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Lok Sabha Election 2024: मतदान के बाद जीत-हार पर लगने लगे दांव, चौक-चौराहों पर चुनाव की चर्चा जारी
Lok Sabha Election 2024: होटल, पान की दुकान, सार्वजनिक चौक- चौराहों, चाय की टपरियों में अब पार्टियों के कार्यकर्ता के साथ-साथ चुनाव में दिलचस्पी रखने वाले लोग भी अपने-अपने आंकड़े बताकर जीत का दावा-प्रतिदावा कर रहे हैं।
Lok Sabha Election 2024: जनपद हापुड़ में दूसरे चरण में लोकसभा का चुनाव खत्म हो गया हैं, लेकिन अभी भी चुनाव को लेकर चर्चा और चकल्लस का दौर जारी है। चुनाव होने के बाद हार-जीत को लेकर शहर में सटोरिए भी सक्रिय हो गए हैं। लोकसभा मतदान के बाद अब जीत-हार के कयास लगने शुरू हो गए हैं और इसके साथ ही प्रत्याशियों पर दांव भी लगने लगे हैं। चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार व राजनीतिक दल अपने समर्थकों से क्षेत्रवार मतदान व वोटों के आंकड़ों को जुटाने में लग गए हैं, तो कहीं धोखे व पाला बदलने की भी खबरें सामने आ रही है।
आंकड़े बताकर जीत का दावा कर रहे है समर्थक
होटल, पान की दुकान, सार्वजनिक चौक- चौराहों, चाय की टपरियों में अब पार्टियों के कार्यकर्ता के साथ-साथ चुनाव में दिलचस्पी रखने वाले लोग भी अपने-अपने आंकड़े बताकर जीत का दावा-प्रतिदावा कर रहे हैं। जीत-हार के दावों के बीच अब कोई शर्त लगाने की भी चुनौती दे रहा है। एक ओर गठबंधन प्रत्याशी के समर्थक जीत के आंकड़े गिना रहे हैं तो दूसरी ओर बीजेपी के समर्थक केंद्र सरकार की योजनाओं के बल पर जीत के लिए आश्वस्त हैं। हापुड़ जनपद में गाजियाबाद-धौलाना, मेरठ-हापुड़, अमरोहा-गढ़मुक्तेश्वर विधानसभा सीटों पर लोकसभा चुनाव सम्पन्न हुआ है। हालांकि, मुख्य मुकाबला गठबंधन व बीजेपी के बीच होने से दोनों ही दल के समर्थक अपनी-अपनी जीत का भी दावा करने में लगे हैं।
हार-जीत को लेकर लगने लगी बाजियां
चुनाव के इस दौर में हार-जीत के लिए अब छोटे से लेकर बड़े स्तर तक बाजियो का भी दौर शुरू हो गया है। 100 रुपए से लेकर लाखों रुपये तक की बाजियां लगने लगी है।जीत व हार के मंथन के बीच दावों को लेकर लोगों की तकरारें भी बढ़ गई है और बातों ही बातों में लोगों के सुर भी तेज होते जा रहे हैं। जीत पर अड़े रहने के कारण दावे को लेकर तल्खियाँ भी बढ़ गई है। गांव से लेकर शहर तक अमूमन यही स्थिति है कि चुनाव के बाद हार-जीत के मामले को लेकर हो रही बहसें विवाद का रूप भी लेनी लगी हैं।
4 जून को खुलेंगी मत पेटिया
लोकसभा चुनाव में भारी मतदान से राजनीतिक गलियारों की चर्चाएं तो गर्म है हीं। वहीं, जोड़-घटाओ लगाने वाले राजनीतिक पंडित भी पशो पेश में हैं। हालांकि, राजनीति का यह ऊंट किस करवट बैठेगा, यह तो चार जून को ही पता चलेगा। लेकिन, इतना तय है कि 59 फीसदी पड़े वोट से मतदान से कईयों के समीकरण बनने बिगड़ने लगे हैं। अपने-अपने दावे व प्रतिदावों के बीच दोनों ही राजनीतिक दल भारी मतदान को अपने पक्ष में बता रहे हैं। जहां देश की प्रमुख भाजपा पार्टी सरकार की योजनाओं व विकास कार्यों से जोड़ कर देख रही हैं, तो वही गठबंधन पार्टी दल इसे बदलाव का संकेत मान रही है।