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मुश्किल में फंसे सुभासपा के दो विधायक
केस नंबर 1: वाराणसी के चौबेपुर स्थित सिवो ग्राम निवासी सुरेश मौर्य का अचार, मुरब्बा का छोटा सा कारखाना है। सुरेश मौर्या के मुताबिक चार साल पहले कैलाश नाथ सोनकर उन्हें प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत पंद्रह लाख रुपये लोन दिलाने का झांसा देकर अपने साथ ले गए। खादी ग्रामोद्योग आयोग और बैंक के अधिकारियों के साथ उसका लोन पास करवा दिया। इस बीच उन्होंने सुरेश मौर्य की हस्ताक्षर की हुई चेकबुक और पासबुक अपने पास रख ली। आरोप है कि कैलाशनाथ सोनकर ने लोन का पूरा पैसा हड़प लिया। अब बैंक रिकवरी के लिए सुरेश मौर्य को लगातार नोटिस भेज रहा है।
केस नंबर 2: ग्राम जाल्हूपुर निवासी भुल्लन टेंट हाउस का कारोबार करते हैं। भुल्लन के अनुसार कैलाशनाथ सोनकर ने कारोबार को बढ़ाने के लिए उन्हें दस लाख रुपए लोन दिलवाने का वादा किया। इसके पीछे उन्होंने भारी सब्सिडी की बात कही। सोनकर के झांसे में आकर भुल्लन ने लोन तो करवा लिया, लेकिन अभी तक फूटी कौड़ी उन्हें नसीब नहीं हुई। ऊपर से बैंक वाले अब उनके पीछे पड़े हुए हैं। भुल्लन अब इंसाफ की आस में दर-दर भटक रहे हैं।
केस नंबर 3: आशापुर के रुस्तमपुर निवासी अनहद अली करघा चलाकर किसी तरह परिवार का पेट पालते हैं। अनहद के मुताबिक कैलाशनाथ सोनकर ने उन्हें भी अपना शिकार बनाया है। विधायक के कहने पर उन्होंने पंद्रह लाख रुपए लोन लिए, लेकिन अभी तक एक भी पैसा नहीं मिला। अनहद के मुताबिक लोन पास होने के बाद सोनकर ने सभी पेपर अपने पास रख लिए। पैसे मांगने पर अब सत्ता का धौंस दिखाते हैं और जान से मारने की धमकी देते हैं।
आशुतोष सिंह
वाराणसी: लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही यूपी में सियासी समीकरण तेजी से बदलने लगे हैं। विपक्ष लामबंद हो रहा है तो बीजेपी की सहयोगी पार्टियां उसे आंखें दिखा रही हैं। कुल मिलाकर दबाव की राजनीति चरम पर है। इन सबके बीच बीजेपी की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी नई मुसीबत में फंस गई है। भ्रष्टाचार को लेकर योगी सरकार पर हमलावर होने वाली इस पार्टी के दो विधायक अब खुद घपले-घोटालों के मामले में फंस गए हैं। वाराणसी के अजगरा विधानसभा क्षेत्र से विधायक कैलाश सोनकर के ऊपर गरीबों का पैसा हड़पने का आरोप लग रहा है। वहीं गाजीपुर के जखनियां से विधायक त्रिवेणी राम चार साल पहले हुए एक फर्जीवाड़े के मामले में फंस गए हैं। इन आरोपों के बाद पूर्वांचल की सियासत एक बार फिर से गर्म हो गई है।
पहले से ही बीजेपी और सुभासपा में रिश्ते तल्ख थे, लेकिन अब इन आरोपों के बाद दोनों दलों के रिश्ते और बिगडऩे की आशंका जताई जा रही है। सुभासपा अपने विधायकों के साथ खड़ी है तो बीजेपी पर्दे के पीछे से पूरे मामले को हवा देने में जुटी हुई है। आलम ये है कि अब बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्रनाथ पांडेय ने सुभासपा विधायक कैलाश सोनकर को चोर तक कह दिया। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के इस बयान के बाद सुभासपा विधायक कैलाश सोनकर बौखला गए हैं। उन्होंने इसे दलित अस्मिता से जोड़ते हुए महेंद्रनाथ पांडेय के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज करने का ऐलान कर दिया है। माना जा रहा है कि अगर दोनों विधायकों पर शिकंजा कसा गया तो लोकसभा चुनाव के पहले सुभासपा कोई बड़ा फैसला ले सकती है।
सोनकर पर 600 करोड़ रुपए के घपले का आरोप
प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की अजगरा सीट से विधायक कैलाश सोनकर पर इलाके के ग्रामीणों ने संगीन आरोप लगाए हैं। पीडितों के मुताबिक कैलाश सोनकर ने खादी और ग्रामोद्योग आयोग के अधिकारियों के साथ मिलकर 600 करोड़ रुपए के घोटाले को अंजाम दिया। आरोप है कि विधायक बनने से पहले से ही कैलाश सोनकर इस कार्य को अंजाम देते आ रहे हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार कैलाश सोनकर अपने गुर्गों की मदद से इलाके के गरीब और खासतौर से अनपढ़ कारोबारियों को अपने झांसे में लेते थे। वे गरीबों को खादी ग्रामोद्योग से कारोबार के नाम पर लोन दिलाने का सब्जबाग दिखाते थे। लोगों को समझाते कि प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत आपको सब्सिडी भी मिलेगी।
पैसे के लालच में लोग कैलाश सोनकर की साजिश में आसानी से फंस जाते। इसके बाद शुरू होता था फर्जीवाड़े का खेल। बताया जा रहा है कि जैसे ही कारोबारी लोन के लिए सहमत हो जाता, कैलाश सोनकर उसे बैंक और खादी ग्रामोद्योग के अधिकारियों से मिलवाता था। इंटव्यू और शुरुआती कागजी लिखापढ़ी के बाद उसे लोन मिल जाता था। लेकिन लोन के चंद पैसे ही कारोबारी तक पहुंचते थे। अधिकांश पैसा कैलाशनाथ सोनकर हड़प लेते थे। वो लोगों के हस्ताक्षर किए हुए चेकबुक और पासबुक अपने पास ले लेते थे। बताया जा रहा है कि पिछले कई सालों से विधायक बुनकर, गरीब, मजदूरों से लोन के नाम पर फर्जी चेक पर साइन कराकर लाखों रुपये ऐंठ रहे थे। जब बैंक वालों ने लोगों को नोटिस भेजना शुरू किया तब मामले का खुलासा हुआ।
भांजी अपराजिता सोनकर पर भी लग चुके हैं आरोप
आरोपों के घेरे में सिर्फ कैलाश सोनकर ही नहीं है बल्कि जिला पंचायत अध्यक्ष अपराजिता सोनकर के पिता ज्ञानचंद्र सोनकर भी हैं। पीडि़तों के मुताबिक इस रैकेट के मास्टरमाइंड अपराजिता सोनकर के पिता ज्ञानचंद्र हैं। ज्ञानचंद्र के कहने पर ही वे लोग कैलाशनाथ सोनकर के बहकावे में आए थे। दरअसल कैलाश सोनकर के अलावा अपराजिता सोनकर भी भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी हैं। सपा से बीजेपी का दामन थामने वाली जिला पंचायत अध्यक्ष अपराजिता सोनकर के खिलाफ आरोप है कि उनके कार्यकाल में हुए विकास कार्यों में भारी अनियमितता बरती गई है। बगैर कार्ययोजना बनाए और टेंडर निकाले भुगतान कर दिया गया। अपराजिता सोनकर और अपर मुख्य अधिकारी के संयुक्त हस्ताक्षर से तीन दिनों के अंदर ही 4 करोड़ 30 लाख रुपए अवमुक्त कर दिए गए जो नियमों के खिलाफ है।
आरोप है कि वित्तीय वर्ष 2017-18 में चार करोड़ 38 लाख रुपए कागजों पर ही खर्च कर दिए गए। ज्यादातर कार्यों की न तो कार्ययोजना बनाई गई और न ही कोई टेंडर निकाला गया। कहा जा रहा है कि इस दौरान बनाई गई कई सडक़ें और नालियां ऐसी हैं जिनका अस्तित्व ही नहीं है। कुछ सडक़ें ऐसी हैं, जो पूर्व में किसी दूसरी योजना के तहत बन चुकी थीं या उनकी मरम्मत कराई जा चुकी थी। कुछ सडक़ें तो ऐसी भी हैं, जिन्हें बरसात के मौसम में बह गया या कटा दिखा दिया गया। दरअसल अपराजिता सोनकर अजगरा विधायक कैलाश सोनकर की भांजी है। अपराजिता को राजनीति में लाने का श्रेय कैलाश सोनकर को ही जाता है। कैलाश न सिर्फ उनके मामा हैं बल्कि राजनीतिक गुरु भी हैं। ऐसे में दोनों के भ्रष्टाचार में शामिल होने के बाद वाराणसी की सियासत में चर्चाओं का बाजार गर्म हैं। लोग मामा और भांजी की जोड़ी पर चुटकी ले रहे हैं।
विधायक ने आरोपों को बेबुनियाद बताया
दूसरी ओर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने इस पूरे प्रकरण को साजिश बताया है। पार्टी के राष्टï्रीय सचिव शशिकांत सिंह के मुताबिक कैलाश सोनकर के विरोधी उन्हें फंसाने की साजिश रच रहे हैं। उन्होंने कहा कि पूरे मामले की सीबीआई जांच हो जानी चाहिए ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए। आरोपी विधायक सोनकर के अनुसार मेरे ऊपर लगे सभी आरोप बेबुनियाद है। मेरे खिलाफ आरोप राजनीति से प्रेरित हैं। बिना सिर पैर के आरोप लगाना सरासर गलत है। किसी को शिकायत थी तो पहले क्यों नहीं आया। प्रशासन पूरे प्रकरण की जांच कराए ताकि सच लोगों के सामने आ सके।
क्रॉस वोटिंग को लेकर सुर्खियों में थे सोनकर
दरअसल कैलाशनाथ सोनकर उस समय सुर्खियों में आए जब यूपी में विधानपरिषद का चुनाव चल रहा था। बीजेपी के नेताओं ने यह आरोप लगाया था कि कैलाशनाथ सोनकर ने क्रॉस वोटिंग की थी। बताया जा रहा है कि इस घटना के बाद से ही कैलाशनाथ सोनकर बीजेपी के निशाने पर थे। सूत्रों के मुताबिक पार्टी के बड़े नेताओं की हरी झंडी मिलने के साथ ही कैलाशनाथ सोनकर के खिलाफ ठंडे बस्ते से पड़े इस मुद्दे को हवा दी गई। यही कारण है कि सालों से चुप रहने वाले पीडि़तों ने न सिर्फ विधायक के कारनामे के विरोध में अपना सिर मुंडवाया बल्कि पूरे प्रकरण की सीबीआई जांच की मांग भी की।
पीडि़तों के पक्ष में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष
इस बीच पीडि़तों के पक्ष में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्रनाथ पांडेय भी उतर आए हैं। अजगरा विधानसभा क्षेत्र में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कैलाश सोनकर को चोर बता दिया। उनका ये वीडियो पूरे इलाके में वायरल भी हो रहा है। मामले ने तूल पकड़ा तो आरोपों का जवाब देने के लिए कैलाशनाथ सोनकर भी मैदान में उतर आए। उन्होंने कहा कि डॉ. महेन्द्र नाथ पांडेय ने जिस तरह से मेरे ऊपर टिपण्णी की वह उन्हें शोभा नहीं देती। मैं उनका सम्मान करता हूं और करता रहूंगा। उन्होंने कहा कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने जो कहा और जो किया वो गलत है। हम उन्हें मानहानि की नोटिस भेजेंगे। साथ ही हमारी पार्टी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मिलकर उन्हें इस प्रकरण की जानकारी देगी। उन्होंने कहा कि पार्टी के राष्टï्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर से इस संदर्भ में बातचीत की गई है और उन्होंने भी मेरा साथ देने की बात कही है। पार्टी मेरे साथ खड़ी है, लेकिन जिस तरह से एक दलित विधायक होने की वजह से मेरे साथ महेंद्र नाथ पांडे की तरफ से अभद्र भाषा का प्रयोग किया जा रहा है वह ठीक नहीं है। सोनकर ने कहा कि भारतीय राजनीति के इतिहास में 70 साल में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी विधानसभा क्षेत्र में शिलान्यास होने पर लगाए गए शिलापट्ट में उस क्षेत्र के विधायक का नाम नहीं डाला गया है।
दोबारा खुलेगी त्रिवेणी राम की फाइल
भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे हैं दूसरे विधायक त्रिवेणी राम। गाजीपुर के जखनियां से विधायक के खिलाफ घोटाले के एक पुराने मामले की फाइल दोबारा खुलेगी। इस आशय का आदेश हाईकोर्ट ने डीएम गाजीपुर को दिया है। मामला मुहम्मदाबाद ब्लाक की करमचंदपुर ग्राम पंचायत का है। यह त्रिवेणी राम की पैतृक ग्राम पंचायत है और विधायक चुने जाने से पहले त्रिवेणी राम यहां के प्रधान थे। वे लगातार चार बार से यहां से प्रधान चुने गए। इस दौरान उन पर विभिन्न योजनाओं में लाखों के घोटाले के आरोप लगे। ग्राम पंचायत के ही राजीव रंजन सिंह ने इसकी शिकायत ऊपर तक पहुंचाई। तब वर्ष 2014 में तत्कालीन डीएम ने इसकी जांच का आदेश दिया। जांच की जिम्मेदारी तत्कालीन डीडीओ सुरेशचंद्र राय को सौंपी गई।
बताया जाता है कि जांच की शुरुआत में ही 56 लाख रुपये के घोटाले की पुष्टि हुई। यह घोटाला मनरेगा, शौचालय व आवास योजना में हुआ बताया गया। आगे की कार्रवाई होती उसके पहले ही त्रिवेणी राम जखनियां विधायक निर्वाचित हो गए। फिर तो उनके खिलाफ की फाइल बंद हो गई। आखिर में शिकायतकर्ता राजीव रंजन सिंह इस मामले को लेकर हाईकोर्ट पहुंचे। हाईकोर्ट ने डीएम गाजीपुर को आदेश दिया कि जांच की कार्रवाई शीघ्र पूरी की जाए। इस संबंध में डीएम के बालाजी ने बताया कि हाईकोर्ट ने दो माह के भीतर जांच प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया है। इस आदेश का अनुपालन होगा। उधर विधायक त्रिवेणी राम ने कहा कि वह सभी आरोप राजनीतिक द्वेष के तहत लगे हैं। वह खुद चाहते हैं कि पूरे मामले की जांच हो। पूर्व के जांच अधिकारी तत्कालीन डीडीओ सुरेशचंद्र राय ने उन्हें जानबूझ कर फंसाया था। रही बात उनके खिलाफ शिकायत करने वाले राजीव रंजन सिंह की तो वह उनसे पांच बार ग्राम प्रधानी का चुनाव हार चुके हैं। लिहाजा इसी खुन्नस में उन्होंने उनके खिलाफ झूठी शिकायतें कीं।