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इस अनोखे सामूहिक विवाह में निकाह और पाणिग्रहण साथ-साथ

Newstrack
Published on: 29 Dec 2017 2:05 PM IST
इस अनोखे सामूहिक विवाह में निकाह और पाणिग्रहण साथ-साथ
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गाजीपुर: तारीखें रोज बदलती हैं, लेकिन कुछ ऐसी भी होती हैं जो इतिहास लिखती हैं। ऐसा ही एक दिन टोडरपुर गांव के लिए ऐतिहासिक बना। इस गांव में हिन्दू व मुस्लिम धर्म के 51 युगल एक साथ परिणय सूत्र में बंधे। इस अनोखे सामूहिक विवाह को अंजाम दिया बाराचवर ब्लाक के गांव टोडरपुर के प्रधान मुन्ना राजभर ने। मुन्ना राजभर कहते हैं कि उन्हें यह बात बार-बार कचोटती थी कि लोग लड़कियों को बोझ क्यों समझते हैं। उन्होंने सोचा कि ऐसा कुछ किया जाए जिससे जरुरतमंद परिवारों के लोगों की लड़कियों की शादी भी हो जाए और थोड़ा पुण्य भी कमाया जाए। इसलिए सामूहिक कन्यादान को हमने एक मिशन की तरह लिया।

आरएसएस से प्रभावित होने के कारण अकेले ही समाजसेवा के पथ पर निकल पड़ा और फिर कारवां बनता गया। लोगों के सहयोग से कुछ फंड भी इकट्ठा हो गया। किसी ने बारातियों के स्वागत तो किसी ने खानपान और किसी ने विवाह का खर्च देने की बात की। इससे उत्साहित होकर 51 कन्याओं की शादी कराने का फैसला ले लिया। सारी व्यवस्था होने के बाद हमने सामूहिक वैवाहिक कार्यक्रम को लिए जरुरतमंद परिवारों से रजिस्ट्रेशन कराने को कहा। ठेठ देहाती इलाका होने के कारण पहले तो लोगों में हिचकिचाहट दिखी मगर फिर 51 लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया। इनमें दो परिवार मुस्लिम थे।

वेदमंत्र व आयतें एक साथ : मुन्ना कहते हैं कि 51 कन्याओं की शादी के लिए ग्रामीणों के सहयोग से भव्य पंडाल तैयार किया गया। इसमें कर्मकांडी ब्राह्मणों ने वैवाहिक कार्यक्रम संपन्न करवाया। इसके अलावा दो मुस्लिम कन्याओं का निकाह करवाया गया। शायद यह पहला मौका होगा जब एक ही मंडप में पंडित व काजी ने एक साथ वेदमंत्र व कुरान की आयतें पढ़ीं। विवाह समारोह में हाथी और घोड़ों की विशेष व्यवस्था की गई थी। कन्याओं की विदाई के समय उनके घरेलू उपयोग की सभी वस्तुएं और मंगल सूत्र देकर उनकी विदाई की गई।

क्षेत्र पंचायत सदस्य राजाराम यादव व दयाशंकर चौबे कहते हैं कि ब्लाक स्तर पर शायद यह पहला सामूहिक विवाह कार्यक्रम था। दस हजार लोग इसके साक्षी बने। यह किसी व्यक्ति का नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र का कार्यक्रम था। कार्यक्रम में छह हजार से अधिक लोगों के खानेपीने की व्यवस्था की गई थी। इसमें किसी ने राशन की तो तो किसी ने दूध की व्यवस्था कर रखी थी यानी हर किसी ने अपने-अपने हिसाब से खर्च किया। छोटेलाल यादव, हीरालाल, रामाशंकर और ओमप्रकश चौबे कहते हैं कि इससे लोगों यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि लड़कियां कोई बोझ नहीं होती है।

कार्यक्रम को राजनीति से दूर रखा : मुन्ना कहते हैं कि यह कार्यक्रम पूरी तरह से क्षेत्र और उनके गांव के लोगों का था। इसे राजनीति से पूरी तरह दूर रखा गया। कार्यक्रम में किसी भी नेता को निमंत्रित नहीं किया गया था। वे कहते हैं कि उनका अगला लक्ष्य मरदह ब्लाक में महारे शिवमंदिर पर 101 कन्याओं की शादी कराने का है। मुस्लिम कन्याओं का हिंदू पंडाल में सामूहिक विवाह कराने पर किसी तरह की कोई आपत्ति तो नहीं उठी, इस सवाल पर वे कहते हैं कि आपत्ति उठाने वाले हर वर्ग में होते हैं। इस कार्यक्रम में दकियानूसी सोच वाले लोगों ने एतराज जताया था, लेकिन उनके इस तर्क को खारिज करने वाले भी उन्हीं के समाज के लोग भी थे।



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