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आजादी के बाद पहली बार टैक्स के दायरे में हैंडीक्राफ्ट्स और बुनकर, बढ़ी मुश्किलें
आजादी के बाद पहली बार हथकरघा और पावरलूम बुनकर टैक्स के दायरे में लाए गए हैं। अब तक भूल कर किसी तरह का टैक्स नहीं देते थे। गोरखपुर और संतकबीरनगर में सैकड़ों की संख्या में पावर लूम और बुनकर हैं लेकिन इनमें से अधिकतर को पता नहीं है कि अब उन्हें वस्तु एवं सेवा कर देना है।
गोरखपुर: आजादी के बाद पहली बार हथकरघा और पावरलूम बुनकर टैक्स के दायरे में लाए गए हैं। अब तक भूल कर किसी तरह का टैक्स नहीं देते थे। गोरखपुर और संतकबीरनगर में सैकड़ों की संख्या में पावर लूम और बुनकर हैं लेकिन इनमें से अधिकतर को पता नहीं है कि अब उन्हें वस्तु एवं सेवा कर देना है। उन्हें यह बताया गया है कि 1 जुलाई से उनके तैयार माल पर 5 फ़ीसदी टैक्स देना होगा साथ ही कई तरह के फार्म भी भरने होंगे।
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- 1 जुलाई से देशभर में जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर )लागू हो गया है। लेकिन बुनकर समाज अब तक इस से अनभिज्ञ है। समस्या जीएसटी नहीं बल्कि उनके लिए लंबी कागजी कार्यवाही है।
- नई कर बुनकरों के लिए परेशानी का सबब बना जाएगा। जीएसटी के नियमों के मुताबिक हैंडलूम अथवा पावरलूम पर तैयार करने वाले बुनकर जब अपना माल लेकर आढ़ातियो के पास जाएंगे तो उन्हें हर बार एक फार्म भरना होगा।
- उन्हें अपना पैन नंबर, टीन नंबर और जीएसटी नंबर देना होगा।
- ट्रेड से जुड़े लोगों का कहना है सारी कागजी कार्रवाई बुनकरों के बस की बात नहीं है।
- पंचानवे फ़ीसदी बुनकर अनपढ़ है और कभी कागजी कार्रवाई की परिक्रिया से नहीं गुजरे हैं।
- कारोबारियों ने जीएसटी लागू होने से बुनाई उद्योग के चौपट होने का अंदेशा जताया है।
- इक्का-दुक्का बड़े उद्योगपतियों को छोड़ दे तो परिसर में चलने वाली एक भी फैक्ट्रियां नही हैं।
- शहर के दो दर्जन मोहल्ले में घर पर पावर लूम लगाकर बुनकर शूटिंग सेटिंग के कपड़े चादर और नेपाली टोपी तैयार करते हैं।
बुनकर नेता कमरुज्जमा अंसारी का कहना है कि टैक्स के नए नियम से कारोबार बर्बाद हो जाएगा। पिछली सरकारें पूर्ण करों को सब्सिडी देती थी ताकि बड़े उद्योगपतियों के बीच गरीब बुनकर भी अपना कारोबार जारी रख सके।अधिकांश बुनकर अनपढ़ हैं उनके लिए टैक्स का सिस्टम समझना मुश्किल है।
मोहम्मद आसिफ ने बताया कि बहुत से बुनकर आढ़ातियों द्वारा दी गई डिजाइन के आधार पर सिर्फ मजदूरी पर माल तैयार करते हैं। लेकिन जीएसटी के भय से आढ़ाति भी कच्चा माल देने से मना कर रहे हैं। अगर यही हालत रही तो 50 फ़ीसदी बुनकर बेरोजगार हो जाएंगे।