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Hapur News: फिर से सजने लगा जानलेवा डोर का बाजार, जिलेभर में धड़ल्ले से की जा रही है प्रतिबंधित माझे की बिक्री
Hapur News: एसडीएम शुभम श्रीवास्तव ने बताया कि किसी भी हाल में जानलेवा मांझे की बिक्री नहीं होने दी जाएगी। हमने कई दुकानों पर चेतावनी के बोर्ड लगा दिए हैं।
Hapur News: यू तो पतंग उड़ाने का दौर पूरे साल चलता है, लेकिन 15 अगस्त से रक्षाबंधन तक इसमें ज्यादा रुचि होती है। लोग समूहों में पतंग उड़ाते हैं और इसमें प्रतिस्पर्धा भी होती है। ऐसे में अपनी पतंग को कटने से बचाने के लिए कई लोग विशेष प्रकार की डोर का इस्तेमाल करते हैं। यह डोर प्लास्टिक का महीन धागा तैयार करके बनाई जाती है, जो आसानी से कटती नहीं है। कई बार इस डोर की चपेट में राहगीर और पक्षी आ जाते हैं। दो-पहिया वाहन चालकों के साथ इस प्रकार की घटनाएं ज्यादा होती है। जिले में हर साल तीन-चार लोगों की गर्दन मांझे की चपेट में आकर गंभीर रूप से घायल हाे जाती है। वहीं, कई पक्षी मांझे की चपेट में आकर जान गवां देते हैं और कई अन्य अपंग हो जाते हैं। प्रतिबंधित होने के बावजूद यह डोर बाजार में घड़ल्ले से बिक रही है।
दो दर्जन से अधिक दुकानों पर बिक रही है पतंग
सामान्यत: बरेली और रामपुर का मांझा और पतंग पसंद की जाती हैं। बरेली और रामपुर का मांझा धागे का बना होता है। ज्यादातर लोग पहले पतंग उड़ाने में धागे के मांझे का ही प्रयोग करते थे। इस मांझे से पतंग को उड़ाने के बाद दोबारा से एकत्र कर लिया जाता था। पतंग कट जाने पर भी धागे को दोबारा से एकत्र कर लपेट लेते थे। आजकल भी इसका प्रयोग ज्यादातर लोग करते हैं। दोनों जगहों का मांझा धागे अधिका मजबूत होने के कारण जनपद में खूब बिकता है और महंगा पड़ता है। तीन हजार मीटर की लंबाई का यह मांझा 25 सौ से तीन हजार रुपये में बिक रहा है। उसके बावजूद ज्यादातर शौकीन धागे के मांझे का ही प्रयोग करते हैं। इससे पतंग उड़ाने वाले के हाथ भी सुरक्षित रहते हैं।
जानलेवा मांझा होता है मजबूत और सस्ता
वहीं, बाजार में धड़ल्ले से जानलेवा मांझा बिक रहा है। यह मांझा प्लास्टिक के महीन धागे से तैयार किया जाता है। यह बेहद धारदार और मजबूत होता है। इससे कई बार पतंग उड़ाने वाले के हाथ भी कट जाते हैं। यह जानलेवा मांझा तीन हजार मीटर की लंबाई का मात्र 300-400 रुपये में बिक रहा है। एक बार पतंग कट जाने पर प्लास्टिक के इस धागे को एकत्र करना आसान नहीं होता है। ऐसे में पतंग उड़ाने वाले इसको काटकर यों ही छोड़ देते हैं। ऐसे में यह प्लास्टिक का धागा हवा में और पेड़ों-विद्युत लाइनों पर पड़े रहते हैं। इसकी चपेट में कई बार दोपहिया वाहन सवार लोग और पक्षी आ जाते हैं। यह धागा इतना धारदार होता है कि इससे लोगों की गर्दन काफी गहरे तक कट जाती हैं। जिले में हर साल दो-तीन लोग इससे गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं। वहीं पक्षियों के पंख, गर्दन, पैर कट जाते हैं। वहीं वर्षा होने पर प्लास्टिक का यह धागा विद्युत लाइन में फाल्ट देता है। जिससे बिजली सप्लाई प्रभावित होती है।
शासन से है इस मांझे की बिक्री पर रोक
शासन ने इस जानलेवा मांझे की बिक्री को प्रतिबंधित किया हुआ है। पतंग विक्रेताओं की दुकानों पर चेतावनी बोर्ड भी लगवाए हैं। उसके बावजूद शहर में यह जानलेवा मांझा आसानी से उपलब्ध है। अकेले में मांगने पर दुकानदार साइड की दुकानों से लाकर इस मांझे को उपलब्ध करा देते हैं। अन्य लोगों के सामने जानलेवा मांझा नहीं होने की बात कहते हैं, लेकिन एकांत मिलते ही मांझा उपलब्ध करा देते हैं। शहर में कोठी गेट, पुराना बाजार, फ्री-गंज रोड, राजीव नगर, सैनीनगर व स्वर्गआश्रम रोड पर पतंग व मांझो की धड़ल्ले से बिक्री की जा रही है।
जानलेवा मांझे की बिक्री पर होगी कार्यवाही
इस सबंध में नगर एसडीएम शुभम श्रीवास्तव ने बताया कि किसी भी हाल में जानलेवा मांझे की बिक्री नहीं होने दी जाएगी। हमने कई दुकानों पर चेतावनी के बोर्ड लगा दिए हैं। एक-दो दिन में पतंग विक्रेताओं के साथ बैठक की जाएगी। वहीं मांझे की बिक्री की गोपनीयता के साथ जांच भी की जा रही है। कहीं पर जानलेवा मांझा पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।