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Azamgarh By Election: उलेमा काउंसिल ने दिया सपा को झटका, बसपा प्रत्याशी गुड्डू जमाली को समर्थन देने का ऐलान
Azamgarh By Election: सपा की ओर से दावा किया जा रहा है कि उलेमा काउंसिल की इस घोषणा के बावजूद बसपा प्रत्याशी गुड्डू जमाली को कोई फायदा नहीं होने वाला है ।
Azamgarh By Election: आजमगढ़ में हो रहे लोकसभा उपचुनाव (Azamgarh By Election) में राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल ने बसपा (BSP) के प्रत्याशी शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली (guddu jamali) को समर्थन देने का ऐलान किया है। राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल का यह ऐलान सपा (SP) प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव (Dharmendra Yadav) के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। आजमगढ़ के तीन विधानसभा क्षेत्रों में उलेमा काउंसिल की मजबूत पकड़ मानी जाती है और यही कारण है कि काउंसिल की घोषणा के बाद बसपा खेमे में उत्साह का माहौल दिख रहा है।
हालांकि सपा की ओर से दावा किया जा रहा है कि उलेमा काउंसिल की इस घोषणा के बावजूद बसपा प्रत्याशी गुड्डू जमाली को कोई फायदा नहीं होने वाला है मगर जानकारों का मानना है कि काउंसिल की इस घोषणा से मुस्लिम मतों में बड़ा बंटवारा हो सकता है। भाजपा की नजर भी मुस्लिम मतों के बंटवारे पर ही टिकी हुई है और यदि गुड्डू जमाली मुस्लिम मतों में बड़ी सेंधमारी में कामयाब रहे तो निश्चित रूप से भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ को इसका फायदा मिल सकता है।
सपा के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के इस्तीफे के बाद आजमगढ़ में लोकसभा का उपचुनाव कराया जा रहा है। 23 जून को होने वाले मतदान से पहले सपा, बसपा और भाजपा ने पूरी ताकत लगा रखी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी रविवार को आजमगढ़ का दौरा किया था और चुनावी जनसभाओं में जिले के विकास के लिए भाजपा को वोट देने की अपील की थी। उन्होंने आजमगढ़ में भाजपा की ओर से किए गए विकास कार्यों की चर्चा करते हुए कहा कि भाजपा की जीत के बाद जिले का और तेजी से विकास होगा।
आजमगढ़ को सपा का गढ़ माना जाता रहा है। 2014 के चुनाव में इस सीट पर सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव को जीत हासिल हुई थी जबकि 2019 में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव यहां से चुनाव जीतने में कामयाब हुए थे। अब उनके इस्तीफे के बाद ही सीट पर उपचुनाव हो रहा है। ऐसे में यह सीट सपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है।
तीन विधानसभा क्षेत्रों में काउंसिल का असर
राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल का आजमगढ़ के तीन विधानसभा क्षेत्रों सदर, गोपालपुर और मुबारकपुर में खासा असर माना जाता है। 2017 के विधानसभा चुनाव में उलेमा काउंसिल के समर्थन से बसपा जिले की चार सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब हुई थी। अब उलेमा काउंसिल ने लोकसभा उपचुनाव में बसपा को समर्थन देने की घोषणा की है।
आजमगढ़ में एम-वाई फैक्टर को सपा की बड़ी ताकत माना जाता रहा है। इसी कारण पार्टी हाल में हुए विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही थी। वैसे उलेमा काउंसिल की घोषणा से एम-वाई समीकरण में सेंधमारी तय मानी जा रही है।
सपा के पूर्व विधायक ने भी दिया झटका
राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल की इस घोषणा के अलावा पूर्व विधायक राम दर्शन यादव के भाजपा में शामिल होने से भी सपा को झटका लगा है। राम दर्शन यादव ने दो दिन पूर्व सपा से इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। आजमगढ़ के मुबारकपुर विधानसभा क्षेत्र में राम दर्शन यादव की मजबूत पकड़ मानी जाती है। ऐसे में इस क्षेत्र में सपा को वोटों का नुकसान हो सकता है।
काउंसिल के समर्थन से बसपा में उत्साह
राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल की घोषणा से बसपा खेमा उत्साहित दिख रहा है। बसपा प्रत्याशी गुड्डू जमाली ने सपा और भाजपा को चुनौती देने के लिए पूरी ताकत लगा रखी है। उलेमा काउंसिल की घोषणा से उत्साहित गुड्डू जमाली ने इसे जीत का सर्टिफिकेट तक बता डाला है।
उन्होंने कहा कि विपक्ष के लोग मतदाताओं में गलतफहमी पैदा करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि आजमगढ़ में सर्वसमाज अपने सम्मान की लड़ाई लड़ रहा है। बसपा प्रत्याशी ने मुस्लिमों और दलितों का भरपूर समर्थन मिलने का दावा भी किया। उन्होंने कहा कि मुस्लिम और दलित मतदाता सपा नेताओं के बहकावे में नहीं आने वाले हैं।
गुमराह करने की कोशिश न होंगी बेकार
राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल के प्रवक्ता तलहा रशादी ने कहा कि गुड्डू जमाली हमेशा हमारे सुख-दुख में खड़े रहे हैं। इसी कारण हमने उन्हें समर्थन देने का फैसला किया है। उन्होंने आजमगढ़ की जनता से गुड्डू जमाली को समर्थन देने की अपील भी की। उन्होंने कहा कि उलेमा काउंसिल की घोषणा के बाद आजमगढ़ के लोगों में भ्रम पैदा करने की सारी कोशिशें बेकार साबित होंगी।
सियासी जानकारों का मानना है कि उलेमा काउंसिल की घोषणा से बसपा प्रत्याशी गुड्डू जमाली को मजबूती मिली है। अब यह देखने वाली बात होगी कि वे मुस्लिम मतदाताओं में सेंधमारी में कहां तक कामयाब हो पाते हैं। अगर वे इस वोट बैंक में बड़ी सेंधमारी में कामयाब रहे तो निश्चित रूप से सपा को बड़ा झटका लग सकता है।