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Stomach worms: दिमाग तक पहुंच रहे हैं पेट के कीड़े, डॉक्टरो से सलाह लेकर कराये उपचार

Hapur news: राष्ट्रीय कृमि मुक्ति अभियान चलाकर बच्चों को एल्बेंडाजोल की गोली खिलाई जाती हैं। स्कूलों में यह अभियान सफल भी हो रहा है, लेकिन व्यस्क और बुजुर्ग लोग पेट के कीड़ों को गंभीरतों से नहीं लेते हैं।

Avnish Pal
Report Avnish Pal
Published on: 4 March 2024 1:02 PM IST
Hapur News
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इलाज के लगी मरीजों की कतार source: Newstrack  

Hapur news: बच्चों के पेट में कीड़े होना आम बात है। लेकिन अगर यही कीड़े बड़ों के पेट में हो जाये तो और भी खतरनाक बात हैं। पेट में कीड़े होना शरीर में छिपा हुआ ऐसा रोग है जो कि आदमी के पेट से खून में और खून से शरीर के किसी भी हिस्स्से में जा सकता है। ये कीड़े बाहर खाने-पीने से भी पेट में जा सकते हैं या पेट में ही पैदा हो सकते हैं।

बड़ो में भी मिल रही ये बीमारी

मनोरोग विशेषज्ञ डा. अशरफ ने बताया कि पेट के कीड़े बच्चों का शारीरिक विकास रोकते हैं। इसी के लिए राष्ट्रीय कृमि मुक्ति अभियान चलाकर बच्चों को एल्बेंडाजोल की गोली खिलाई जाती हैं। स्कूलों में यह अभियान सफल भी हो रहा है, लेकिन व्यस्क और बुजुर्ग लोग पेट के कीड़ों को गंभीरतों से नहीं लेते हैं। जिनका दुष्परिणाम अब देखने को मिल रहा है। उन्होंने बताया कि एक से डेढ़ माह के अंदर गढ़ रोड स्थित सीएचसी में करीब 22 ऐसे मरीज आए हैं, जिनमें अजीबो-गरीब बीमारी मिली हैं। सीटी स्कैन और आवश्यक जांचों के बाद इनमें में से सात मरीज ऐसे मिले जिनके दिमाग में कीड़ों के गुच्छे पाए गए है। गहनता से जाँच में पता चला कि ये वही कीड़े है जो अक्सर पेट में पाए जाते है। ये कीड़े शारीरिक विकास में अवरोध पैदा करते है। उन्होंने बताया कि सात मरीजों में से दो मरीजों की एक माह से दवाई खाने के बाद स्वास्थ्य में पहले से आराम है। जबकि पांच मरीजों की दवाईया चल रही है। उनका कहना है कि न्यूरोसिस्टी सरकोसिस बीमारी से इस प्रकार के मरीज बढ़ रहे है।

दिमाग़ में कीड़े पहुंचने के लक्षण

1-सिर में काफ़ी दिनों तक तेज दर्द रहना

2-उठते-बैठते समय चक्कर आना

3-अचनाक दौरे पड़ना

4-शरीर में थकावट रहना

डॉक्टर ने दी यह सलाह

डॉक्टर अशरफ खान का कहना कि पेट में कीड़े दिमाग़ में पहुंच जाने के कारण न्यूरोसिस्टी सरकोसिस की बीमारी मरीजों में देखने को मिली है। जिनका उपचार किया जा रहा है। तीन माह के उपचार से इस बीमारी से निजात मिल सकती है। उपचार में लापरवाही जानलेवा भी साबित हो सकती है।



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Aakanksha Dixit

Aakanksha Dixit

Content Writer

नमस्कार मेरा नाम आकांक्षा दीक्षित है। मैं हिंदी कंटेंट राइटर हूं। लेखन की इस दुनिया में मैने वर्ष २०२० में कदम रखा था। लेखन के साथ मैं कविताएं भी लिखती हूं।

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