हाईटेक दौर में भी टोटके से जुदा न हो पाई हापुड़ पुलिस, नए साल पर 'गुड वर्क' से शुरू हुई थानों की जीडी

Hapur News :थाना पर चिक दस्तांजी, रजिस्टर नंबर आठ और जीडी को अलग-अलग स्थानों पर रखा जाता है। इनके एक साथ रखे जाने पर क्षेत्र में किसी बड़े वारदात की आशंका रहती है। जानें पुलिस के ऐसे ही कई अन्य टोटके...

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Published on: 2 Jan 2024 10:40 AM GMT
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प्रतीकात्मक चित्र (Social Media) 

Hapur News : वर्तमान समय में जब पुलिस को लगातार हाईटेक किया जा रहा है, ऐसे वक़्त में भी सिस्टम में कुछ ऐसे लोग हैं जिन्हें बरसों पुरानी धारणाओं के साथ शुभ-अशुभ का फेर ज्यादा भाता है। साल दर साल बीतते गए लेकिन, आज भी नए साल के पहले दिन पहला मुकदमा केवल 'गुड वर्क' का ही जीडी में दर्ज होता है। ताकि, पूरे साल सब अच्छा ही अच्छा रहे।

वर्ष 2024 में भी वर्षों पुराने इस टोटके से नए साल का आगाज हुआ। हापुड़ नगर में चार, थाना देहात में तीन, बाबूगढ़ में दो, पिलखुवा में पांच, सिंभावली में पांच, गढ़मुक्तेश्वर में तीन आरोपियों पर गैंगस्टर का मुकदमा दर्ज हुआ। धौलाना व बहादुरगढ़ में चाकू के साथ एक-एक आरोपी को गिरफ्तार कर मुकदमा दर्ज किया गया। कपूरपुर में मारपीट के मामले में तीन आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हुई है। वहीं, हाफिजपुर में कोई मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है।

'गुड वर्क पीछे क्या है वजह?

नए साल के पहले दिन पहला मुकदमा 'गुड वर्क' का दर्ज किया जाए, इसकी पीछे भी खास वजह है। पुलिस का मानना है नए साल पर थाना पर शुरू होने वाली जीडी पर पहली कार्रवाई निरोधात्मक होती है। इससे पुलिस की भाषा में 'गुड वर्क' कहा जाता है। किसी आरोपी की गिरफ्तारी या फिर ऐसा कार्य दर्ज करना जिससे पुलिस का मान बढ़े। दूसरे नंबर पर सीआरपीसी और तीसरे नंबर आईपीसी के तहत मुकदमे दर्ज किए जाते हैं। अगर, थाने का पहला मुकदमा किसी घटना का दर्ज किया जाएगा को पूरे साल ऐसी घटनाओं से जूझना पड़ेगा। इस डर से साल दर साल बीतते जा रहे हैं, लेकिन, पुलिस वर्षों पुराने टोटके से खुद को जुदा नहीं कर पाई है। पुलिस के गुडवर्क के फर्द आज भी अंग्रेजों के जमाने की तरह ही लिखी जा रही है।

कई अन्य टोटके भी अपनाती है पुलिस

थाना परिसर में एक मंदिर की स्थापना जरूर होती है। यहां बिना पूजा-पाठ किए पुलिस कर्मचारी कामकाज शुरू नहीं करते हैं। रोजाना के कार्यकलाप की एंट्री जनरल डायरी में आज भी होती है। थाने पर कब-कब, क्या-क्या हुआ है? इसकी एंट्री की जाती है। महीने भर के कामकाज में तीन और सात अंक से बचाव किया जाता है। जीडी जब इस अंक तक पहुंचती है तो वहां पर आमद और बरामदगी की जगह कोई मामूली वारदात डाल दी जाती है। कोई भी महत्वपूर्ण कार्रवाई इस अंक पर नहीं की जाती।

बड़ी वारदात के डर से अलग-अलग रखे जाते हैं रजिस्टर

थाना पर चिक दस्तांजी, रजिस्टर नंबर आठ और जीडी को अलग-अलग स्थानों पर रखा जाता है। इनके एक साथ रखे जाने पर क्षेत्र में किसी बड़े वारदात की आशंका रहती है। किसी शव से संबंधित मामला दर्ज होने पर पंचनामा रजिस्टर को संभालकर नहीं रखा जाता बल्कि, लिखा-पढ़ी के बाद उसे बेततरीब तरीके से फेंक दिया जाता है। तीन पुलिस कर्मचारी रजिस्टर में लात मारते हैं। माना जाता है कि इससे उसका असर खत्म हो जाता है।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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