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Covid-19: योगी ने जारी किया दिशा-निर्देश, कहा- प्रदेश में रेमडेसिविर की कमी नहीं

रेमडेसिविर (Remdesivir) जैसी किसी भी जीवनरक्षक दवा का प्रदेश में अभाव नहीं है। हर दिन इसकी आपूर्ति बढ़ रही है।

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Newstrack Network NetworkPublished By Chitra Singh
Published on: 26 April 2021 8:11 PM IST (Updated on: 26 April 2021 8:59 PM IST)
Covid-19: योगी ने जारी किया दिशा-निर्देश, कहा- प्रदेश में रेमडेसिविर की कमी नहीं
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

लखनऊ: कोविड-19 प्रबंधन हेतु मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने दिशा-निर्देश जारी किया है। जारी किए गए दिशा-निर्देश में बताया गया है कि वर्तमान परिस्थितियों में प्रदेश के अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं स्थगित हैं। ऐसे में टेलीकन्सल्टेशन को बढ़ावा दिया जाए। कोविड होम आइसोलेशन और नॉन कोविड मरीजों के लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों की सूची/संपर्क माध्यम का व्यापक प्रचार-प्रसार कराया जाए।

होम आइसोलेशन (Home isolation) में इलाजरत मरीजों से सीएम हेल्पलाइन के माध्यम से हर दिन संवाद बनाया जाए। उन्हें न्यूनतम एक सप्ताह की अवधि के लिए मेडिकल किट उपलब्ध कराया जाए। स्वास्थ्य मंत्री के स्तर से मेडिकल किट वितरण व्यवस्था की जिलेवार समीक्षा की जाए। सीएमओ की जवाबदेही तय की जाए। दवाओं का कोई अभाव नहीं है। अस्पतालों में इलाजरत मरीजों से हर दिन संवाद बनाया जाए।

बढ़ती जा रही है ऑक्सीजन की आपूर्ति

रिपोर्ट के मुताबिक, ऑक्सीजन की आपूर्ति हर दिन बढ़ती जा रही है। रुड़की, काशीपुर, मोदीनगर के साथ-साथ बोकारो आदि प्लांट से लगातार आपूर्ति सुनिश्चित कराई जा रही है। एमएसएमई इकाइयों को भी सीधे अस्पतालों से लिंक कर आपूर्ति कराई जा रही है। टाटा और रिलायंस समूहों की ओर से भी प्रदेश को ऑक्सीजन आपूर्ति का प्रस्ताव मिला है। सम्बंधित लोगों से संवाद कर तत्काल आपूर्ति सुनिश्चित कराई जाए।

सभी जिलों के प्रत्येक छोटे-बड़े अस्पताल की स्थिति पर नजर रखी जाए। जिसे भी जरूरत होगी, ऑक्सीजन जरूर मुहैया कराई जाए। ऑक्सीजन के सुचारु आपूर्ति-वितरण के लिए प्रदेश के सात संस्थाओं द्वारा ऑक्सीजन की ऑडिट भी कराई जा रही है।

ऑक्सीजन की आपूर्ति (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

ऑक्सीजन टैंकरों की संख्या बढ़ाये जाने के सम्बंध में विशेष प्रयास की जरूरत है। इसमें भारत सरकार से भी सहयोग प्राप्त किया जा सकता है। ऑक्सीजन टैंकर को जीपीएस से जोड़ते हुए इनके संचालन की ऑनलाइन मॉनिटरिंग की जाए।

संक्रमित मरीज को भर्ती के लिए अस्पताल मना नहीं सकता

कोई भी सरकारी अथवा निजी अस्पताल बेड उपलब्ध होने पर कोविड पॉजिटिव मरीज को भर्ती के लिए मना नहीं कर सकता है। यदि सरकारी अस्पताल में बेड उपलब्ध नहीं है, तो संबंधित अस्पताल उसे निजी चिकित्सालय में रेफर करेगा। निजी हॉस्पिटल में मरीज भुगतान के आधार पर उपचार कराने में यदि सक्षम नहीं होगा, तो ऐसी दशा में राज्य सरकार आयुष्मान भारत योजना के तहत अनुमन्य दर पर वहां उसके इलाज का भुगतान करेगी।

हर दिन की परिस्थितियों पर दृष्टि रखते हुए शासन द्वारा हर दिन नीतिगत प्रयास किए जा रहे हैं। सभी मंडलायुक्त/जिलाधिकारी शासन के सतत संपर्क में रहें। व्यापक जनहित में कोई निर्णय लेने से पूर्व शासन को अवगत जरूर कराएं। आमजन को सुविधा/राहत देने के संबंध में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करें।

अस्पताल (कॉन्सेप्ट फोटो- सोशल मीडिया)

कोविड से लड़ाई जीत चुके बहुत से लोग मरीजों की सेवा के इच्छुक हैं। ऐसे लोगों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। इनकी जिलेवार सूची तैयार कराएं। इनमें चिकित्सक होंगे, सैन्य कर्मी होंगे, पैरामेडिकल स्टाफ आदि हो सकते हैं।आवश्यकतानुसार अस्पतालों आदि में इनकी सेवाएं ली जाएं।

यूपी में रेमडेसिविर का अभाव नहीं

रेमडेसिविर (Remdesivir) जैसी किसी भी जीवनरक्षक दवा का प्रदेश में अभाव नहीं है। हर दिन इसकी आपूर्ति बढ़ रही है। जिलों की मांग को देखते हुए रेमेडेसीवीर के पर्याप्त वॉयल उपलब्ध कराए जाएं। सरकारी अस्पतालों में यह इंजेक्शन निःशुल्क उपलब्ध है, जरूरत होगी तो निजी अस्पतालों को भी तय दरों पर रेमेडेसीवीर मुहैया कराई जाए। इसके साथ-साथ इसकी कालाबाजारी पर पुलिस लगातार नजर रखे।

रेमडेसिविर (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

विगत 24 घंटों में प्रदेश में 26,719 लोग उपचारित होकर डिस्चार्ज हुए हैं। प्रदेश में अब तक 8.04 लाख से अधिक लोग कोविड संक्रमण से मुक्त हो चुके हैं। यह सुखद स्थिति 'दवाई भी-कड़ाई भी' के सूत्र को प्रभावी ढंग से अमल में लाने का परिणाम है। हमें टेस्टिंग और ट्रेसिंग को दोगुनी क्षमता में बढ़ाने की जरूरत है। इस दिशा में कार्यवाही की जाए।

इंटीग्रेटेड कमांड एन्ड कंट्रोल सेंटर से मरीज को जो अस्पताल आवंटित किया गया है, वहां उसे एडमिट करना अनिवार्य है। जिलाधिकारी यह सुनिश्चित कराएं। अन्यथा की दशा में जिम्मेदार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। मुख्यमंत्री कार्यालय से इसकी मॉनिटरिंग की जाए।



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