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Gyanvapi masjid case: सुप्रीम कोर्ट ने कहा-जहाँ मिला है शिवलिंग उसकी हो सुरक्षा, नमाज ना हो बाधित

Gyanvapi Masjid Case Live Update: सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख 19 मई को तय की है।

Bishwajeet Kumar
Report Bishwajeet KumarWritten By aman
Published on: 17 May 2022 9:15 AM GMT (Updated on: 17 May 2022 12:18 PM GMT)
Gyanvapi Masjid Case
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Gyanvapi Masjid Case (Image Credit : Social Media)

Gyanvapi Masjid Case Update Today: सुप्रीम कोर्ट ने आज ज्ञानवापी मामले पर सुनवाई करते हुए कहा है कि जिस जगह पर शिवलिंग मिला है उसकी कड़ी सुरक्षा की जाए। साथ ही उच्चतम न्यायालय ने यह भी कि कहा है कि नमाज किसी भी तरह बाधित न हो। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि यह प्रशासन को तय करना है कि नमाजियों को कोई असुविधा ना हो। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख 19 मई को तय की है।

ज्ञानवापी मामले पर आज सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मामला अभी निचली अदालत में है। निचली अदालत इस मामले पर जल्द से जल्द फैसला दे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब हाई कोर्ट ने किसी भी तरह की का हस्तक्षेप करने से मन किया था तो निचली अदालत ने वहां सर्वे करने का आदेश कैसे दे दिया। बता दें कि इससे पहले, ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) मामले में सिविल कोर्ट के आदेश के बाद सोमवार को मस्जिद परिसर के सर्वे और वीडियोग्राफी का काम पूरा कर लिया गया। तीन दिनों तक यह सर्वे कार्य चला।

निचली अदालत ने नमाजियों की संख्या की थी सीमित

स्थानीय कोर्ट ने सोमवार को हिंदू पक्ष की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई की थी। सुनवाई के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के उस हिस्से को सील करने का आदेश दिया था, जहां कथित शिवलिंग मिलने का दावा किया गया। इस दौरान अदालत ने नमाजियों की संख्या भी सीमित कर दी थी।

शिवलिंग को न पहुंचे नुकसान

अदलता के आदेश पर यूपी के लिए पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, कि वज़ूखाने में शिवलिंग मिला है। यह हाथ-पैर धोने की जगह है। उन्होंने कहा, नमाज़ की जगह अलग होती है। इस बात की आशंका है कि शिवलिंग को नुकसान न पहुंचे।' इस पर सुप्रीम कोर्ट के जज ने कहा, हम सुरक्षा का आदेश देंगे। जिस पर सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा, कि 'मैं पूरी सूचना लेने के बाद कल जानकारी देना चाहता हूं। आपके आदेश का कोई अवांछित असर न पड़े, हम यह चाहते हैं।'

'शिवलिंग का संरक्षण जरूरी'

सुनवाई के दौरान अहमदी ने कहा, कि इस आदेश से जगह की स्थिति बदल जाएगी। उन्होंने बताया, वज़ू के बिना नमाज नहीं होती। उस जगह का इस्तेमाल सदियों से हो रहा है। इसके बाद जस्टिस ने कहा, कि हम गुरुवार को सुनवाई करेंगे। अभी हम उस जगह के संरक्षण का आदेश बरकरार रखेंगे। अगर वहां शिवलिंग मिला है, तो उसका संरक्षण भी जरूरी है। लेकिन, अभी नमाज नहीं रोकी जानी चाहिए। हम जिलाधिकारी को इसका निर्देश देंगे।

उधर, इस सर्वे के खिलाफ मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में याचिका दायर कर चुका है। जिस पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस चंद्रचूड़ ने सुनवाई की। बता दें कि, इस सर्वे की बात सामने आने के बाद से ही मुस्लिम पक्ष की ओर से लगातार सर्वे का विरोध किया जा रहा था। शुरुआती दिनों में सर्वे प्रक्रिया शुरू भी नहीं हो पाए थे, मगर सिविल कोर्ट की सख्ती के बाद कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच शनिवार, रविवार और सोमवार को मस्जिद परिसर के सर्वे का काम पूरा किया गया।

मुस्लिम पक्ष के खिलाफ SC पहुंची हिंदू सेना

आज ज्ञानवापी मस्जिद परिसर सर्वे मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्ष द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई होनी है। सुनवाई शुरू होने से पहले ही हिंदू सेना के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से यह अपील की है कि मुस्लिम पक्ष की याचिका रद्द की जाए। हिंदू सेना का कहना है कि इस सर्वे के दौरान किसी कानून का उल्लंघन नहीं किया जाएगा।

सिविल कोर्ट में आज पेश नहीं होगी सर्वे रिपोर्ट

वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में शनिवार रविवार और सोमवार को वीडियोग्राफी और सर्वे का काम पूरा हो जाने के बाद आज सर्वे टीम वाराणसी के सिविल कोर्ट में विस्तृत रिपोर्ट पेश करने वाली थी मगर इस को लेकर देरी हो सकती है। कोर्ट कमिश्नर ने बताया कि आज हम सर्वे को लेकर सिविल कोर्ट में एक एप्लीकेशन देंगे सर्वे की फाइनल रिपोर्ट सबमिट होने में अभी करीब 1 हफ्ते का वक्त लग सकता है।

सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई

ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वे को लेकर मुस्लिम पक्ष की ओर से शुरुआत से ही विरोध किया जा रहा था। बीते दिन सर्वे पूरा होने जाने के बाद भी मुस्लिम पक्ष अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुका है। मस्जिद परिसर के सर्वे को लेकर आज मुस्लिम पक्ष की ओर से प्लेस ऑफ़ वरशिप एक्ट 1991 (Places of Worship Act 1991) के आधार पर दायर की गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा। मुस्लिम पक्ष की ओर से यह दलील दी जाएगी कि जब 1991 में खुद सुप्रीम कोर्ट ने इन कानूनों पर मुहर लगाया था फिर इनका ही उल्लंघन होकर ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कैसे हुआ।

बता दें आज ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वे मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पी एस नरसिम्हा राव की बेंच सुनवाई करेगी। गौरतलब है कि जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने ही Worship Act 1991 को सही माना था। साल 2019 के 9 नवंबर को इसी एक्ट के तहत पांच जजों की बेंच ने अयोध्या के राम जन्मभूमि मामले को लेकर फैसला सुनाया था उस वक्त जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने Places of Worship Act 1991 का हवाला देते हुए अयोध्या मामले में राम मंदिर बनाए जाने को लेकर फैसला सुनाया गया था।

Places of Worship Act 1991 क्या है?

वर्ष 1991 में नरसिम्हा राव की सरकार ने देश के धार्मिक स्थलों को लेकर उपासना स्थल कानून बनाया था। इस कानून को ही Places of Worship Act 1991 के नाम से जाना जाता है। 90 के दशक में नरसिम्हा राव की सरकार ने इस कानून को बनाना इसलिए हम समझा क्योंकि उस वक्त देश में अयोध्या राम जन्म भूमि आंदोलन मैं लगातार उग्रता बढ़ती जा रही थी। इस कानून के जरिए नरसिम्हा राव सरकार देश में पनप रही बड़े आंदोलन को शांत कराना चाह रही थी।

Places of Worship Act 1991 पारित होने के तुरंत बाद सही देशभर में यह प्रावधान हो गया कि अयोध्या की बाबरी मस्जिद के अलावा देश के किसी भी अन्य धार्मिक स्थल पर किसी दूसरे धर्म के लोग दावा नहीं कर सकेंगे तथा 15 अगस्त 1947 के बाद जो भी धार्मिक स्थल अपने जगह पर है उन सभी धार्मिक स्थलों को यह एक्ट संरक्षण देगा इसके तहत इन धार्मिक स्थलों में किसी भी तरह का बदलाव किया छेड़छाड़ नहीं किया जा सकेगा। 90 के दशक में राम मंदिर आंदोलन को लेकर परिस्थितियां उग्र होने के कारण सरकार ने बाबरी मस्जिद को इस कानून से अलग कर दिया हालांकि अब मुस्लिम पक्ष ज्ञानवापी मस्जिद मामले में इसी कानून का हवाला देते हुए आज सुप्रीम कोर्ट में अपनी दलीलें पेश करेगी।

उपासना स्थल कानून को खत्म करने की उठ रही मांग

देश में उपासना स्थल कानून अर्थात Places of Worship Act 1991 को खत्म करने की मांग एक बार फिर तेजी से उठने लगी है। इतिहास में हुई गलतियों को सुधारने का हवाला देते हुए भारतीय जनता पार्टी के नेता अश्वनी उपाध्याय ने हाल ही में एक जनहित याचिका दायर कर इस उपासना स्थल कानून 1991 को खत्म करने की मांग की है। इस याचिका में उनके तरफ से यह दलील दी जा रही है कि इस्लामिक शासकों ने दूसरे धर्म के पूजा स्थलों तथा तीर्थ स्थलों का विध्वंस कर उन सभी जगहों को इस्लामिक ढांचे में तब्दील कर लिया इतिहास की इन गलतियों में सुधार लाया जाना जरूरी है तथा इस कानून को खत्म कर ही अतीत में हुए इन गलतियों को सुधारा जा सकता है। याचिकाकर्ता अश्वनी उपाध्याय ने कहा कि या एक्ट कई मायने में गैर संवैधानिक भी है उन्होंने कहा एक्ट संविधान में मौजूद समानता के अधिकार का हनन करता है, साथ ही संविधान के अनुच्छेद 29, 26, 25, 21 और 14, 15 का उल्लंघन करता है। हमारे संविधान में सभी धर्मों को और सभी लोगों को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार है। मगर प्लेसिस आफ वरशिप एक्ट 1991 के प्रावधान इन सभी अधिकारों का उल्लंघन करते हैं।

बता दें बीजेपी नेता अश्वनी उपाध्याय के अलावा कुछ पुजारियों के संगठन द्वारा भी इस एक्ट को खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। पुजारियों का यह दलील है कि इस एक्ट को खत्म करने के बाद काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित ज्ञानवापी मस्जिद विवाद को तथा मथुरा जन्मस्थली विवाद को भी आसानी से निपटाया जा सकेगा। अब देखना यह होगा कि आज सुप्रीम कोर्ट में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर सर्वे मामले में कोर्ट की ओर से क्या फैसला लिया जाता है साथ ही सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिकाओं को लेकर भविष्य में कोर्ट का रुख क्या होता है।

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