पिपरमेंट की खेती कर मालामाल हो रहे किसान, कम लागत में मिल रहा ज्यादा मुनाफा

Hardoi News: हरदोई में किसान अब पिपरमेंट की ओर अपना रुख कर चुके हैं। कई किसान अब अपने खेत में पिपरमेंट की खेती कर अच्छा लाभ कमा रहे हैं।

Pulkit Sharma
Published on: 11 Jun 2024 5:47 AM GMT
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हरदोई में पिपरमेंट की खेती कर मालामाल हो रहे किसान (न्यूजट्रैक)

Hardoi News: हरदोई का किसान अब पारंपरिक खेती को छोड़कर अत्याधुनिक खेती की ओर बढ़ चला है। हरदोई में अब किसान गेहूं चावल धान मक्का की खेती को कम करके विशेष मांग वाली खाद्य वस्तुओं की खेती करना ज्यादा पसंद कर रहा है हरदोई में ड्रैगन फ्रूट्स सुमित अन्य कई प्रकार की विशेष खेती की जा रही है। इसी के साथ हरदोई के किसान अब पिपरमेंट की खेती कर अच्छा लाभ प्राप्त कर रहे हैं। जनपद में अधिकांश किसान गेहूं, चावल की खेती छोड़ पिपरमेंट, ड्रैगन फ्रूट्स जैसी खेती करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। इसके पीछे कम मेहनत और लागत और अधिक मुनाफा है।

हरदोई में किसान अब पिपरमेंट की ओर अपना रुख कर चुके हैं। हरदोई के कई किसान अब अपने खेत में पिपरमेंट की खेती कर अच्छा लाभ कमा रहे हैं। किसान बताते हैं कि एक फसल से उन्हें लाखों रुपए का मुनाफा प्राप्त होता है साथ ही छुट्टा जानवरों की भी कोई चिंता नहीं रहती है। किसानों ने बताया कि पिपरमेंट की खेती में कोई अत्यधिक मेहनत नहीं है ना ही ज्यादा देखभाल की आवश्यकता है। उम्मीद है कि इस फसल सत्र में करीब 400 हेक्टेयर क्षेत्रफल पर पिपरमेंट की पौध रोपित हो सकती है।

यह मिट्टी फसल से लिये अच्छी और ऐसे लगायें पौधे

हरदोई जनपद में पिपरमेंट की खेती से पहले यह खेती पीलीभीत, बदायूं, बाराबंकी, बरेली और रामपुर समेत कुछ जिलों में होती थी लेकिन कुछ वर्षों से क्षेत्रीय किसान भी पिपरमेंट खेती में रुचि ले रहे हैं। हरदोई जनपद के मडिया गांव निवासी विजय कुमार महिमापुर गांव निवासी बबलू सहित आसपास के किसान अब इस खेती को करने लगे हैं। किसानों ने बताया कि जब पिपरमेंट की खेती हरदोई में शुरू हुई थी तो लोगों के लिए यह एक नई खेती थी लोग इस और कम आकर्षित हो रहे थे लेकिन समय के साथ लोगों को इससे मिलने वाला आर्थिक लाभ, कम लागत और प्रदेश में सबसे बड़ी समस्या बन चुकी छुट्टा मवेशी से राहत मिल रही है।

किसानों ने बताया कि पहले पिपरमेंट को पिराने के लिए दूर दराज जाना पड़ता था लेकिन अब हरदोई में ही कई स्थान पर पिराई हो जाती है। किसानों ने बताया कि इस फसल की बुवाई के लिए बलुई, दोमट,मटियार दोमट मिट्टी अच्छी होती है। खेत समतल होना चाहिए। किसानों ने बताया कि फसल की पौध 15 जनवरी से 15 फरवरी के मध्य तैयार की जाती हैं मार्च से अप्रैल के प्रथम सप्ताह तक पौधे रोपित किए जाते हैं। पौधों को लगाने के लिए 45 से 60 सेंटीमीटर लाइन से लाइन की दूरी और 15 सेंटीमीटर पौधे की दूरी रखनी चाहिए।

अच्छी फसल के लिए करे इनका प्रयोग

पिपरमेंट की खेती में पड़ने वाली खाद्य का मात्रा में प्रयोग होता है।पिपरमेंट की उपज अच्छी हो इसके लिए प्रति हेक्टेयर 120 से 150 किलोग्राम नाइट्रोजन 50 से 60 किलोग्राम फास्फोरस 40 किलोग्राम पोटाश 20 किलोग्राम जिंक सल्फेट का प्रयोग किया जाना चाहिए यदि पौधे पर दीमक लगे तो उसे पर क्लोरपायरीफास 4 से 5 लीटर प्रति हेक्टेयर सिंचाई के पानी के साथ प्रयोग किया जाता है। पिपरमेंट फसल की कटाई दो बार की जाती है पहले कटाई करीब 100 से 120 दिन और दूसरे कटाई 70 से 80 दिन बाद करनी चाहिए।

पिपरमेंट कटिंग को 2 से 3 घंटे तक खुली धूप में सुखना चाहिए इसके बाद अवसाद विधि तेल तैयार किया जाता है। प्रति हेक्टेयर 125 से 150 किलोग्राम तेल निकलता है। किसानों ने बताया कि पिपरमेंट तेल की मांग लखनऊ कानपुर आदि जनपदों की मंडी में रहती है। प्रति लीटर की कीमत औसतन 1000 से ₹1500 तक होती है। फसल की कटिंग के बाद पिपरमिंट पेड़ की जड़ भी बाजार में मांगी जाती है और 30 से ₹50 प्रति किलोग्राम के हिसाब से बिक जाती है। जड़ से नई पौध तैयार की जाती है। किसानों ने बताया कि पिपरमेंट की खेती कर प्रतिवर्ष लाखों रुपए का मुनाफा कमा रहे हैं।

Shishumanjali kharwar

Shishumanjali kharwar

कंटेंट राइटर

मीडिया क्षेत्र में 12 साल से ज्यादा कार्य करने का अनुभव। इस दौरान विभिन्न अखबारों में उप संपादक और एक न्यूज पोर्टल में कंटेंट राइटर के पद पर कार्य किया। वर्तमान में प्रतिष्ठित न्यूज पोर्टल ‘न्यूजट्रैक’ में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं।

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