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Hardoi News: हरदोई में एक ऐसी रसोई जहां मिलता है 10 रुपए में भरपेट ख़ाना, जाने कैसे हुई इस रसोई की शुरुआत और क्या है नाम

Hardoi News: चाहे सरकारी कर्मचारी हो स्टूडेंट हो या फिर भले ही वह रिक्शा चालक हो सभी यहां केवल 10 रुपये देकर पेट भर खाना खाते हैं. इस रसोई का नाम मां अन्नपूर्णा रसोई. यह रसोई भारतीय रोटी बैंक नामक संस्था के अंतर्गत संचालित की जा रही है.

Pulkit Sharma
Published on: 10 April 2023 9:42 PM IST (Updated on: 10 April 2023 9:58 PM IST)

Hardoi News: हरदोई में एक ऐसी रसोई का संचालन किया जा रहा है. जहां पर 10 रुपये में लोगों को पेट भर खाना खिलाया जाता है. चाहे सरकारी कर्मचारी हो स्टूडेंट हो या फिर भले ही वह रिक्शा चालक हो सभी यहां केवल 10 रुपये देकर पेट भर खाना खाते हैं. इस रसोई का नाम मां अन्नपूर्णा रसोई. यह रसोई भारतीय रोटी बैंक नामक संस्था के अंतर्गत संचालित की जा रही है.

रोज़ बनते है अलग व्यंजन

रसोई पर प्रतिदिन अलग-अलग मेन्यू के आधार पर खाने को बनाया जाता है और आम लोगों को परोसा जाता है. हरदोई के जिला अस्पताल परिसर के इमरजेंसी गेट के ठीक पड़ोस में स्थापित है यह रसोई, जहां पर मरीजों से लेकर तीमारदार तक कम कीमत पर खाना खाने आते हैं और वहीं अस्पताल के कर्मचारी भी दोपहर को खाने के लिए इसी मां अन्नपूर्णा रसोई का रुख करते हैं.

जाने कब हुई थी शुरुआत कब हुई थी इस रसोई की शुरुआत

हरदोई के रहने वाले दो भाई अरुणेश पाठक और आशुतोष पाठक के द्वारा माँ अन्नपूर्णा रसोई को साल 2016 के दिनांक 6 फरवरी को शुरुआत की गई थी. जिसमे धीरे-धीरे इनका कुनबा बढ़ता गया लोग इनसे प्रेरित होकर आते गए और माँ अन्नपूर्णा रसोई से जुड़ते गए वर्तमान में 1200 के लगभग परिवार जुड़े हैं, और इन दोनों भाइयों का सहयोग कर रहे हैं.

ग़रीबो को निःशुल्क भी मिलता है ख़ाना जरूरतमंदों का पेट भर रही रसोई

माँ अन्नपूर्णा रसोई के संचालक अरुणेश पाठक का कहना है कि इस रसोई पर जरूरतमंदों को पेट भर खाना खिलाया जाता है. जो सक्षम हैं वह 10 रुपये का टोकन लेकर खाना खा सकते हैं और जो सक्षम नहीं हैं उन्हें भी बिना पैसे के भोजन खिलाया जाता है. प्रतिदिन अलग अलग मेनू जैसे- कढ़ी चावल, दाल चावल, सब्जी रोटी, चोखा बाटी, सहित मीठे में भी कोई ना कोई डिस परोसी जाती है. ये दोनों भाई एक संस्था का भी संचालन कर रहे हैं. जिसमे लोगों को कपड़ा रोटी से लेकर जरूरतमंदों को ब्लड की व्यवस्था भी कराते हैं. मगर निश्चित दिन पर बांटने वाले खाने को नियमित करने की सोंच ने इन दोनों भाइयों को इस रसोईं को खोलने का विचार आ गया. ताकि जरूरतमंदों को पेट भर खाना उपलब्ध हो सके.



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Pulkit Sharma

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