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Gyanwapi Case: 35 दिन बाद शुरू हुई सुनवाई में मुस्लिम पक्ष ने पेश की दलीलें, 12 जुलाई को होगी अगली सुनवाई
Gyanvapi Masjid Case: ज्ञानवापी प्रकरण में केस पर जिला जज की अदालत में अब 12 जुलाई को सुनवाई होगी।
Gyanwapi Case: बहुचर्चित ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी मंदिर विवाद (Gyanvapi Mosque – Shringar Gauri Temple Controversy) पर करीबन 35 दिन बाद सोमवार 4 जुलाई से एक बार फिर सुनवाई शुरू हुई है। राखी सिंह समेत पांच महिलाओं की तरफ से दाखिल वाद पर जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत (District Judge Dr Ajay Krishna Vishwesh Court) में आज सुनवाई हुई। आपत्ति के 52 में से 51 बिंदुओं पर मुस्लिम पक्ष ने दलीलें पेश की। सबको सुनने के बाद अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 12 जुलाई तय कर दी।
12 जुलाई को जब मुस्लिम पक्ष की जिरह पूरी हो जाएगी। इसके बाद हिंदू पक्ष अपनी अपने दलील पेश करेगा कि मुकदमा सुनवाई योग्य क्यों है। बता दें कि कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश पर ऑर्डर 7 रूल 11 के तहत वाद सुनवाई योग्य है या नहीं, इस पर बहस हो रही है। अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी (Anjuman Intejamiya Masajid Committee) के वकील अभय यादव (Advocate Abhay Yadav) अगली सुनवाई पर मुकदमे के खारिज होने के आधार को साफ करेंगे।
सुनवाई को लेकर सुरक्षा के भारी इंतजाम
अदालत परिसर में आज सुनवाई को लेकर सुरक्षा के भारी इंतजाम किए गए थे। भारी संख्या में फोर्स की तैनाती की गई थी। एंट्री गेट पर भी चौकसी बढ़ा दी गई थी। सुनवाई के लिए न्यायलय कक्ष में सिर्फ वादी – प्रतिवादी व अधिवक्ताओं को ही प्रवेश दिया गया था। सुनवाई से पहले हिंदू पक्ष ने भगवान काशी विश्वनाथ (Lord Kashi Vishwanath) के दर्शन किए। उनके साथ वकील विष्णु शंकर जैन भी थे। उन्होंने कहा, मुस्लिम पक्ष के मुताबिक मामला चलने योग्य नहीं है मगर हमने कहा है कि ये बनाए रखने योग्य है। वहां पूजा करने की हमारी मांग कानूनी रूप से मान्य है।
हिंदू पक्षकार राखी सिंह ने बदले वकील
हिंदू पक्षकारों में से एक राखी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के वकील हरिशंकर जैन और विष्णु जैन को हटा दिया है। मान बहादुर सिंह, शिवम गौड़ और अनुपम द्विवेदी अब केस लड़ेंगे। इस संबंध में राखी सिंह की तरफ से वकालतनामा दाखिल कर दिया गया है। सोमवार को सुनवाई से पहले राखी सिंह के पैरोकार जितेंद्र सिंह बिसेन ने हरिशंकर जैन और विष्णु जैन पर कई गंभीर आरोप लगाए थे।
बता दें कि अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी (मुस्लिम पक्ष) का दावा है कि ज्ञानवापी परिसर में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 लागू होगा। लेकिन हिंदू महिला पक्षकारों का मानना है कि वहां यह एक्ट लागू नहीं होगा। ज्ञानवापी परिसर में आजादी के बाद साल 1991 तक मां शृंगार गौरी की पूजा होती थी।