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UP: इन 3 महीनों में महिलाओं से कम होती है छिनैती की घटनाएं, वजह जानकर चौक जाएंगे आप

Hapur News: पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, ऐसा नहीं है कि सर्दी के दिनों में अपराधी चोरी की वारदात छोड़ देते हैं। असली वजह यह है कि उन्हें वारदात को अंजाम देने के लिए मौका कम मिलता है।

Avnish Pal
Report Avnish Pal
Published on: 18 Dec 2023 5:03 PM IST
Hapur News
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प्रतीकात्मक चित्र (Social Media) 

Hapur News: महिलाओं को आभूषण पहनने का और उसकी नुमाईश का शौक होता है। उनके इसी शौक का नाजायज फायदा राहजनी करने वाले उठाते हैं। राह चलते महिलाओं के गले से चेन और कानों से कुंडल छीनकर मौके से फरार हो जाते हैं। यदि इस तरह की वारदातों का आंकड़ा देखें तो सबसे ज्यादा राहजनी की घटनाएं अप्रैल से लेकर जून माह तक होती है। वहीं, पूरे साल में सबसे कम राहजनी नवंबर, दिसंबर और जनवरी के महीने में होती है। इस तरह से राहजनी की घटनाओं को घटने और बढ़ने के पीछे भी सबसे बड़ा कारण महिलाओं की शौक में ही छिपा होता है।

चेन स्नेचिंग की वारदात कब अधिक होती है?

गर्मी के दिनों में राहजनी की वारदातें सबसे अधिक होती हैं। सर्दियों में इस तरह की वारदातों में कमी आ जाती है। पुलिस अधिकारी के अनुसार, गर्मी के दिनों में महिलाएं आम तौर कम कपड़े पहनती हैं। वह जो भी जेवर पहनती हैं, भरसक उन्हें दिखाने की कोशिश भी रहती है। इसका फायदा चोर-उचक्के उठाते हैं। राहजनी की वारदातों को अंजाम देकर फरार हो जाते हैं। इसी प्रकार, सर्दी के दिनों में एक तो महिलाएं शॉल- स्वेटर के साथ ही कपड़े भी ज्यादा पहनती हैं। इससे उनके जेवर या तो ढंके होते हैं या फिर उन्हें आसानी से खींचकर भागना मुश्किल हो जाता है।

बदमाशों को सर्दियों में कम मिलता है अपराध का मौका

पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, ऐसा नहीं है कि सर्दी के दिनों में अपराधी चोरी की वारदात छोड़ देते हैं। असली वजह यह है कि उन्हें वारदात को अंजाम देने के लिए मौका कम मिलता है। यही वजह है कि नवंबर से जनवरी महीने में राहजनी की वारदातें अपेक्षाकृत कम होती हैं। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, वैसे तो राहजनी की वारदात के लिए हल्की धारा लगती हैं। इसमें बदमाशों को जमानत भी जल्दी मिल जाती है। लेकिन, यदि पीड़ित की बात करें तो उनके लिए यही छोटी सी वारदात किसी बड़े हादसे से कम नहीं होती।

झपटमारी कई बार हो जाता है जानलेवा

दरअसल, ज्यादातर अपराधी बाइक से आते हैं। झटके से चेन या कुंडल छीनकर मौके से फरार हो जाते हैं। ऐसी कई वारदातों में महिलाओं का गला या कान कट भी जाता है। यदि किसी मामले में पीड़ित महिलाएं विरोध करने की कोशिश करती है तो बदमाश अपने बचाव में जानलेवा हमला तक कर बैठते हैं। ऐसे में झपटमारी की वारदात को लूट में बदलने में टाइम नहीं लगता।

हल्की धाराएं 'वरदान' !

अब बात करते हैं इसमें यदि बदमाश पकड़ा जाता है तो उसे आसानी से जमानत मिल जाती है। ऐसे में जेल से बाहर आकर ये बदमाश दोबारा से वारदात को अंजाम देने लगते हैं। हालांकि, कई बार पुलिस ऐसे बदमाशों को लंबे समय तक जेल में रखने के लिए दूसरा तरीका अख्तियार करती है। इसमें इन बदमाशों के खिलाफ धारा- 379ए लगाने के बजाय सीधे लूट की धारा- 392 या 394 लगाकर कोर्ट में पेश करती है। इन धाराओं में 10 साल से अधिक की सजा होने की वजह से बदमाशों को तुरंत जमानत नहीं मिल पाती। हालांकि, इस खेल को अंजाम देने के लिए पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ती है।

वर्ष 2021 से अब तक दर्ज लूट के मुकदमे व अपराधियों की स्थिति-

थाने का नाम दर्ज मुकदमे कुल अपराधी जेल में बंद अपराधी जमानत पर छूटे अपराधी

हापुड़ नगर 06 19 04 15

हापुड़ देहात 06 16 00 16

बाबूगढ़ 07 25 00 25

पिलखुवा 04 17 03 12

धौलाना 01 03 00 03

कपूरपुर 02 08 06 02

हाफिजपुर 00 00 00 00

गढ़मुक्तेश्वर 04 14 14 00

सिंभावली 06 20 03 17

बहादुरगढ़ 03 07 04 03


योग 39 129 34 93

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Content Writer

अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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