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Hapur News: साइबर ठगों ने पूर्व थाना प्रभारी बनकर किया ठगी का प्रयास, पुलिस जाँच में जुटी

Hapur News: व्यापारी नें थाने पहुंचकर इस सबंध में जानकारी ली, तो मामला फर्जी मिला। तब जाकर व्यापारी नें राहत की सांस ली।

Avnish Pal
Report Avnish Pal
Published on: 7 Dec 2024 1:21 PM IST
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साइबर ठगों ने मुंबई क्राइम ब्रांच का अफसर बन पीड़ित से ऐंठे 4,54 लाख, 36 घंटे किया 'डिजिटल हाउस अरेस्ट'  (photo: social media )

Hapur News: हापुड़ जनपद के थाना सिम्भावली क्षेत्र के एक बिल्डिंग मटेरियल कारोबारी से साइबर ठगों नें फोन पर खुद को थाना प्रभारी बता कर ठगी करने का प्रयास किया। व्यापारी की सूझबूझ से आर्थिक नुकसान होने से बच गया। पुलिस ने एडवाइजरी जारी की है। जनता से अपील करते हुए कहा है कि जागरूक बनें, सावधान रहें। लुभावने व ब्लैकमेल करने वाले फोन काल्स के झांसे में ना फंसे। तुंरत ही संबंधित थाना पुलिस से संपर्क करें। जालसाजा के जाल में फंसने से बचने का एकमात्र यही उपाय है।

पीड़ित की जुबानी, ठगों की कहानी

जानकारी के अनुसार थाना सिम्भावली के गांव फरीदपुर के निवासी वीरेंद्र सिंह की गांव में बिल्डिंग मटेरियल का कारोबार करते हैं। उन्होंने बताया कि शुक्रवार की सुबह उनके मोबाइल नंबर से फोन आया। उसने फोन पर कहा कि में थाना प्रभारी सिम्भावली बोल रहा हूँ। मेरी गाड़ी यहां सड़क पर खराब हो गईं हैं। इसलिए आप मुझे पांच हजार रूपये फोन पे कर दो। में आपको थाने पहुंचकर रूपये वापस कर दूंगा। ठग नें यकीन दिलाने के लिए व्यापारी के मोबाइल नंबर पर पूर्व थाना प्रभारी की फोटो भी भेजी। व्यापारी को फोटो देखकर विश्वास हो गया और रूपये डालने ही वाला था। पर नेटवर्क कम आ रहें थें। इसलिए पैसे डालने में थोड़ा समय लग गया। इसी बीच व्यापारी नें थाने पहुंचकर पैसे देने की बात कही, तो साइबर ठग नें इंकार कर दिया। जिससे व्यापारी को फोन करने वाले पर शक हुआ। जिसके बाद व्यापारी नें थाने पहुंचकर इस सबंध में जानकारी ली, तो मामला फर्जी मिला। तब जाकर व्यापारी नें राहत की सांस ली।

क्या बोले गढ सर्किल सीओ?

इस सबंध में गढ सीओ वरुण मिश्रा का कहना हैं कि, साइबर अपराधी ठगी के नए नए तरीके अपना रहें हैं। इसलिए फर्जी कॉल, मैसेज या किसी भी सोशल साइड से बचें।

ऐसे करते हैं धोखाधड़ी

साइबर ठग यूपीकाप एप का उपयोग करके एफआइआर आदि डाउनलोड कर वादी/प्रतिवादी/पीड़ितों का मोबाइल नंबर ढूंढते हैं। फिर, वे उन्हें फ़ोन करके या संदेश भेजकर संपर्क करते हैं और खुद को पुलिस अधिकारी बताते हैं। पीड़ितों को उनके खिलाफ दर्ज एफआइआर के बारे में जानकारी देते हैं और उन्हें कार्यवाही के लिए डराते-धमकाते हैं। साइबर ठग पीड़ितों का विश्वास हासिल करने के लिए पुलिस की वर्दी पहनकर या यूपीकाप एप दिखाकर उन्हें यकीन दिलाते हैं कि वे वास्तविक पुलिस अधिकारी हैं।

एक बार जब ठग पीड़ितों का विश्वास हासिल कर लेते हैं, तो वे उनसे उनकी बैंक खाता जानकारी, ओटीपी या अन्य संवेदनशील जानकारी मांगते हैं। प्राप्त जानकारी का उपयोग करके, साइबर ठग पीड़ितों के बैंक खातों से पैसे निकाल सकते हैं या उनके नाम पर ऋण ले सकते हैं।

खुद को ऐसे बचाए

यदि कोई अज्ञात व्यक्ति/साइबर ठग आपको फोन करता है या संदेश भेजता है और खुद को पुलिस अधिकारी बताता है, तो सावधान रहें। अपनी व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से पहले उनकी पहचान सत्यापित करें। यदि कोई आपको यूपीकाप एप का उपयोग करके धमकाता है या आपसे रूपयों की मांग करता है, तो तुरंत स्थानीय पुलिस को सूचित/रिपोर्ट करें। यदि आपको किसी एफआइआर के बारे में जानकारी चाहिए, तो आधिकारिक पुलिस वेबसाइट या निकटतम पुलिस स्टेशन से संपर्क करें। सावधान रहें कि आप किसके साथ अपनी जानकारी साझा कर रहे हैंं? अपनी बैंक खाता जानकारी, ओटीपी या अन्य संवेदनशील जानकारी किसी भी अज्ञात व्यक्ति के साथ साझा न करें।



Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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