Hardoi: जिम्मेदारों की अनदेखी की भेंट चढ़ा हरदोई मेडिकल कॉलेज, कहीं टेक्नीशियन नहीं तो कहीं मशीन खराब

Hardoi: मेडिकल कॉलेज खुलने के बाद से लगातार अब व्यवस्थाओं से घिरा हुआ है कभी एक्स-रे मशीन खराब तो कभी अल्ट्रासाउंड तो कभी ब्लड टेस्ट की मशीन खराब हो जाती है।

Pulkit Sharma
Published on: 24 Oct 2024 9:30 AM GMT
Hardoi News
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जिम्मेदारों की अनदेखी की भेंट चढ़ा हरदोई मेडिकल कॉलेज (न्यूजट्रैक)

Hardoi News: जिले में मेडिकल कॉलेज खुलने के बाद लोगों को उम्मीद थी की अब उन्हें जनपद में ही बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हो जायेंगी साथ ही उनकी जेब पर पढ़ने वाला आर्थिक बोझ भी काम हो जाएगा। हरदोई में मेडिकल कॉलेज तो खुला लेकिन मरीज व उनके तीमारदारों की समस्या दूर ना हो सकी। मेडिकल कॉलेज खुलने के बाद से लगातार अब व्यवस्थाओं से घिरा हुआ है कभी एक्स-रे मशीन खराब तो कभी अल्ट्रासाउंड तो कभी ब्लड टेस्ट की मशीन खराब हो जाती है। आए दिन उपकरणों के खराब होने से मरीज और उनके दिमागदारों को जहां असुविधा का सामना करना पड़ता है वहीं आर्थिक बोझ भी मरीजों पर बढ़ जाता है।

मरीजों को मेडिकल कॉलेज होने के बाद भी बाहर से जांच करानी पड़ रही है। हरदोई के प्रभारी मंत्री असीम अरुण ने निरीक्षण कर व्यवस्थाओं को जायजा लिया था और अव्यवस्थाओं पर नाराजगी जाहिर करते हुए शीघ्र ही सभी व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के निर्देश दिए थे लेकिन प्रभारी मंत्री के निर्देश भी हरदोई मेडिकल कॉलेज में हवा हवाई हो गए। आए दिन किसी न किसी उपकरण के खराब हो जाने से मरीज को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। हरदोई मेडिकल कॉलेज में अल्ट्रासाउंड की सुविधा केवल सफेद हाथी साबित हो रही है। पुरुष चिकित्सालय में मशीन है लेकिन टेक्नीशियन नहीं जबकि महिला चिकित्सालय में भी अल्ट्रासाउंड मरीजों के नहीं हो पा रहे हैं।

बाजार में 500 से लेकर 1500 में हो रहा अल्ट्रासाउंड

हरदोई मेडिकल कॉलेज में कभी मशीन खराब तो कभी टेक्नीशियन और डॉक्टरों की कमी बनी हुई है। आलम यह है कि मेडिकल कॉलेज में पुरुष चिकित्सालय में मशीन तो लगी है अल्ट्रासाउंड के लिए लेकिन वहां कोई भी टेक्नीशियन उपलब्ध नहीं है जबकि महिला चिकित्सालय में अल्ट्रासाउंड नहीं हो पाते हैं। चिकित्सक के मेडिकोलीगल के मामले में व्यस्त रहने के कारण गर्भवती महिलाओं को निजी पैथोलॉजी की दौड़ लगाने पड़ जाती है। एक टेक्नीशियन के हवाले कई जनपद हैं ऐसे में मेडिकोलीगल के मामले सभी जनपदों में देखने पड़ रहे हैं जिसके चलते हरदोई मेडिकल कॉलेज में टेक्नीशियन समय नहीं दे पा रहा है।

जनपद के जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की अनदेखी के चलते जनपद में स्वास्थ्य सेवाएं दम तोड़ती नजर आ रहे हैं। आलम यह है कि स्वास्थ्य मंत्री का गृह जनपद होने के बाद भी स्वास्थ्य से जुड़ी सेवाओं पर अवस्थाएं हावी हैं। हरदोई मेडिकल कॉलेज खुले हुए काफी समय बीत गया लेकिन आज तक पुरुष चिकित्सालय में अल्ट्रासाउंड के लिए किसी भी टेक्नीशियन की भर्ती नहीं हुई जबकि महिला चिकित्सालय में अल्ट्रासाउंड के लिए डॉक्टर अरुण कुमार को जिम्मेदारी दी गई लेकिन वह सिर्फ मेडिकोलीगल के अल्ट्रासाउंड तक ही सीमित रह गए हैं।

महिला चिकित्सालय में महिलाओं को अल्ट्रासाउंड के लिए काफी लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ती है लेकिन बाद में उन्हें बिना अल्ट्रासाउंड बिना कराये ही वापस लौटना पड़ता है या फिर महिलाओं को निजी पैथोलॉजी की दौड़ लगानी पड़ रही है। बाहर से अल्ट्रासाउंड कराने पर एक बार में ₹500 लिए जाते हैं जबकि कई मामलों में यह कीमत ₹1500 तक चली जाती है। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य है डॉक्टर आर्य देश दीपक तिवारी ने बताया कि अल्ट्रासाउंड मशीन तो दोनों जगह है लेकिन शासन स्तर से ही पुरुष चिकित्सालय में चिकित्सक और टेक्नीशियन नहीं दिए गए हैं और महिला चिकित्सालय के चिकित्सक पर मेडिकोलीगल का भी भार है। इनको दूसरे जिलों में भी जाना पड़ता है इस वजह से समस्याएं आ रही हैं।

Shishumanjali kharwar

Shishumanjali kharwar

कंटेंट राइटर

मीडिया क्षेत्र में 12 साल से ज्यादा कार्य करने का अनुभव। इस दौरान विभिन्न अखबारों में उप संपादक और एक न्यूज पोर्टल में कंटेंट राइटर के पद पर कार्य किया। वर्तमान में प्रतिष्ठित न्यूज पोर्टल ‘न्यूजट्रैक’ में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं।

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