड़े सात विभागों की मंत्री परिषद के समक्ष हुई बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए कार्ययोजना तैयार करने का निर्देश दिया।
केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार खेत से बाजार तक पहुंचने के दौरान हर साल करीब 92651 करोड़ रूपये के अनाज, दूध, फल, मांस और मछलियां बर्बाद हो जाती हैं। इनमें से 40811 करोड़ रुपये की सिर्फ फल और सब्जियां होती हैं। चूंकि तमाम चीजों के उत्पादन में उत्तर प्रदेश ही अग्रणी है। लिहाजा सर्वाधिक घाटा भी यहां के ही किसान रहते हैं। प्रसंस्करण की इकाइयां लगने से यह बर्बादी रुकेगी। इसका सीधा लाभ यहां के किसानों को मिलेगा। साथ ही इन इकाइयों के लिए
कच्चे और तैयार माल के उत्पादन, ग्रेडिंग, पैकिंग, लोडिंग-अनलोडिंग और इनको बाजार तक पहुंचाने के क्रम में स्थानीय स्तर पर लोगों को बड़ी संख्या में रोजगार मिलेगा।
ऐसा होने पर प्याज, आलू, टमाटर की मंदी सुर्खियां नहीं बनेंगी। प्रसंस्करण तो एक जरिया होगा ही। साथ ही
सरकार ऐसी फसलों का एमसपी के दायरे में लाएगी।
इसके लिए एक हजार करोड़ रुपये का भामाशाह भाव स्थिरता कोष बनेगा।
इसी क्रम में सरकार सहारनपुर, लखनऊ, हापुड़, कुशीनगर, चन्दौली व कौशाम्बी में आलू और क्षेत्र विशेष की फसलों को ध्यान में रखते हुए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उन्नयन योजनांतर्गत 14 नए इन्क्यूबेशन सेंटरों का निर्माण शुरू करने की तैयारी है।
अपने पहले कार्यकाल के शुरुआती दिनों में ही नई खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति जारी कर सीएम योगी ने संभावनाओं से भरे इस सेक्टर को एक दिशा दी थी। लगातार कोशिशों के नतीजे भी सकारात्मक रहे। इस दौरान उद्यान (हॉर्टिकल्चर) सेक्टर में जहां फल, शाकभाजी, फूल, मसाला फसलों आच्छादन में 1.01 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल का विस्तार हुआ तो उत्पादन में भी 07 फीसदी तक बढ़ोतरी दर्ज की गई। इंडो-इजराइल तकनीक पर आधारित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बस्ती (फल) और कन्नौज (सब्जी) में स्वीकृत हुआ तो संरक्षित खेती से पुष्प और सब्जी उत्पादन के लिए 177 हेक्टेयर क्षेत्रफल में 554 किसानों द्वारा पॉलीहाउस/शेडनेट हाउस भी तैयार कराया गया। आलू के भंडारण की क्षमता में 30 लाख मीट्रिक टन की बढ़ोतरी हुई तो प्याज भंडारण के लिए करीब 200 भंडारण केंद्र बनाए गए।
कृषि उत्पादक संगठनों को प्रोत्साहन देने की रणनीति के तहत जल्द ही फसल विशेष के लीड 4000 नए एफपीओ बनाने की तैयारी है। इन्हें 18 लाख रुपए तक का अनुदान भी देय होगा। रोजगारोन्मुखी कोशिशों के तहत कुकरी, बेकरी और कन्फेक्शनरी के लिए युवाओं को ट्रेनिंग देने का विशेष अभियान जल्द ही शुरू होने जा रहा है। इसी तरह, राजकीय खाद्य विज्ञान प्रशिक्षण केंद्रों पर एक वर्षीय/एक माह/100 दिन की अवधि वाले ट्रेड डिप्लोमा कोर्स और राजकीय सामुदायिक फल संरक्षण केंद्रों पर 15 दिन/03 दिन की अल्प अवधि के प्रशिक्षण कोर्स भी शुरू करने की योजना पर सरकार काम कर रही है। प्रदेश के कृषि विज्ञान केंद्रों पर प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित करने का निर्देश भी मुख्यमंत्री ने उक्त प्रस्तुतिकरण के दौरान दिया था।