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Hardoi News: घटिया सड़क निर्माण, फ़र्म का प्रोपराइटर खुद को बताता था DCM का करीबी, इस लिए भी चुप रहे जिम्मेदार
Hardoi News: सड़क निर्माण में अधोमानक सामग्री का प्रयोग होने की जानकारी के बाद भी जिम्मेदार इस मामले में चुप्पी साधे रहे, जो अवर अभियंताओं के लिए मुसीबत बन गई है।
Hardoi News ( Pic- Newstrack)
Hardoi News: हरदोई में लोक निर्माण विभाग पर हुई कार्रवाई के बाद लगातार महकमे में हड़कंप मचा हुआ है। जिस फ़र्म को सड़क के निर्माण का जिम्मा सौंपा गया था, वह खुद को डिप्टी सीएम का करीबी बताकर लगातार अभियंताओं पर दबाव बनाए रखता था। दबदबा इतना था कि सड़क निर्माण में अधोमानक सामग्री का प्रयोग होने की जानकारी के बाद भी जिम्मेदार इस मामले में चुप्पी साधे रहे, जो अवर अभियंताओं के लिए मुसीबत बन गई है। जनपद में ब्लैक लिस्ट हुई चार फ़र्मो में से दो फ़र्मो के प्रोपराइटर खुद को एक डिप्टी सीएम का बेहद करीबी बताकर रोब झाड़ते थे। फर्म के प्रोपराइटर की विभाग में इतनी दहशत थी कि तत्कालीन अधीक्षण अभियंता ने और ना ही अधिशासी अभियंता ने कभी निर्माण की गुणवत्ता को लेकर नोटिस जारी किया और ना ही कभी कुछ कहा।
सांडी शाहाबाद मार्ग के चौड़ीकरण का कार्य 58 करोड़ 97 लाख 38000 की लागत से कराया जाना था। ग्रामीणों की मांग पर इस कार्य को कराया जाना था। इस कार्य को लेकर प्रदेश में आबकारी मंत्री नितिन अग्रवाल ने प्रस्ताव तैयार करने की बात कही थी। नितिन अग्रवाल के प्रस्ताव पर सड़क का निर्माण कार्य कराया जा रहा था।कुछ दिन पूर्व आबकारी मंत्री नितिन अग्रवाल इस मार्ग से निकले तो ग्रामीणों ने खराब गुणवत्ता से बन रही सड़क की शिकायत नितिन अग्रवाल से की थी, इसके बाद नितिन अग्रवाल ने इस मामले की शिकायत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक की।
मुख्यमंत्री द्वारा मामले की जांच कराई गई जिसके बाद यह बड़ी कार्यवाही जनपद में हुई है। ऐसा कहा जा रहा है कि आज तक इतनी बड़ी कार्यवाही किसी भी विभाग पर शासन स्तर से नहीं हुई है। इससे पूर्व 2008 में हरदोई बिलग्राम मार्ग को लेकर कार्रवाई हुई थी जिसमें दो तत्कालीन अधिशासी अभियंता समेत 6 अभियंताओं को निलंबित किया गया था। इसके बाद सपा सरकार में एक अधिशासी अभियंता और दो अवर अभियंताओं को निलंबित किया गया था, यह पहला मामला है जिसमें एक साथ 16 अभियंताओं पर कार्यवाही हुई है।
7 मीटर चौड़ा होना था मार्ग
सांडी शाहाबाद मार्ग को जोड़ने वाले रद्देपूर्वा सकतपुर मार्ग को सिंगल मार्ग से चौड़ा किया जाना था। इस मार्ग को 7 मीटर चौड़ा किया जा रहा था, इसको करने की जिम्मेदारी मैसर्स प्रोग्रेसिव कंस्ट्रक्शन कंपनी के पास थी। कंपनी के प्रोपराइटर खुद को एक डिप्टी सीएम का सिर्फ घनिष्ठ बोल के रिश्तेदार तक बात कर विभाग में रोब झाड़ता था। टेंडर प्रक्रिया होने के बाद भी निर्माण कार्य में देरी हुई लेकिन खुद को डिप्टी सीएम का बेहद करीबी बताने वाले फ़र्म के मालिक को कोई भी नोटिस जिम्मेदारों द्वारा नहीं जारी किया गया था। संबंधित फ़र्म के प्रोपराइटर का इतना भय स्थानीय अधिकारियों में था कि जांच के दौरान सड़क निर्माण की सामग्री फेल हो गई लेकिन स्थानीय अभियंता फर्म के प्रोपराइटर के आगे चुप्पी साधे रहे।