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Mother's Day 2022: बिट्टो ने रात दिन मेहनत कर बच्चों को बनाया काबिल, आइए जाने इनके बारे में

Happy Mother's Day: बिट्टो की शादी 1977 या 78 में अमरनाथ से हुई। अमरनाथ शराबी था उसके घर वालों ने सोचा शादी कर देंगे तो सुधर जाएगा और एक 15 या 16 साल की बच्ची से उसकी शादी कर दी।

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Newstrack NetworkPublished By Monika
Published on: 8 May 2022 9:35 AM IST
Happy Mothers Day
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मदर्स डे स्पेशल  (फोटो: सोशल मीडिया )

Happy Mother's Day: शादी क्या होती है? पता भी नहीं था.. रात भर अम्मा की गोद में सोती रही। दद्दा ने गोद में लेकर फेरे करा दिए। सुबह ससुराल पहुंच गई। 9 महीने बाद गोद में बच्चा आ गया। खेलने की उम्र में बेटे को खिला रही थी

ये आपबीती है बिट्टो की, खेलने की उम्र में वो अपने बेटे को खिला रही थी। मदर्स डे पर मिलिए बिट्टो से.. जिन्होंने संघर्ष किया समाज से लड़ी और जीत के साबित किया कि मां से बड़ा कोई योद्धा नहीं होता।

देवा रोड के एक गांव में धोबियों के घर जन्मी बिट्टो को उसके अम्मा दद्दा ने उस समय शादी के बंधन में बांध दिया, जब वो स्वयं अपने गुड्डे की शादी किया करती थी।

बिट्टो की शादी 1977 या 78 में अमरनाथ से हुई। अमरनाथ शराबी था उसके घर वालों ने सोचा शादी कर देंगे तो सुधर जाएगा और एक 15 या 16 साल की बच्ची से उसकी शादी कर दी। शादी कर के जब आई तो घर के नाम पर मिली तीन दीवार और उसपर रखा छप्पर। ससुराल में सास, ससुर, जेठ, देवर और नन्द थे। अमरनाथ सुबह से शाम सिर्फ शराब पीता। कमाई का कोई जरिया नहीं। बिट्टो के मां बाप कब तक साथ देते। सास ससुर से जिद्द कर अमरनाथ को कपड़े इस्त्री करने का ठेला लगवाया। अमरनाथ ने बिट्टो को साँस लेने का मौका नहीं दिया। एक दुधमुहा गोद में होता तो एक पेट में चार बच्चे हो गए। बीमार रहती लेकिन बच्चों के लिए जूझ रही थी। अमरनाथ शराब के लिए मारपीट करता था। सारे पैसे शराब पर उड़ाता। जब वो शराब पीने जाता तो बिट्टो ठेले पर कपडे इस्त्री करती। वहीँ शाम में अमरनाथ को शराब के ठेके से सहारा दे कर घर लाती। लाइन लगा के सरकारी नल से पानी लाती। खाना बनाती सबको खिलाती और फिर घर में कपडे इस्त्री करती।

बिट्टो का परिवार (फोटो:सोशल मीडिया )

25 पैसे में दो जोड़ी कपडे इस्त्री का आइडिया

बिट्टो बताती हैं हमने 25 पैसे में दो जोड़ी कपडे इस्त्री करने शुरू किए। ताकि ज्यादा से ज्यादा काम मिले। कोयले की इस्त्री होती थी। भारी गर्मी में भट्टी की तरह तपती। हाथ जल जाते थे। लेकिन बच्चों के लिए कुछ करना था। जब बच्चों की मुस्कान देखती तो छाले भी मुस्करा देते थे।

जब उजाड़ हुई जिंदगी

एकदिन मै ठेले पर कपडे इस्त्री कर रही थी। खबर आई मेरे वो नहीं रहे। मै सुधबुध खो चुकी थी। जैसे भी थे मेरे पति थे। इसके बाद सास ससुर ने घर से निकाल दिया। पूस की रात थी चार बच्चों के साथ फुटपाथ पर रात गुजारी। खाने को कुछ नहीं था। ऐसे में अपने और बच्चों के पेट कपडे से कस के बांध दिए सुबह जब काम के पैसे मिले तो बच्चो को खाना खिलाया। एक श्रीवास्तव जी थे, वो जब अपने कपडे लेने आए तो उन्होंने बच्चों को सड़क पर खेलते देखा।

पूछा, इन्हें यहाँ क्यों लेकर आई। मैंने सबकुछ बताया तो उन्होंने अपने गैराज में रहने की जगह दे दी। अब यही घर था मेरा।

कुछ भी हो बच्चों को पढ़ाना है

ये बताते हुए बिट्टो की आवाज लरज चुकी थी। पानी पीकर उन्होंने बताया सास, ससुर, जेठ, जेठनी, देवर, देवरानी सब थे। लेकिन कोई बच्चों को भी देखने नहीं आया कभी। मैं अनपढ़ थी, लेकन ठान लिया कि भले दिन रात काम करना हो भूखा रहना हो लेकिन अपने बच्चों को ऐसी जिंदगी नहीं दूंगी। रात दिन काम किया। गैराज में बारिश का पानी भरता था, जाड़े में बर्फीली हवा होती तो गर्मी में वो भट्टी बन जाता था।

रिश्तेदारों ने कहा दूसरी शादी कर लो

बिट्टो कहती हैं, जब मेरे वो ख़त्म हुए उम्र कम थी रिश्तेदारों ने कहा, कहां बच्चे पलोगी। इनको ससुरालवालों को दे दो। शादी कर लो। इनके साथ जीवन कैसे कटेगा। लेकिन ये मेरे बच्चे थे ऐसे कैसे छोड़ देती।

उतरन नहीं पहनने दिए बच्चों को

बिट्टो बताती हैं अक्सर लोग अपने बच्चों की उतरन दे जाते थे। लेकिन मैंने कभी अपने बच्चों को किसी की उतरन नहीं पहनने दी। बच्चे बड़े हुए तो स्कूल में नाम लिखा दिया। बच्चे स्कूल से आते तो हाथ बटाने को कहते लेकिन मैंने सख्ती से मना किया कि ये नहीं करना है पढो लिखो।

एक हजार स्क्वायर फीट का शानदार घर

आपको लग रहा होगा कि 1 हजार स्क्वायर फीट में शानदार घर कैसे बन सकता है। सुनिए उनकी जुबानी 23 साल पहले 1 हजार स्क्वायर फीट जमीन खरीदी थी जिनकी जमीन थी उन्हें थोड़ा थोड़ा पैसा हर महीने देती थी लेकिन उन्होंने पहले ही महीने मेरे नाम कागज बनवा दिए थे ( जमीन की रजिस्ट्री)। पहले छप्पर डाला। उसके बाद एक कमरा बनवाया। 23 साल लगे लेकिन अब दो मंजिला बन गया है। घर में सब कुछ है। मुझे किसी से शिकायत नहीं है। मेरे बच्चों ने मेरे संघर्ष को सम्मान दिया। कभी गलत संगत में नहीं रहे। आज मै नाती पोतो के साथ खुश हूं।

बच्चों ने रखा मां की मेहनत का मान

बिट्टो बताती हैं, समय चलता रहा बच्चे बड़े हुए। बड़ा बेटा सुरेंद्र और बहु लांड्री चलाते हैं। बिटिया स्कूल में नौकरी करती है। एक बेटा बहु दिल्ली में हैं। बेटा वहां प्राइवेट जॉब करता है। सबसे छोटा दुकान चला रहा है। सबकी शादी कर दी है।

जब डर गई

बिट्टो बताती हैं उनकी बहन को उनके बहु बेटे ने घर से निकाल दिया। वो बुद्धेश्वर से मेरे घर तक जेठ की दुपहरी में चल के आई थी। सुरेंद्र की भी नई नई शादी हुई थी। मैंने अपनी बहु को अकेले में बुला के पूछा मेरे साथ ऐसे नहीं करोगी न? पूरी जिंदगी बीत गई अकेले अब और अकेले नहीं रह सकती, कसम खाने को बोला तब रीता ने कहा, मम्मी हम सभी आपके बच्चे हैं कभी भी ऐसा काम नहीं करेंगे जिससे आपको तकलीफ हो।

जब बेटे की पढ़ने के लिए कर दी पिटाई

सुरेंद्र बताते हैं, मैंने बचपन से मम्मी को सिर्फ काम करते देखा है। उनके हाथ में छाले होते थे। लेकिन उफ़ न करती थी। खुद भूखी रहती लेकिन हम भाई बहनों को पेट भर खाना खिलाती। मैंने पूरा बचपन वो रात रही हो या दिन मम्मी को सिर्फ इस्त्री करते ही देखा है।

सुरेंद्र याद करते हुए कहते हैं, शायद इंटर में था। मम्मी कपडे देने गई थी। मैंने कुछ कपडे इस्त्री कर के रख दिए। मुझे लगा मम्मी खुश होगी। लेकिन उस दिन खाल उधेड़ दी मार मार के। फिर रोते हुए गले लगा के बोली, तुम ये सब न करो। इसलिए तुम को इससे दूर रखती हु। पढो लिखों और अपनी मां को समाज में इज्जत दिलाओ। बस यही चाहिए। छोटे बेटे बसंत ने बताया, उस दिन से हम सब इतना डर गए कि किताब कापी ही नजर आती थी खेलना भी बंद कर दिया।

बिट्टो की बहुए रीता और पिंकी कहती है, हम सभी साथ रहते हैं। हमारे पति कमाई मम्मी के हाथ में रखते है। वहीँ घर खर्च चलाती हैं। अपनी जिंदगी में उन्होंने बहुत दुःख देखे हैं। लेकिन अब हम उनको कोई दुःख नहीं सहने देंगे।

इस दौरान बिट्टो की बेटी रेनू से भी मुलाकात हो गई। रेनू ने बताया मम्मी की बदौलत हम सभी का बहुत सम्मान है। सभी उनके संघर्ष की तारीफ करते हैं। मेरी मां सबसे ज्यादा ताकतवर है। वो न खुद बिखरी न हमें बिखरने दिया। आज हम जो कुछ भी बन सके वो सिर्फ मम्मी की वजह से है।

मदर्स डे पर संदेश

बिट्टो कहती है, बच्चों को सही गलत का फैसला करने की समझ मां को देनी चाहिए। बच्चों के भविष्य के लिए जो भी करना पड़े करना चाहिए। और बच्चों को भी समझना चाहिए कि उनके मां बाप ने कितना संघर्ष किया उनको समाज में मुकाम दिलाने के लिए। इसलिए कभी उनका दिल नहीं दुखाना चाहिए।



Monika

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Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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