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Gyanvapi Masjid Case: ज्ञानवापी मामले में 26 मई को होगी अगली सुनवाई, कोर्ट ने दोनों पक्ष से आपत्ति मांगी
Gyanvapi Masjid Case: कोर्ट के फैसले से ही ये तय होगा, कि केस की सुनवाई किस दिशा में आगे बढ़ेगी। साथ ही, सबसे पहले किस याचिका पर सुनवाई की जाए।
Gyanvapi Masjid Case : Gyanvapi Masjid Case : ज्ञानवापी मस्जिद विवाद (Gyanvapi Masjid controversy) के बीच आज, मंगलवार का दिन बेहद अहम रहा। इस मामले पर वाराणसी की जिला अदालत (Varanasi District Court) में सुनवाई हुई। जिसके बाद कोर्ट ने 26 मई तक के लिए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
वाराणसी की जिला अदालत में आज ज्ञानवापी केस में फैसला सुनाया जाना था। जिला जज अजय कृष्ण विश्वेशा आज यह तय करने वाले थे कि, किस याचिका पर पहले सुनवाई की जाए। बता दें, कि सर्वोच्च न्यायालय ने ज्ञानवापी मामले से जुड़ी सभी याचिकाओं को सेशन कोर्ट से जिला अदालत में ट्रांसफर करने का आदेश दिया था। सोमवार को जिला जज से दोनों पक्षों को 45 मिनट तक सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
वाराणसी की जिला अदालत थोड़ी देर में ज्ञानवापी केस में फैसला सुनाएगा। जिला जज अजय कृष्ण विश्वेशा यह तय करेंगे, कि किस याचिका पर पहले सुनवाई की जाएगी। बता दें, कि सर्वोच्च न्यायालय ने ज्ञानवापी मामले से जुड़ी सभी याचिकाओं को सेशन कोर्ट से जिला अदालत में ट्रांसफर करने का आदेश दिया था। सोमवार को जिला जज से दोनों पक्षों को 45 मिनट तक सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
32 लोगों को ही जज के चेंबर में जाने की इजाजत
सरकारी वकील महेन्द्र पांडेय मंगलवार को समय से कोर्ट पहुंच गए हैं। मामले में थोड़ी देर में सुनवाई शुरू होगी। पुलिस सूची में शामिल वादी-प्रतिवादी पक्ष के लोगों और वकीलों को ही अंदर कोर्ट रूम में जाने दे रही है। कुल 32 लोगों को जज के चेंबर में जाने की इजाजत है।
वाराणसी की जिला अदालत में सोमवार को हिंदू पक्ष ने मांग की, कि पहले कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर सुनवाई आगे बढ़ाई जाए। हिन्दू पक्ष की ये भी मांग रही कि, ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग की फोटो और वीडियोग्राफी भी देखी जाए। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हिंदू पक्ष ने सर्वे कमीशन की रिपोर्ट (Survey Commission Report) पढ़ने को भी कहा। अदालत से ये भी कहा कि, इस मामले में 'प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991' (Places of Worship Act 1991) लागू नहीं होता।
मुस्लिम पक्ष- यझ केस सुनने लायक ही नहीं
इसके जवाब में मुस्लिम पक्ष ने कहा, कि मामले की सुनवाई आदेश 7 के नियम 11 के तहत होनी चाहिए। उन्होंने कहा, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, उनकी याचिका को प्राथमिकता दी जाए। मुस्लिम पक्ष ने ये भी कहा कि यह केस सुनने लायक ही नहीं है।
अश्विनी उपाध्याय ने SC में दाखिल की एक और याचिका
वहीं, इस मामले के बीच एक अन्य याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई है। सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय (Ashwini Upadhyay) ने याचिका दायर कर मांग की है, कि उनका पक्ष भी सुना जाए। उपाध्याय ने कहा, कि यह मामला सीधे तौर पर उनकी धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार से जुड़ा हुआ है। सदियों से वहां भगवान आदि विश्वेश्वर की पूजा होती रही है। अतः यह सम्पत्ति हमेशा से उनकी रही है। किसी सूरत में सम्पत्ति से उनका अधिकार नहीं छीना जा सकता है।