×

हामिद अंसारी का विदाई भाषण बना; सियासत की नयी बिसात

Gagan D Mishra
Published on: 18 Aug 2017 9:14 AM GMT
हामिद अंसारी का विदाई भाषण बना; सियासत की नयी बिसात
X
हामिद अंसारी का विदाई भाषण बना; सियासत की नयी बिसात

मृत्युंजय दीक्षित

लखनऊ: देश के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने अपने विदाई समारोह में जिस प्रकार से मुस्लिमों में असुरक्षा की भावना की बात कह गये उससे उनके खिलाफ जनज्वार का उठना स्वाभाविक है। हामिद अंसारी वर्तमान समय में योग्य व पड़े-लिखे मुस्लिम नेता माने जाते रहे हैं लेकिन अंसारी जी ने एक नहीं कई बार अपने विवादित बयानों से विवादों को ही जन्म दिया। लेकिन इस बार तो हद ही कर दी, जिस समय पूरा देश सबका साथ-सबका विकास और न्यू इंडिया के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है उस समय अंसारी जी ने देश का वातावरण बिगाडऩे व भविष्य की राजनीति का अपना व विपक्ष का राजनीतिक एजेंडा तय करने का ही काम किया है।

मुस्लिमों में असुरक्षा की बात कहना संभवत: अंसारी जी पर ही खरी उतर सकती है क्योंकि राष्ट्रपति पद की दौड़ के समय उनकी अपनी ही पार्टी के लोगों ने उनके नाम पर चर्चा नहीं की थी संभवत: स्वयं को वह आहत महसूस कर रहे होंगे यही कारण है कि उन्होंने मुस्लिमों में असुरक्षा व डर की बातों का बखान कर डाला। उनके इस बयान के पीछे कई अन्य सियासी तीर भी हो सकते हैं। अंसारी के बयान की जितनी भी निंदा की जाये वह बेहद कम है। अब संभवत: उनके बयानों को ही आधार मानकर विपक्ष आगामी विधानसभा चुनावों में अपना एजेंडा भी सेट करेगा।

आज पूरे विश्व में यदि कहीं पर अल्पसंख्यक सकून में हैं तो वह केवल हिन्दुस्तान ही है। यह बड़े दुर्भाग्य की बात है कि इस देश में कहीं भी ऐसे डर का कोई माहौल नहीं है केवल उन्हीं लोगों व दलों के मन में डर का माहौल व्याप्त हो गया है जिनके पास बेनामी संपत्ति है। जो कालेधन के लोगों के समर्थक हैं। अंसारी ने अपनी बात कहकर देश की सियासत को एक नई हवा देने का असफल प्रयास किया है। अंसारी ने अपने पद व गरिमा के खिलाफ जाकर यह बयान दिया है। यह बड़े दुख की बात है कि क्या इस देश में केवल मुस्लिम समाज ही अल्पसंख्यक है। इस देश में जैन, सिख, ईसाई व पारसी समाज भी अल्पसंख्यक हैं लेकिन उनके अधिकारों की बात कोई नहीं करता। कांग्रेस पार्टी अपने वह दिन भूल गयी जब हिंसक भीड़ ने ही श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देशभर में सिखों का कत्लेआम किया था। उस भीड़ का नेतृत्व करने वाले कांग्रेसी ही थे।

देशभर में ऐसे दंगों का इतिहास भरा पड़ा है जहां कांग्रेसी कार्यकर्ता भी दंगाइयों का नेतृत्व कर रहे थे क्या कांग्रेस बिहार का भगलपुर दंगा भूल गयी है। अंसारी ने अपने बयान में डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जिन बातों का उल्लेख किया है क्या वह कश्मीरी हिंदुओं के लिये लागू नहीं होती। आज कश्मीर का विस्थापित हिंदू देश के कई स्थानों पर दर -दर की ठोकरे खाने को मजबूर है, क्या अंसारी साहब उनके दर्द को भी बयां करेंगे? जब बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान सहित विश्व के किसी अन्य देश में हिंदू के साथ कोई घटना घटती है तब यह लोग क्यों चुप रहते हैं? केरल के कन्नूर में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने भीड़ के समूह में ही सरेआम गाय को काटकर उसका भक्षण किया। क्या यह हिंदुओं की भावना के साथ अन्याय नहीं किया गया था। इतना ही नहीं जिस प्रकार से केरल के कन्नूर से लेकर चेन्नई व मेघालय, मिजोरम तक जिस प्रकार से गाय का भक्षण किया गया वह क्या था?

केरल में संघ के कार्यकर्ताओं की हत्याएं हो रही हैं तथा पश्चिम बंगाल में हिंदुओं को भीड़ द्वारा ही अपमनित किया जा रहा है, उनके घर जलाये जा रहे हैं तथा हिंदुओं की बहन-बेटियों के साथ सरेआम दुराचार किये जा रहे हैं इन सब के लिये आखिरकार कौन दोषी है? अंसारी जी ने कभी भी हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों पर बात क्यों नहीं करते। उन्होंने अपने बयानों से देश में सनसनी मचाने व भाजपा विरोधियों को एक एजेंडा पेश करने का प्रयास किया है। उनके बयान से पूरे देश की छवि विदेशों में भी खराब हुई है। यह भारत ही एक ऐसा देश है जहां उच्च पद पर बैठा हुआ व्यक्ति इस प्रकार की ओछी मानसिकता वाली अभिव्यक्ति प्रकट कर सकता है।

आज पूरा हिंदू समाज अपने आप को आहत महसूस कर रहा है। अंसारी को यह बात बोलने के पहले यह सोच लेना चाहिए था कि आजादी के बाद देश में कितने मुस्लिम राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपाल व राजनैतिक दलों के प्रवक्ता बने। कितने मुस्लिमों ने सांसद व विधायक बनकर अनुकरणीय कार्य किये हैं यह सब हिंदुओं की सहिष्णुता का ही परिचायक है। आज की फिल्मी दुनिया में सलमान खान, शाहरूख खान, आमिर खान व नवाजुददीन सिददी कि जैसे मुस्लिम कलाकार हिंदुओं के धन के बल पर ही राज कर रहे हैं। जिस दिन हिंदुओं ने चाह लिया तो यह लोग आकाश से जमीन पर आ ही जायेंगे। सबसे बड़ी बात यह है कि तीनों ही खान बंधु कभी भी शहीद जवानों के प्रति संवेदना नहीं व्यक्त करते अपितु याकूब मेनन जैसे आतंकवादी की फांसी की सजा के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान चलाते हैं और भारत में सहिष्णुता बनाम असहिष्णुता का नाटक खेलते हैं।

अंसारी साहब को यह सोचना चाहिये था कि भारतीय क्रिकेट टीम सहित हर खेल में कई मुस्लिम खिलाडिय़ों ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। क्रिकेट में नवाब पटौदी से लेकर जहीर खान और मोहम्मद शमी तक लंबी फेहरिस्त है। यही कहानी हॉकी से लेकर अन्य टीम स्पर्धाओं तक में हैं। पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने मुस्लिमों में असुरक्षा की भावना की बात कहकर पाकिस्तानी एजेंडे को भी काफी हद तक धार दी है। अगर देश का मुसलमान अपने आप को असुरक्षित महसूस भी कर रहा है तो उनको यह साबित करने को लिये व्यापक ठोस प्रमाणों के साथ अपनी बात कहनी चाहिये थी। अगर मुसलमानों को गौरक्षकों की हिंसा से बचना है तो उन्हें भी हिंदुओं की भावना का ध्यान रखना होगा। केवल बहुसंख्यक हिंदू समाज ने ही मुसलमानों के लिये ठेका नहीं ले रखा है। मुस्लिम समाज गाय, गंगा, वंदेमातरम का विरोध करता रहे, उसके धार्मिक हितों की पूर्ति के लिये हिंदू समाज अपने मंदिरों से लाउडस्पीकर उतारता रहे यह कब तक संभव है।

उपराष्ट्रपति ने अल्पसंख्यकवाद की राजनीति को हवा देने का काम किया है। वास्तविकता यह है कि मोदी सरकार में सबसे अधिका अल्पसंख्यक ही सुरक्षित हैं। उन्होंने पत्थरबाजों का समर्थन करके अपनी विकृत मानसिकता का एजेंडा देश के विपक्ष को दे दिया है तथा परोक्ष रूप से सेना का मनोबल भी तोडऩे का असफल प्रयास किया है।

अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष गेरूल हसन का यह कहना सही है कि अंसारी जी को यह बात अपने कार्यकाल के आखिरी दिनों में ही कहने की आवश्यकता क्यों आ पड़ी। इससे यह बात साफ हो गई है कि राष्ट्रपति पद के चुनाव के दौरान व बाद उपराष्ट्रपति पद पर उनकी फिर से वापसी पर चर्चा तक नहीं की गयी। उनके मन में यही छटपटाहट रही होगी जिसके बाद अपनी भावनाओं का प्रकटीकरण इस प्रकार से दे दिया और मोदी सरकार को अपमानित कर दिया। यदि वह बिना कुछ बोले चले जाते तो संभवत: उन्हें कोई याद नहीं रखता?

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)

Gagan D Mishra

Gagan D Mishra

Next Story