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Hapur News: नाव की अनुमति पर गंगा में दौड़ा रहे मोटर बोट,जलीय जीव और पर्यावरण को पहुंचा रहे नुकसान

Hapur News: सभी केवटों ने गंगा में नाव की जगह मोटर बोट उतार रखी हैं। डीजल से चलने वाली इन मोटर बोटों से धुआं और ध्वनि निकलती है। जिससे पर्यावरण दूषित हो रहा है। साथ ही गंगा में रहने वाले जलीय जीवों की मौत हो जाती है।

Avnish Pal
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Published on: 12 May 2024 12:45 PM IST (Updated on: 12 May 2024 12:57 PM IST)
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गंगा में चल रहीं मोटर बोट (Video: Newstrack)

Hapur News: यूपी के जनपद हापुड़ के गढ़मुक्तेश्वर तीर्थ नगरी की गंगा मैली हो रही है। जिसे निर्मल करने के लिए केंद्र और यूपी की सरकार लगातार करोड़ों रुपये फंड मिलता है और कई कवायद की जाती हैं। फिर भी असर कहीं दिखाई नहीं पड़ रहा है। गंगा के प्रदूषित होने का एक बड़ा कारण है इसमें धड़ल्ले से चल रहे मोटर बोट हैं, जो गंगा के जल को ही नहीं जलीय जीव और पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। नावों की अनुमति लेकर लोग 200 से अधिक मोटर बोट दौड़ा रहे हैं। यह सब अफसरों की लापरवाही के चलते हो रहा है।

नाव की जगह दौड़ाई जा रही है मोटर बोट

तीर्थ नगरी ब्रजघाट को सरकार द्वारा हरिद्वार की तर्ज पर विकसित करने जा रही है, लेकिन प्रशासन की लापरवाही के चलते नियम-कानूनों की रोजाना धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। गंगा में मोटर बोट चलाने पर एनजीटी ने रोक लगा रखी है। बावजूद इसके ब्रजघाट में गंगा में 200 से अधिक मोटर बोट धड़ल्ले से फर्राटा भर रही हैं। जबकि नगर पालिका द्वारा केवटों को नाव चलाने का लाइसेंस मिला हुआ है। गंगा में नाव का नामोनिशान नहीं है।

गंगा प्रदूषित कर रहीं मोटर बोट

सभी केवटों ने गंगा में नाव की जगह मोटर बोट उतार रखी हैं। डीजल से चलने वाली इन मोटर बोटों से धुआं और ध्वनि निकलती है। जिससे पर्यावरण दूषित हो रहा है। साथ ही गंगा में रहने वाले जलीय जीवों की मौत हो जाती है। गंगा किनारे मोटर बोटों का अतिक्रमण इतना ज्यादा है कि दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं को स्नान करने में भारी मशक्कत का सामना करना पड़ रहा है। कुछ नाविक लोग अस्थि विसर्जन के नाम पर श्रद्धालुओं से मनमाफिक पैसे वसूलते हैं। जिससे श्रद्धालुओं की आस्था को काफी ठेस पहुंचती है। जो अब गंगा घाट पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आम बात हो गई है। जबकि नगर पालिका का निर्धारित किराया 100 रुपये प्रति सवारी है।

जलीय जीव जंतुओं का अस्तित्व खतरे में

राष्ट्रीय जलीय जीव डाल्फिन के अस्तित्व गंगा में बढ़ रहे प्रदूषण से दुर्लभ जलीय जीव जंतुओं के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। यहां तक कि गंगा को साफ करने में मददगार कहे जाने वाले घड़ियाल, डाल्फिन और कछुओं की संख्या भी लगातार घटी रही है, लेकिन शासन-प्रशासन फिलहाल कुछ करता नहीं दिख रहा है। इससे गंगा और पर्यावरण प्रेमियों में रोष है।

प्रशासनिक अधिकारी ने जाँच के दिए आदेश

गढ़मुक्तेश्वर एसडीएम साक्षी शर्मा का कहना है कि गंगा में चल रही मोटरबोटों के संबंध में नगर पालिका के अफसरों से जानकारी की जाएगी। नियम विरुद्ध चलने वाली मोटरबोटों पर कार्रवाई की जाएगी। किसी भी कीमत पर गंगा की स्वच्छता और पर्यावरण से खिलवाड़ नहीं करने दिया जाएगा।

Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

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