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Hardoi: आयुष विंग में दवाओं का अकाल, अस्पताल पहुंच रहे मरीजों के हाथ लग रही निराशा
Hardoi: कोरोना काल के समय भी आयुर्वेद में लोगों की स्वस्थ होने में काफी मदद की थी। जिसको देखते हुए हरदोई मेडिकल कॉलेज में आयुष विंग की स्थापना हुई थी।
Hardoi News: जिले में कोरोना के समय लोगों की सेहत का आयुर्वेद यूनानी व होम्योपैथिक ने खास ख्याल रखा था। लोग एलोपैथिक दवाई से परहेज करते हुए यूनानी आयुर्वेद और होम्योपैथिक की ओर आकर्षित हुए थे। लोग अब आयुर्वेद यूनानी और होम्योपैथिक का इलाज कराना ज्यादा पसंद कर रहे हैं।
कोरोना काल के समय भी आयुर्वेद में लोगों की स्वस्थ होने में काफी मदद की थी। जिसको देखते हुए हरदोई मेडिकल कॉलेज में आयुष विंग की स्थापना हुई थी। जिसमें मरीज आयुर्वेद के डॉक्टर से परामर्श लेकर दवाई लेते थे। समय के साथ कोरोना की स्थिति समाप्त हुई। उसी के साथ मेडिकल कॉलेज में बना आयुष विंग भी हाशिये पर पहुंच गया। आज आलम यह है कि आयुष विंग खुलता तो है लेकिन इस अस्पताल में पहुंचने वाले मरीजों को उपचार के लिए दवाई उपलब्ध नहीं होती है जिससे उन्हें निराशा हाथ लग रही है।
ज़िम्मेदार बोले जल्द आ जाएगी दवाई
हरदोई मेडिकल कॉलेज में बना आयुष विंग में डॉक्टर प्रतिदिन बैठते हैं और साथ ही 50 से 60 मरीजों को प्रतिदिन परामर्श देते हैं लेकिन यहां मौजूद डॉक्टर अब आयुर्वेदिक यूनानी दवाई के स्थान पर एलोपैथिक दवाई मरीज को लिख रहे हैं। जिसका कारण है कि आयुष विंग में आयुर्वेदिक यूनानी दवाइयां का न होना। डॉक्टर बताते हैं कि कई बार सीएमओ को पत्र लिखकर इस समस्या से अवगत कराया है। जिसके जवाब में सीएमओ द्वारा बताया गया कि ऊपर से ही दवाई नहीं आ रही है। ऐसे में दवाओं की उपलब्धता नहीं हो रही हैं।
आयुष विंग में बैठने वाले यूनानी डॉक्टर नौशाद ने बताया कि लगभग डेढ़ वर्ष से आयुष विंग में दवा का अकाल पड़ा है। मरीज को मजबूरन एलोपैथिक की दवाई लिखनी पड़ रही हैं। मरीज मेडिकल कॉलेज के आयुष विंग में यूनानी आयुर्वेदिक दवाई का उपचार करने के लिए आते हैं लेकिन उन्हें यह सुविधा यहां उपलब्ध नहीं हो पा रही है। इस बाबत मुख्य चिकित्सा अधिकारी रोहिताश कुमार ने बताया कि आयुष विंग मेडिकल कॉलेज परिसर में है। सारी जिम्मेदारी मेडिकल कॉलेज प्रशासन की है। दवाओं के लिए डिमांड भेज दी गई है। 10-15 दिन में दवाई उपलब्ध करा दिये जाएंगे।