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Hapur: राजस्व को नुकसान, श्मशान घाट पर बिना रवन्ने के बेची जा रही लकड़ी, अधिकारी ने दिए जांच के आदेश
Hapur: जिले में श्मशान घाट पर कई सौ कुंतल रोजाना लकड़ी की खरीद -फरोख्त होती है। लेकिन विभाग के अधिकारियों के पास कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है।
हापुड़ में श्मशान घाट पर बिना रवन्ने के बेची जा रही लकड़ी (न्यूजट्रैक)
Hapur News: जिले में श्मशान घाट पर कई सौ कुंतल रोजाना लकड़ी की खरीद -फरोख्त होती है। लेकिन विभाग के अधिकारियों के पास कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। न ही वन विभाग सरकारी रवन्ने की वसूलने में दिलचस्पी ले रहा है। जिससे अवैध रूप से लकड़ी की टाल से संचालक बेखौफ होकर खरीद फरोख्त में लगे है।
अवैध रूप से संचालित है लकड़ी की टाल
गंगानगरी ब्रजघाट में मोक्ष स्थली पर बड़ी सख्या में अवैध लकड़ी की टाल खोली हई है। जहां रोजाना हज़ारों कुंतल लकड़ी की खरीद होती है। वहीं कुछ दूरी पर स्थित वन विभाग कार्यालय के पास लकड़ी की दुकानों का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। जिसके कारण लकड़ी की दुकान चलाने वाले मनमाने ढंग से खरीद फरोख्त कर वन विभाग को हजारों रुपये का प्रत्येक दिन का चूना लगा रहे है। इतना ही नही श्मशान घाट पर वन विभाग की करीब एक हेक्टेयर भूमि है, लेकिन उस पर टाल संचालकों ने ही अवैध रूप से कब्जा किया हुआ है। जिस पर अधिकारी और कर्मचारी कार्यवाही करने में परहेज कर रहे है।
रवन्ना वसूली का नही कोई रिकॉर्ड
गौरतलब है कि श्मसान घाट पर किस प्रजाति की लकड़ी आ रही है। कितनी सख्या में आ रही है। कितने लोग टाल का कार्य कर रहे है। कोई रिकॉर्ड नही है ,जबकि 3.80 रुपये प्रति कुंतल के हिसाब से एक टाल संचालक से रवन्ना वसूली जाती है, लेकिन वन विभाग की ढिलाई के कारण रोजाना हज़ारों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है। इस तरह की कार्यशैली को देखकर लगता है कि कहीं न कहीं वन विभाग की मिलीभगत हो सकती है।
क्या कहते है वन क्षेत्राधिकारी
वन क्षेत्र अधिकारी करन सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि,कुछ प्रजाति पर रवन्ना नही लगता है। उसके बावजूद भी जांच कराएंगे और साथ ही वन विभाग की भूमि को कब्जा मुक्त कराने के लिए पालिका ओऱ पुलिस टीम के साथ कब्जा हटवाया जाएगा।