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Hamirpur: फर्जी बिल लगाकर मनरेगा के 22 लाख से अधिक रुपये का हुआ बंदरबांट

Hamirpur News: जनपद के राठ में मनरेगा के तहत 22 लाख 23 हजार रुपया का फर्जी भुगतान कराये जाने की शिकायत मंडलायुक्त चित्रकूट धाम बांदा से करते हुए जांच कराये जाने की मांग की गई है।

Ravindra Singh
Published on: 2 Sep 2022 3:11 PM GMT
Hamirpur News In Hindi
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घोटाला। (Social Media)

Hamirpur News: जनपद के राठ में मनरेगा के तहत 22 लाख 23 हजार रुपया का फर्जी भुगतान कराये जाने की शिकायत मंडलायुक्त चित्रकूट धाम बांदा से करते हुए जांच कराये जाने की मांग की गई है। बताया कि उक्त सरकारी धन का बंदरबांट किया गया है और किसी भी तरह का विकास कार्य गांव में नहीं कराया गया। सम्बंधित अधिकारियों की मिलीभगत से सभी बिल फर्जी लगाये गये है।

उमरियां गांव निवासी ने की मण्डलायुक्त बांदा को शिकायत

गोहाण्ड क्षेत्र के उमरियां गांव निवासी राजेश कुमार पुत्र मूलचंद्र ने मण्डलायुक्त बांदा को शिकायत करते हुए बताया कि उसकी ग्राम पंचायत मनरेगा के तहत अंशमात्र भी कार्य नहीं कराया गया है जबकि 22 लाख 23 हजार रुपया का भुगतान करा लिया गया। बताया कि ग्राम प्रधान, सचिव, टीए और सप्लायर फर्म मे0 एन आर इंटरप्राइजेज सिकन्दरपुरा राठ की मिलीभगत से फर्जी बिल लगाकर सरकारी रुपया का बंदरबांट कर लिया गया। शिकायतकर्ता और ग्रामीणों का कहना है कि गांव में लक्ष्मी और लखन के खेत तक सर्वऋतु सम्पर्क मार्ग निर्माण 1 लाख 85 हजार 799, जयसिंह के खेत से कल्लू के खेत तक सर्वऋतु सम्पर्क मार्ग निर्माण 2 लाख 11 हजार 413, बड़ा तालाब में रोक निर्माण 1 लाख 77 हजार 513, सहित अन्य 22 लाख 23 हजार रुपया का कोई भी कार्य नहीं किया गया। बताया कि तालाब की पुराने निर्माण को नया निर्माण बताकर रुपया निकाला गया है।

भ्रष्टचार की भेंट चढ़कर सरकारी धन का फर्जी रुप से की बंदरबांट: ग्रामीण

ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए बताया कि इस कार्य में बीडीओ की भी सहभागिता है तभी इतना बड़े सरकारी धन की फर्जी तरीके से निकासी की गई। ग्रामीणों ने रोष व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार (BJP Governmnet) ग्रामीण क्षेत्रों और ग्रामीणों के उत्थान के लिए भरपूर धन दे रही है मगर यह सरकारी धन न तो गांव के विकास में खर्च हो रहा है और न ही इसका लाभ ग्रामीणों को मिल पा रहा है। भ्रष्टचार की भेंट चढ़कर सरकारी धन का फर्जी रुप से बंदरबांट हो रहा है। कागजों पर फर्जी काम दिखाकर कुछ खास लोगों के नाम पर भुगतान हो रहा है जिसमें बिना काम के आधा रुपया उसे मिल जाता है जिसके खाते में रुपया पहुंचता है और आधा ग्राम प्रधान व सचिव की जेब में पहुंचता है। सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाऐं जो ग्रामीणों के उत्थान के लिए क्रियान्वित है भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है।

मामले की जांच उच्चाधिकारियों द्वारा की जानी चाहिए: ग्रामीण

ग्रामीणों का कहना है कि बीडीओ की मिलीभगत से अवैध रुप से मनरेगा के धन की निकासी की जांच अधीनस्थ कर्मचारियों द्वारा करायी जा रही है जबकि इस मामले की जांच उच्चाधिकारियों द्वारा की जानी चाहिए क्योंकि भुगतान बीडीओ द्वारा किया गया है। मनरेगा के 22 लाख 23 हजार रुपया के फर्जी भुगतान के सम्बंध में जब सीडीओ हमीरपुर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मामले की जानकारी हुई है वह जांच कराके कार्यवाही करेंगे।

काफी समय से बीडीओ पद का कार्य देख रहे है पशुचिकित्साधिकारी

Rath: गोहाण्ड ब्लाक के बेहद अहम पद की कुर्सी काफी सालों से खाली पड़ी है और बीडीओ के न होने पर पशुचिकित्साधिकारी इस कार्य को देख रहे है। सवाल उठता है कि वह अपना मूल कार्य कर रहे है या फिर ब्लाक का इतना अहम कार्य निपटा रहे है। ग्रामीणों का मानना है कि दो बेहद अहम पद का कार्य सम्भालना भी कोई साधारण बात नहीं है। काम इतना अधिक है कि अधिकारी अपने एक पद का कार्य ही नहीं निपटा पाता और सम्पूर्ण ब्लाक का कार्य दूसरे क्षेत्र का व्यक्ति कैसे कर सकता है तो इस तरह की खामियां तो होंगी ही। काफी समय से बीडीओ का पद रिक्त चल रहा है यदि बीडीओ अपने पद होते तो वह इस फर्जी भुगतान पर ध्यान दे सकते।

Deepak Kumar

Deepak Kumar

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