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Gyanvapi Masjid Case : ज्ञानवापी मामले में SC ने केस जिला जज को किया ट्रांसफर, सील रहेगा शिवलिंग वाला हिस्सा

Gyanvapi Masjid Case Update: अतिरिक्त सुप्रीम कोर्ट में हिन्दू पक्ष द्वारा दावा ठोंका गया है कि जिस स्थान पर आज ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण है वहां पहले मंदिर हुआ करता था।

Rajat Verma
Written By Rajat VermaBy MonikaNewstrack aman
Published on: 20 May 2022 11:00 AM GMT (Updated on: 20 May 2022 11:12 AM GMT)
Gyanvapi Masjid
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Gyanvapi Masjid (Image Credit : Social Media) 

Gyanvapi Masjid Case Live Update: ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में दोपहर 3 बजे सुनवाई शुरू हुई। इससे पहले, गुरुवार को हिंदू पक्ष ने 278 पन्नों का हलफनामा सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल किया था। ज्ञानवापी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान तीन बड़ी बातें कहीं। सर्वोच्च न्यायालय ने वाराणसी जिला जज को केस ट्रांसफर कर दिया है। वहीं, कोर्ट ने कहा, कि वजू की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही, शिवलिंग का हिस्सा सील रहेगा।

वहीं, दूसरी तरफ ज्ञानवापी मस्जिद में आज, शुक्रवार को जुमे की नमाज पढ़ी गई। जिसे लेकर वहां सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए। दरअसल, मस्जिद के पास काफी भीड़ बढ़ गई थी। इस बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी ज्ञानवापी से जुड़े मामले पर सुनवाई हुई। अदालत अब इस मामले पर 6 जुलाई को सुनवाई करेगा।

ज्ञानवापी मामले पर सुप्रीम कोर्ट में 3 जजों की बेंच सुनवाई कर रही है। शाम 4 बजे तक कोर्ट सुनवाई करेगी। ज्ञानवापी मामले पर सुप्रीम कोर्ट में 3 जजों की बेंच सुनवाई कर रही है। शाम 4 बजे तक कोर्ट सुनवाई करेगी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने तीन सुझाव दिए। साथ ही, जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, 'जिला अदालत को भी सुनना चाहिए। जिला जज को हम निर्देश नहीं दे सकते। जिला जज अनुभवी न्यायिक अधिकारी होते हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ बोले, जिला जज अपने हिसाब से सुनवाई करें।'

सर्वे की रिपोर्ट कैसे लीक हुई?

सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने भी अपनी बात रखी। मुस्लिम पक्ष के वकील ने पूछा, 'ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे की रिपोर्ट कैसे लीक हुई? साथ ही आरोप लगाया कि, जानबूझकर रिपोर्ट लीक की गई।'

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की मुख्य बातें :

सुप्रीम कोर्ट ने अपने सुझाव में कहा है, कि अगर हमारे अंतरिम आदेश को जारी रखा जाता है और जिला जज को मामले की सुनवाई की अनुमति दी जाती है, तो यह सभी पक्षों के हितों की रक्षा करेगा।

इस पर हिन्दू पक्ष के वकील वैद्यनाथन ने कहा, मुस्लिम पक्ष की दलील का कोई मतलब नहीं है। आयोग की रिपोर्ट पर न्यायालय विचार करे तो उचित होगा।

हम उन्हें निर्देश नहीं देना चाहते

जिस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, 'इसलिए हम सोच रहे थे कि जिला जज मामले की सुनवाई कर सकते हैं। वे जिला न्यायपालिका में सीनियर जज हैं। वो जानते हैं कि आयोग की रिपोर्ट जैसे मुद्दों को कैसे संभालना है। हम यह निर्देश नहीं देना चाहते कि उन्हें क्या करना चाहिए।'

'.. तो माहौल खराब हो सकता है'

जस्टिस चंद्रचूड़ के इतना कहने के बाद, मुस्लिम पक्षकारों के वकील हुजैफा अहमदी ने कहा, 'ट्रायल कोर्ट द्वारा अब तक जो भी आदेश दिए गए हैं, वो माहौल खराब कर सकते हैं। कमीशन बनाने से लेकर अब तक जो भी आदेश आए हैं, उसके जरिए दूसरे पक्षकार गड़बड़ कर सकते हैं। स्टेटस को यानी यथास्थिति बनाए रखी जा सकती है।'

यथास्थिति बरकरार रखें

मुस्लिम पक्षकार के वकील हुफैजा अहमदी ने मांग की, कि '500 साल से उस स्थान को जैसे इस्तेमाल किया जा रहा था उसे बरकरार रखा जाए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हमने जो महसूस किया वह सबसे पहले हम आदेश 7 नियम 11 पर निर्णय लेने के लिए कहेंगे। और जब तक यह तय नहीं हो जाता है, कि हमारा अंतरिम आदेश संतुलित तरीके से लागू रहेगा। दूसरी तरफ, अहमदी ने कहा कि मामले को अगर निचली अदालत को भेजा जाता है तो ज्ञानवापी मस्जिद पर यथास्थिति को बनाए रखा जाए। उन्होंने कहा, सर्वे के लिए कमीशन बनाया जाना ही असंवैधानिक है। उनका कहना है कि, हमें मौका दिया जाए। एक नैरेटिव सेट करने की कोशिश की जा रही है कि ये मामला इतना आसान नहीं है। परिसर में यथास्थिति तो बीते 500 सालों से है। उन्होंने मांग की, कि यदि मामला वाराणसी कोर्ट जाता है तो भी वही यथास्थिति बनाए रखी जाए।'

कोर्ट ने ये भी कहा

सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा, कि 'यह तय करने के लिए कि जांच कमीशन की नियुक्ति का आदेश सही था या नहीं उस बारे में एक पैनल नियुक्त किया जा सकता है। मगर, जिस क्षण हम अंतरिम आदेश जारी रखते हैं, इसका मतलब है कि हमारा आदेश जारी है।

हमारी SLP आयोग की नियुक्ति के खिलाफ

मामले की सुनवाई जब आगे बढ़ी तो मुस्लिम पक्ष के वकील अहमदी ने दलील दी, कि 'हमारी SLP आयोग की नियुक्ति के खिलाफ है। इस प्रकार की शरारत रोकने के लिए ही 1991 का अधिनियम बनाया गया था। कहानी बनाने के लिए आयोग की रिपोर्ट को चुनिंदा रूप से लीक किया गया है।'

'जज के विवेक पर न हो दबाव या अंकुश'

वहीं, हिंदू पक्षकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील वैद्यनाथन ने अपनी दलील में कहा, कि 'हम न्यायाधीश के विवेक पर किसी तरह का दबाव या अंकुश नहीं चाहते हैं। सुनवाई के दौरान पहले क्या होना चाहिए, ये जिला जज के विवेक पर छोड़ देना चाहिए।

तो कल इसी तरह अन्य मामले भी आएंगे सामने

मुस्लिम पक्ष के वकील अहमदी ने कोर्ट में कहा, कि 'वाराणसी कोर्ट के आदेश के आधार पर पांच और मस्जिदों के लिए ये सब इस्तेमाल किया जा रहा है। अगर, आज इसे अनुमति दी जाती है तो आने वाले समय में कोई इसी तरह से किसी और मस्जिद के नीचे मंदिर होने का नैरेटिव सेट करेगा। इससे देश में सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ेगा। अदालती आदेश के बाद पिछले 500 साल से चली आ रही यथास्थिति को बदल दिया गया है।'

शांति-भाईचारा हमारे लिए सबसे ऊपर

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, कि 'समाज के विभिन्न समुदायों के बीच भाईचारा और शांति हमारे लिए सबसे ऊपर है। हमारा अंतरिम आदेश जारी रह सकता है। इससे हर ओर शांति बनी रहेगी। उन्होंने कहा, पहले ट्रायल कोर्ट को मुस्लिम पक्ष की अपील, दलील तथा 1991 के उपासना स्थल कानून के उल्लंघन की अर्जी पर सुनवाई करने दें।'

DM से वजू के वैकल्पिक इंतजाम को कहेंगे

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा, कि 'मस्जिद में हमें वज़ू करने की अनुमति नहीं है। उस पूरे हिस्से को सील कर दिया गया है। जहां अब तक वजू किया जाता रहा है।' इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, हम जिलाधिकारी से वैकल्पिक इंतजाम करने को कहेंगे। सॉलिसिटर जनरल ने कहा, कि 'इसके भी इंतजाम किए गए हैं।'

आयोग की रिपोर्ट लीक होने पर कोर्ट नाराज

मुस्लिम पक्ष की तरफ से लगातार मामला उठाए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने आयोग की रिपोर्ट लीक होने पर नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने कहा, कि 'आयोग की रिपोर्ट लीक नहीं होनी चाहिए। उसे केवल न्यायाधीश के समक्ष पेश की जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा, कि मीडिया में लीक बंद होनी चाहिए।'

वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद विवाद को लेकर जारी सर्वेक्षण बीते दिन समाप्त हो गया है। इस बाबत अब सर्वेक्षण कर रही कोर्ट द्वारा गठित टीम ने गुरुवार को ही अपनी रिपोर्ट वाराणसी सत्र न्यायालय को सौंप दी है। इसके अतिरिक्त सुप्रीम कोर्ट में हिन्दू पक्ष द्वारा दावा ठोंका गया है कि जिस स्थान पर आज ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण है वहां पहले मंदिर हुआ करता था, जिसे औरंगज़ेब ने ढहाकर मस्जिद का निर्माण करवाया। इसी के साथ अब हिन्दू पक्ष द्वारा मस्जिद के वजूखाने में मिले एक आकर को शिवलिंग होने का दावा करते हुए मस्जिद की पूरी जमीन को भगवान का बताया जा रहा है।

इलाहाबाद HC ने टाला ज्ञानवापी मामला

वहीं, ज्ञानवापी विवाद से जुड़े मामले में शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस प्रकाश पाडिया की एकल बेंच ने मामले की सुनवाई की। मामले की अगली सुनवाई अब 6 जुलाई को होगी। आज सबसे पहले हिंदू पक्ष की बची हुई बहस पूरी की। स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर पक्षकार की तरफ से उनके वाद विजय शंकर रस्तोगी ने बहस की। हिंदू पक्ष की बहस पूरी होने के बाद यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता पुनीत गुप्ता ने बहस की। अगली सुनवाई पर मुस्लिम पक्षकार बहस जारी रखेंगे। समय बचा तो आज यूपी सरकार भी अपना पक्ष रखेगी। दरअसल, हाईकोर्ट को मुख्य रूप से यही तय करना है, कि वाराणसी की अदालत में 31 साल पहले 1991 में दाखिल मुकदमे की सुनवाई हो सकती है या नहीं। साथ ही, एएसआई से खुदाई कराकर सर्वेक्षण कराए जाने सहित अन्य मुद्दों पर भी बहस होगी।

इसी के साथ हिन्दू पक्ष का सर्वे के आधार पर दावा है कि विवादित स्थल मस्जिद नहीं बल्कि मंदिर है। आपको बता दें कि सर्वेक्षण टीम ने अपना सर्वे पूरा कर लिया है और सर्वे रिपोर्ट वाराणसी न्यायालय को सौंप दी है लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने एक वकील के अस्वस्थ्य होने के चलते सुनवाई टालते हुए वाराणसी न्यायालय ने भी अब अपना सुनवाई के लिए अगली तारीख 23 मई सुनिश्चित की है।

फिलहाल आज सुप्रीम कोर्ट में ज्ञानवापी मस्जिद मामले में हिन्दू पक्ष द्वारा किए जा रहे दावों और सर्वे में मिले सबूतों के आधार पर सुनवाई है।

कोर्ट कमिश्नर ने जमा की विस्तृत रिपोर्ट

ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे को लेकर न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेष सहायक आयुक्त अधिवक्ता विशाल सिंह ने सर्वेक्षण के विषय में जानकारी देते हुए कहा कि-"मैनें सर्वे पूरा कर अपनी विस्तृत रिपोर्ट, फोटो और वीडियो साक्ष्य के साथ अदालत को सौंप दी है। सुप्रीम कोर्ट के आज के आदेश का पालन सभी को करना होगा।

आपको बता दें कि मस्जिद के वजूखाने में सर्वे के दौरान वहां से एक आकार बरमाद हुआ था जिसे हिन्दू पक्ष और उनके वकील द्वारा शिवलिंग बताया जा रहा है वहीं दूसरी ओर मुस्लिम और मस्जिद पक्ष के लोगों ने इस दावे को बेबुनियाद बताते हुए उस आकार को एक फाउंटेन बताया है। हालांकि, न्यायालय ने मामले का संज्ञान लेते हुए विवादित जगह यानी वजूखाना को नौ तालों में बंद कर पूरी तरह सील कर दिया है और मामले में अग्रिम कार्यवाही तक इसे नहीं खोला जाएगा।




Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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