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गुरुपूर्णिमा के दिन सीएम बने गुरु, शिष्यों को दिया आशीर्वाद

sudhanshu
Published on: 27 July 2018 12:13 PM GMT
गुरुपूर्णिमा के दिन सीएम बने गुरु, शिष्यों को दिया आशीर्वाद
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गोरखपुर: आज गुरुपूर्णिमा है, आज के दिन गुरु अपने शिष्य को आशीर्वाद देता है और शिष्य अपने गुरु के आशीर्वाद को लेकर उसके एवज में उन्हें गुरु दक्षिणा देता है। पहले सांसद रहे योगी आदित्यनाथ आज प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, फिर भी उनकी परम्पराओं में कोई भी तब्दीली नहीं आई है और आज के दिन भी सीएम योगी पहले की तरह अपने शिष्यों को आशीर्वाद देते नजर आये |

हर साल की तरह मनाया पर्व

गोरखनाथ मंदिर में आज सीएम योगी ने जनता दरबार के बाद हर साल की तरह आयोजित होने वाले गुरू पूर्णिमा के कार्यक्रम में शिरकत करके अपने शिष्यों को आशीर्वाद दिया। वहीं अपने गुरु का आशीर्वाद लेने आए शिष्य भी दूर दराज से आये हुए थे। कोई इंदौर से तो कोई नोएडा से, कोई अयोध्या से तो कोई किसी आश्रम से आकर अपने गुरु से आशीर्वाद लेकर उन्हें दक्षिणा भी दी।

सीएम ने दी गुरू पूर्णिमा की बधाई

इस मौके पर सीएम योगी ने कहा, कि भारत की श्रेष्ठ परम्पराओं में अनेक प्रकार के ऐसे अवसर आते हैं, जब श्रेष्ठ जनों के प्रति सम्मान, महापुरुषों से जुडी हुई पवित्र तिथियों से समाज प्रेरति होता है। उससे प्रेरणा प्राप्त होती है। व्‍यास पूर्णिमा यानी गुरु पूर्णिमा उसी परम्परा का एक महत्वपूर्ण पर्व है। ये एक बहुत महत्वपूर्ण तिथि इसलिए भी है, कि महर्षि व्यास जी को आदिगुरू की उपाधि देकर भारत की सनातन परम्परा, वेदों-पुराणों और धार्मिक साहित्‍यों को एक नई प्रेरणा दे करके इस समाज की प्रेरणा और प्रकाश देने के लिए जो मार्ग निर्देशन महर्षि व्यास जी ने इस समाज को दिया है, उस परम्परा के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने के लिए उनकी जन्म तिथि व्यास पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाकर के अपने श्रेष्ठ जनों के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करने का अवसर प्राप्त होता है। आज वो अवसर है। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर आज सभी प्रदेश वासियों को मैं हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं।

गुरू के रूप में नजर आए सीएम

गुरुपूर्णिमा को पूरे देश में गुरु के आशीर्वाद के लिए शिष्य उनके पास पहुंच कर उनसे आअशिर्वाद ले रहे हैं, लेकिन गोरखनाथ मंदिर का नजारा कुछ और ही है, क्योकि प्रदेश के मुख्मंत्री आज उसी गुरु के रूप में नजर आये, जब पहले सांसद और गोरक्षपीठाधीश्वर थे। दूर दराज से शिष्य उनसे आशीर्वाद लेने के लिए मंदिर पहुंचे थे।

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