Hapur News: कागजों में स्थापित चल रही हैं बाढ़ चौकियां, खतरे में है खादर के गांवों की सुरक्षा

Hapur News: बाढ़ संभावित क्षेत्र में तहसील प्रशासन द्वारा बाढ़ चौकियां स्थापित की जाती हैं। लेकिन प्रशासनिक स्तर पर कागजों में तैयारी चल रही है।

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Published on: 12 July 2024 1:00 PM GMT
Flood posts are established only on paper, security of Khadar villages is in danger
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कागजों में स्थापित चल रही हैं बाढ़ चौकियां, खतरे में है खादर के गांवों की सुरक्षा: Photo- Newstrack

Hapur News: उत्तर प्रदेश के जनपद हापुड़ के गढ़मुक्तेश्वर तीर्थ नगरी के ब्रजघाट में गंगा नदी का जल स्तर बढ़ने से खादर के गावों में जलभराव हो जाता है। जिसको लेकर बाढ़ संभावित क्षेत्र में तहसील प्रशासन द्वारा बाढ़ चौकियां स्थापित की जाती हैं। लेकिन प्रशासनिक स्तर पर कागजों में तैयारी चल रही है। हालत यह है कि संवेदनशील स्थानों पर बाढ़ चौकियां बनाई गईं हैं। खास बात तो यह है कि यहां कर्मचारी भी तैनात कर दिए गए हैं। इन चौकियों से गांवों के लोगों की सुरक्षा के इंतजाम पर निगरानी रखनी है, लेकिन नदी के बहाव पर नजर रखना तो दूर कर्मचारी अभी तक चौकी की हालत देखने तक नहीं पहुंचते।

खादर के गांवों की सुरक्षा की जिम्मेदारी

प्रशासन द्वारा बाढ़ चौकियों को सक्रिय कर दिया गया था। कागज में प्रत्येक चौकी पर एक-एक कर्मचारी तैनात चल रहे हैं, जो पानी के बढ़ने या घटने की जानकारी तो देंगे ही संवेदनशील स्थानों पर गंगा नदी का कितना कटान हो रहा है। इसके बारे में भी अधिकारियों को अवगत कराना है, लेकिन इसमें कई कर्मचारी तो अभी तक अपनी तैनाती स्थल पर गए ही नहीं और जो गए वे गांव के प्रधान या अपने खास का मोबाइल नंबर से स्थिति के बारे में जानकारी लेकर अधिकारियों को मौके पर बने रहने का संदेश प्रसारित करते हैं।

इन बाढ़ चौकियों के सहारे खादर के गांवों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है। यहां के लोगों को भी इन्हें सजग करने की जिम्मेदारी रहती है। प्रशासनिक इस तैयारी से नहीं लगता है कि बाढ़ बचाव के प्रति तहसील प्रशासन न ही गंभीर है और न जिला प्रशासन गंभीर है।

कागजों में ही बना दी जाती हैं चौकियां

खादर क्षेत्र के गावों में बनाई गईं बाढ़ चौकियों की पड़ताल की गई। केवल ये चौकीयां कागजों में चल रही हैं। गांव में जाने पर पता चला कि कोई बाढ़ चौकी की पहचान ही नहीं है। सिर्फ स्थानों के नाम खोले हुए हैं, लेकिन उन स्थानों पर न तो कोई बोर्ड लगा है और न ही कोई नाव की व्यवस्था है। इसके अलावा न कोई लाउडस्पीकर और न ही कोई कर्मचारी ड्यूटी पर तैनात है। जबकि एडीएम से लेकर तहसीलदार तक खादर के गावों में रोजना निरिक्षण कर रहें है। लेकिन गावों में बनी बाढ़ चौकियो तक अधिकारी नहीं पहुंच पा रहें है। यदि गंगा नदी का जल स्तर फिर से अधिक होता है, तो क्या अचानक से प्रशासन सभी सुविधा मुहैया करा पाएगा।

बाढ़ चौकीयों पर होती हैं ये सुविधाएं

स्वास्थ्य विभाग, पशुधन विभाग, तहसील लेखपाल, लाउडस्पीकर, टॉर्च, नाव की व्यवस्था, सैफ जैकेट, ट्यूब, कैपिंग सें जुडा सामान आदि रहता है।

कागजो में बनी हैं बाढ़ चौकियां

प्रशासन द्वारा गांव भगवतपुर, ब्रजघाट, नयागांव,अब्दुलाहपुर, नक्का कुआँ, कूदेनी, मीरा रेती, समेत अन्य स्थानों पर बाढ़ राहत चौकिया स्थापित की जाती है।

क्या बोले प्रशानिक अधिकारी

इस सबंध में एडीएम संदीप कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि गावों में बाढ़ चौकियां बनी हुई हैं, यदि अधिक जलस्तर बढ़ता है तो सभी व्यवस्था की जाएगी। किसी भी ग्रामवासी को परेशानी नहीं होने दी जाएगी। बाढ़ चौकियां स्थापित कर कर्मचारियों को तैनात कर दिया गया है। कर्मचारियों के न रहने की शिकायत संज्ञान में आई है तो इसकी जांच कराई जाएगी और दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी।

Shashi kant gautam

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