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Varanasi Video: ज्ञानवापी फैसले पर बोलीं मुस्लिम महिलाएं, औरंगजेब के कलंक से मिले मुक्ति, की शिव की भव्य आरती
Gyanvapi Mosque Verdict Video: ज्ञानवापी मामले पर वाराणसी कोर्ट का फैसला आते ही मुस्लिम महिलाओं ने शिव की आरती की।
Gyanvapi Masjid Case: वाराणसी की जिला अदालत ने सोमवार (12 सितंबर 2022) की दोपहर जैसे ही ये फैसला हिन्दू पक्ष के हक में सुनाया, मुस्लिम महिलाओं का जश्न शुरू हो गया। वाराणसी स्थित सुभाष भवन में मुस्लिम महिला फाउण्डेशन की नेशनल सदर नाज़नीन अंसारी के नेतृत्व में मुस्लिम महिलाओं के एक समूह ने भगवान शिव की आरती भी की। इस दौरान मुस्लिम महिलाओं ने बैंड-बाजे की धुन पर जश्न मनाया।
गौरतलब है कि, सोमवार को वाराणसी जिला अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी मंदिर को लेकर फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि, मंदिर का मुकदमा सुनने योग्य है। अदालत के इतना कहते ही मुस्लिम महिलाओं का जश्न शुरू हो गया। उन्होंने कहा, 'वो ज्ञानवापी मामले में शुरू से ही सच के साथ हैं। 'औरंगजेब के कलंक' से काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple) को मुक्त कराना चाहती हैं। उनका कहना है कि उन्होंने, 'बार-बार मुसलमानों से अपील की है कि जिसका जो हक है, उसे वो खुद सौंप दें। तभी इस्लाम की इज्जत बढ़ेगी।'
मुस्लिम महिलाएं- ...जब हमारे पूर्वज हिन्दू थे
मुस्लिम महिलाओं ने 'ओम नमः शिवाय' के साथ आरती कर यह संदेश तो दे ही दिया कि वो किसी कीमत पर नफरत नहीं फैलने देंगी। काशी की गंगा-जमुनी तहजीब को बर्बाद नहीं होने देंगी। मुस्लिम महिला फाउंडेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष नाज़नीन अंसारी (Nazneen Ansari) ने कहा, कि 'जब हमारे पूर्वज हिन्दू थे, तो वो तो आदि विश्वेश्वर की पूजा करते ही थे। आदि विश्वेश्वर पर कोई मुगल आक्रांता औरंगजेब कब्जा कैसे कर सकता है।
हिन्दू दुनिया का सबसे 'सहिष्णु' कौम
नाज़नीन अंसारी कहती हैं, 'मुगलों के पाप और कलंक को कोई मुसलमान न ढोए। उन्होंने कहा, मंदिर तोड़ा गया इसके हजारों सबूत हैं। हिन्दू दुनिया का महान 'सहिष्णु' कौम है। इसलिए अपने सबसे पवित्र स्थान को 'औरंगजेब के पाप' से मुक्ति के लिए अदालत का सहारा ले रहा है। हम सभी अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं।'
सुभाष वादी नेता नजमा परवीन ने कहा, कि सारे मुसलमान पैगम्बर के बताए रास्ते पर चलकर हक की बात करें और शांति का रास्ता अपनाएं। अदालत के हुक्म की तामील करें।
इतिहासकार ने दिया 'मासिर-ए-आलमगीरी' का हवाला
इस मौके पर इतिहासकार एवं विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजीव श्रीवास्तव ने कहा, कि 'मासिर-ए-आलमगीरी' में स्पष्ट रूप से साकी मुस्तईद खान ने औरंगजेब के मंदिर तोड़ने की बात लिखी है। 1710 ई० में लिखी गयी पुस्तक सबसे बड़ा प्रमाण है। मुस्लिम पक्ष को अपना दावा छोड़ देना चाहिए। भारत के किसी मुसलमान को मंगोलों का पक्ष नहीं लेना चाहिए, क्योंकि इन्हीं मंगोलों ने अंतिम खलीफा की हत्या की थी। आज का फैसला वर्षों पहले हुए अन्याय और अत्याचार के खिलाफ जीत की पहली सीढ़ी है।
इस दौरान खुशी जाहिर करने में नाजिया बेगम, नगीना अंजुम, मुन्नी बेगम, नाजमा, अहसीन आदि मुस्लिम महिलाओं के साथ अर्चना भरतवंशी, डॉ. मृदुला जायसवाल, खुशी भारतवंशी, इली भारतवंशी, उजाला भारतवंशी शामिल रहीं।