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Hapur News: वट अमावस्या पर लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई गंगा में डुबकी, जानिए क्या है सुहागिनों के लिए इस व्रत की मान्यता
Hapur News: विधि-विधान से वट वृक्ष की पूजा अर्चना की गई। पावन गंगा में डुबकी लगाकर अखंड सौभाग्यवती रहने की प्रार्थना की गई।
Hapur News: तीर्थ नगरी ब्रजघाट में जयेष्ठ मास की वट अमावस्या पर गंगा किनारे भक्ति का सैलाब देखने को मिला। यहां बड़ी संख्या में सुहागिन महिलाएं परिवार सहित पहुंची। विधि-विधान से वट वृक्ष की पूजा अर्चना की गई। पावन गंगा में डुबकी लगाकर अखंड सौभाग्यवती रहने की प्रार्थना की गई।
गंगा किनारे लगा दूरदराज से आए श्रद्धालुओं का मेला
ब्रजघाट में गंगा किनारे शुक्रवार को मेले जैसा माहौल देखने को मिला। पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलावा दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान से आए लाखों श्रद्धालुओं के बीच यहां पैर रखने की जगह नहीं थी। सोलह श्रृंगार किए सजी-धजी विवाहित महिलाएं यहां वट वृक्ष की पूजा करती दिखीं। सुहागिनों द्वारा उनके पति के दीर्घायु होने की कामना की गई। ब्रजघाट पर गंगा स्नान को लेकर दिल्ली-लखनऊ नेशनल हाईवे-9 को जाममुक्त रखने के साथ ही श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पूरी तरह चाक-चौबंद इंतजाम गढ़मुक्तेश्वर पुलिस ने किए थे। सादे कपड़ों में भी पुलिसकर्मी तैनात रहे और संदिग्ध लोगों की गतिविधियों पर नजर रखी गई।
यह है वट अमावस्या की मान्यता
वट अमावस्या के दिन विधि विधान से पूजा-पाठ करने से बहुत सारे लाभ होते हैं। इस दिन सभी सुहागन महिलाएं पूरे 16 श्रृंगार कर बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। ऐसा पति की लंबी आयु की कामना के लिए किया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन ही सावित्री ने अपने दृढ़ संकल्प और श्रद्धा से यमराज द्वारा अपने मृत पति सत्यवान के प्राण वापस पाए थे। इस कारण से ऐसी मान्यता चली आ रही है कि जो स्त्री सावित्री के समान यह व्रत करती है, उसके पति से लेकर घर पर आने वाले सभी संकट समाप्त होते हैं। इस दिन महिलाएं वट यानी बरगद के पेड़ के नीचे सावित्री, सत्यवान व अन्य इष्टदेवों का पूजन करती हैं। इसी कारण से इस व्रत का नाम वट सावित्री पड़ा है। इस व्रत के परिणामस्वरूप सुखद और संपन्न दांपत्य जीवन का वरदान प्राप्त होता है।