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सालों बाद याद आया: एक पत्र से शिक्षिकाओं की उड़ी नींद, की कलेक्ट्रेट से गुहार

14 अगस्त को राज्य परियोजना निदेशक के यहां से आये एक पत्र के बाद शिक्षिकाओं के नवनीकरण में दिक्कतें हो रही है। इसको लेकर यह शिक्षिकाएं कलेक्ट्रेट पहुंची थी।

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Published on: 27 Aug 2020 4:09 PM IST
सालों बाद याद आया: एक पत्र से शिक्षिकाओं की उड़ी नींद, की कलेक्ट्रेट से गुहार
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सालों बाद याद आया: एक पत्र से शिक्षिकाओं की उड़ी नींद, की कलेक्ट्रेट से गुहार

हरदोई: जिले के 20 कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में लगभग 12 सालों से कार्य कर रही पार्ट टाइम शिक्षिकाओं के लिए राज्य परियोजना निदेशक के यहां से आये एक पत्र ने परेशान कर दिया है। हलकान परेशान शिक्षिकाएं कलेक्ट्रेट पहुंची और अपनी परेशानियों को लेकर मुख्यमंत्री को सम्बोधित एक ज्ञापन बीएसए को दिया।दरअसल विभाग को 12 साल बाद वे नियम याद आए जो भर्ती के समय लागू ही नहीं किए गए थे।

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सालों बाद याद आया: एक पत्र से शिक्षिकाओं की उड़ी नींद, की कलेक्ट्रेट से गुहार

एक पत्र के बाद शिक्षिकाओं के नवनीकरण में दिक्कतें हो रही है

14 अगस्त को राज्य परियोजना निदेशक के यहां से आये एक पत्र के बाद शिक्षिकाओं के नवनीकरण में दिक्कतें हो रही है। इसको लेकर यह शिक्षिकाएं कलेक्ट्रेट पहुंची थी। जिले में कस्तूरबा गांधी आवासीय स्कूलों का संचालन लगभग 12 सालों से जिले में हो रहा है। इन स्कूलों में पूर्व में तय पदों के आधार पर चयन की कार्रवाई हुई।विभाग अब गौड़ विषयों के शिक्षिकाओं को उनके पदों से हटाया जा रहा है।

शिक्षिकाओं के द्वारा कहा गया

शिक्षिकाओं का कहना है कि जब भर्ती हुई थी तब गौड़ विषय का कोई नियम नहीं था ऐसे में कोई वार्डेन के पद पर तैनात है तो उसे हटाकर निम्न पद पर तैनात किए जाने की प्रक्रिया है जिससे तमाम दिक्कतें होंगी। शिक्षिकाओं के द्वारा कहा गया कि अब आयु सीमा निकल जाने से तमाम शिक्षिकाएं दूसरी सेवा में नही जा सकती ऐसे में उनके सामने बेरोजगारी भी आकर खड़ी हो जाएगी।

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मुख्यमंत्री को दिए गए ज्ञापन में कहा गया है कि भारत सरकार द्वारा नवीन शिक्षा नीति में मुख्य एवं गौड़ विषय का कोई उल्लेख नही है और सभी विषयों को समान महत्व दिया गया है और किसी को गौड़ नही माना गया है।कहा गया है कि लेकिन जो 14 अगस्त को आदेश आया उसमे कुछ विषयों को गौड़ माना गया है। शिक्षिकाओं ने सीएम से मांग की है कि 14 अगस्त को आये आदेश को रोक लगाकर शिक्षिकाओं के साथ न्याय किया जाए।

मनोज तिवारी

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