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Hapur News: माँ चंडी मंदिर का होगा भव्य गर्भगृह, 300 किलो चांदी से होगा तैयार

Hapur News: हापुड़ में पहली बार किसी मंदिर में 300 किलो चांदी लगाकर भव्य गर्भ गृह तैयार होगा। इसको लेकर माँ चंडी मंदिर में तैयारियां शुरू हो गई है। मंदिर में अभी लकड़ी का फ्रेम बनाकर लगा दिया गया है।

Avnish Pal
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Published on: 22 Oct 2023 10:31 PM IST
The sanctum sanctorum of Maa Chandi temple will be prepared with 300 kg silver
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माँ चंडी मंदिर का गर्भगृह 300 किलो चांदी से होगा तैयार: Photo-Newstrack

Hapur News: जनपद में प्राचीन सिद्धपीठ चण्डी माता का भव्य मंदिर है। यह मंदिर पूरे जिले के भक्तों के लिए आस्था का केन्द्र है। मान्यता है कि यहां श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूर्ण होती है। यहां मां चण्डी के अलावा नौ देवियां विराजमान हैं । जिले में पक्का बाग चौराहे पर स्थित सिद्धपीठ प्राचीन चण्डी माता के मंदिर का विशाल भवन है। मान्यता है कि यहां मां चण्डी का वह स्वरूप है, जो महिशासुर के संहार के समय था यहां श्रद्धालु दिल्ली, हरियाणा सहित अन्य राज्यों और जिलों से माता रानी के दर्शन करने के लिए आते हैं।

हापुड़ में पहली बार किसी मंदिर में 300 किलो चांदी लगाकर भव्य गर्भ गृह तैयार होगा। इसको लेकर माँ चंडी मंदिर में तैयारियां शुरू हो गई है। मंदिर में अभी लकड़ी का फ्रेम बनाकर लगा दिया गया है। श्रद्धालुओं ने दान के रूप में इस चांदी को दिया है।नवरात्र के बाद मंदिर में काम प्रारंभ किया जाएगा।माता के भवन को दिव्य रूप देने के लिए श्री चंडी मंदिर प्रबंधक समिति यह कार्य करा रही है।आसपास के जनपदों से भी बड़ी सख्या में श्रद्धालुओं का आगमन व सहयोग बना रहता है।

नवरात्रों के बाद शुरू होगा ये कार्य

मंदिर में लकड़ी का फ्रेम मंदिर के गर्भ गृह में छत पर बनाकर लगाया गया है। इस गर्भ गृह की दीवारों पर भी चांदी का डिजाइन बनाकर लगाया जाएगा।मंदिर समिति के प्रधान नवनीत अग्रवाल ने बताया कि लगभग 250 से 275 किलो चांदी दान के माध्यम से प्राप्त हो चुकी है। कई श्रद्धालुओं से छोटे छोटे रूप में दान में चांदी मिली है। अभी कारीगर बद्रीनाथ में काम कर रहे है।मंदिर के पास जो पहले का दान है। उससे अलग निर्माण कार्य चल रहा है।मंदिर को भव्य रूप दिया जा रहा है।नवरात्र के बाद ही काम प्रारंभ हो सकेगा।इस मंदिर में देश और प्रदेश के कई कोनो से श्रद्धालु आकर मनोकामना मांगते है।


पुराना है मंदिर का इतिहास

स्वयं भु आद्याशक्ति माँ चंडी का मूल स्वरूप एक तहखाने में विराजमान है।कहा जाता है कि उनमें इतना तेज है कि कोई महा तपस्वी ही उनके दर्शन कर सकता है।यही वजह है कि तहखाने के पट बंद रहते है।माँ चंडी के वर्तमान भवन का निर्माण यहाँ पर 189 वर्ष पूर्व हुआ था।यहाँ माँ चंडी की पिंडी के रूप में विराजमान है।जिनका प्रत्येक दिन भव्य श्रगार किया जाता है उन्हें भगवान हनुमान की तरह केसरिया रंग का लेप किया जाता है।

मंदिर की यह खासियत

मॉ चंडी को कत्था, चुना गुलकंद, सुपारी, तथा चांदी के वर्क लगे मीठे पान का भोग लगाया जाता है।मान्यता है कि मनोकामना पूरी होने या फिर कोई मन्नत मांगने से पहले माँ को मीठा पान चढ़ाने से वह प्रशन्न होती है। मंदिर को प्रतिदिन हजारों का चढ़ावा आता है।इस धन से गरीब लोगों को अन्नदान किया जाता है।



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Shashi kant gautam

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