TRENDING TAGS :
टीन शेड में अस्पताल, छप्पर में मरीजों का इलाज, लोगों की जान के साथ खिलवाड़
Hardoi: जनपद के कछौना कस्बे में फौजी हॉस्पिटल के नाम से एक अस्पताल संचालित है। इस अस्पताल में कैंसर तक का इलाज करने का दावा किया जा रहा है लेकिन हकीकत अस्पताल की बिल्कुल उलट है।
Hardoi News: जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था लगातार राम भरोसे हैं। अस्पतालों में लगातार लापरवाही से मरीजों की मौत के मामले सामने आ रहे हैं। अभी कुछ दिन पूर्व ही एक गर्भवती महिला की मौत के मामले में जिला प्रशासन द्वारा कार्रवाई की गई थी। हरदोई में लगातार गर्भवती महिलाओं के जीवन से अस्पताल खिलवाड़ कर रहे हैं। जनपद में गांव से लेकर क़स्बां में अवैध अस्पताल की भरमार हो गई है। डॉक्टर के पास एमबीबीएस की डिग्री तक नहीं है और ना ही इलाज की समुचित व्यवस्था लेकिन बोर्ड पर शायद ही कोई बीमारी ऐसी हो जिसका इलाज डॉक्टर ना करते हो।
ऐसे ही एक नया मामला हरदोई जनपद से सामने आया है जहां इलाज कैंसर तक का लिखा हुआ है लेकिन अस्पताल टीन शेड और छप्पर में चल रहा है। ऐसे में इस अस्पताल में मरीजों की जान कितनी बच सकती होगी यह साफ समझ जा सकता है। हरदोई का शायद ही कोई कस्बा ऐसा हो जहां अवैध अस्पताल संचालित न हो रहे हो। इन अस्पतालों पर कार्रवाई तब होती है जब इन अस्पतालों पर गंभीर आरोप लग जाते हैं और यह अस्पताल लोगों की जान के साथ खेल जाते हैं।
कछौना में हो रहा लोगों की जान के साथ खिलवाड़
हरदोई जनपद के कछौना कस्बे में फौजी हॉस्पिटल के नाम से एक अस्पताल संचालित है। इस अस्पताल में कैंसर तक का इलाज करने का दावा किया जा रहा है लेकिन हकीकत अस्पताल की बिल्कुल उलट है। यह अस्पताल थोड़ा सड़क से हटकर अंदर गली में है। अस्पताल पहली नजर में कॉटेज के रूप में नजर आता है। यह अस्पताल एक ढाबे के पीछे संचालित है तो ऐसा लगता है कि ढाबे के कॉटेज बने हुए हैं लेकिन जब नजदीक जाओ तो पता चलता है कि यह कॉटेज नहीं अस्पताल है और यहां इन कॉटेज में मरीजों का उपचार किया जा रहा है। हैरत की बात तो यह है कि यह फौजी अस्पताल हरदोई लखनऊ राजमार्ग पर स्थित है और इस मार्ग से कई मंत्री विधायक के साथ अधिकारियों का आवागमन होता है लेकिन किसी की भी नजर इस अस्पताल पर नहीं पड़ी है।
फौजी अस्पताल की हकीकत यह है कि एक अर्धनिर्मित इमारत है। छत की जगह टीन शेड है और बाहर अस्पताल का बोर्ड लगा है। छप्पर के नीचे मरीजों का उपचार होता है। सबसे हैरत की बात तो यह है कि फौजी अस्पताल स्वास्थ्य महकमे में पंजीकृत भी है। फौजी अस्पताल में उन्नाव जनपद के जहांगीराबाद इलाके के कमलापुर निवासी पूनम ने बताया कि डॉक्टर के मुताबिक उसे कैंसर बताया गया है। महीने में लगभग ₹40000 खर्च होने की बात कही है। कछौना कोतवाली क्षेत्र के बक्सा खेड़ा निवासी गोकरण के परिजनों के मुताबिक सिर में कैंसर है। चार माह से इलाज चल रहा है। वह भी छप्पर के नीचे बेड पर।
अस्पताल के सारे मानकों को ताक पर रखकर इसे संचालित किया जा रहा है। खैर इन सब बातों का जिम्मेदारों पर कोई असर नहीं पड़ता है ना ही कभी जिम्मेदार अस्पतालों की जांच करने के लिए पहुंचते हैं जो उन्हें अस्पतालों की हकीकत पता चल सके। फौजी अस्पताल में न ही अग्निशमन की कोई व्यवस्था है और ना ही पक्की दीवार हैं। अस्पताल में भर्ती मरीजों की जान के साथ लगातार खिलवाड़ किया जा रहा है।
इस मामले में फौजी अस्पताल के संचालक डॉक्टर एसके पासवान ने कहा कि जो सुविधाएं हैं। उसी के हिसाब से इलाज किया जा रहा है। टीन शेड में गर्मी थी इसलिए मरीज को झोपड़ी छप्पर में शिफ्ट किया गया है। जब सीएमओ डॉक्टर रोहतास कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि टीन शेड के नीचे अस्पताल और छप्पर के नीचे वार्ड नहीं संचालित किया जा सकता है। यह बिल्कुल गलत है। अगर ऐसा है तो पंजीकरण निरस्त किया जाएगा। यह भी देखा जाएगा कि पंजीकरण के समय कौन मौके का निरीक्षण करने गया था। लापरवाही करने वाले अफसर के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।