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Hardoi News: आरक्षी ने किया कुछ ऐसा कि अब हो रही है जमकर तारीफ़, पूर्व पुलिस अधीक्षक भी दे चुके है इनाम
Hardoi News: आरक्षी सुरेश सबलोक ने कैद में पक्षियों को खरीद कर उन्हें आजाद करने का कार्य किया। उनके इस कार्य से वहां मौजूद लोगों ने उनकी जमकर सराहना भी की साथ ही सोशल मीडिया पर भी उनकी फोटो व वीडियो को जमकर वायरल किया।
Hardoi News: हरदोई में तैनात एक सिपाही पर एक बैंक कर्मी को बेरहमी में से मारपीट के आरोप लगे थे। जिसके बाद लोगों ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा था की कहां गई मित्र पुलिस। इसके साथ ही पुलिस पर लगातार कई आरोप लगते रहते हैं। हालांकि, अधिकारी पुलिस को मानवता व इंसानियत का पाठ भी पढ़ाते रहते हैं। लेकिन चंद पुलिसकर्मियों के चलते महकमा पूरी तरह से बदनाम हो चुका है। लेकिन, जब कोई सिपाही अच्छा कार्य करता है तो महकमें के साथ-साथ सिपाही की भी जमकर तारीफ होती है। ऐसा ही एक बार फिर कुछ कर दिखाया है पीआरबी पर चलने वाले आरक्षी सुरेश सबलोक ने।
आरक्षी सबलोक ने कैद में पक्षियों को खरीद कर उन्हें आजाद करने का कार्य किया। उनके इस कार्य से वहां मौजूद लोगों ने उनकी जमकर सराहना भी की साथ ही सोशल मीडिया पर भी उनकी फोटो व वीडियो को जमकर वायरल किया। फोटो वीडियो वायरल होने के बाद पीआरवी पर तैनात सुरेश सबलोक की पूरे जनपद में जमकर प्रशंसा हो रही है। सुरेश इससे पहले भी पंछियों को आजाद करने का कार्य कर चुके हैं।
पिंजरे में बंद तोतों को देख पसीजा दिल
शहर कोतवाली के पीआरवी 112 की गाड़ी संख्या 2711 पर आरक्षी पद पर कार्यरत सुरेश सबलोक क्षेत्र में गश्त कर रहे थे कि तभी सिनेमा चौराहे से बड़े चौराहे वाले मार्ग पर एक वृद्ध उन्हें पिंजरे में कई सारे पक्षी बेचता हुआ नजर आया। सुरेश ने गाड़ी को रुकवा कर वृद्ध से सारे पक्षी खरीद कर मौके पर ही उन्हें आजाद कर दिया। सुरेश का कहना है कि सभी को आजाद रहने का पूरा अधिकार है। सुरेश बताते हैं कि बेजुबानों की सेवा करना मानवीय अधिकार है और वह शुरू से ही इन कार्यों में रुचि रखते थे।
आरक्षी सुरेश ने बताया कि वह समय-समय पर गौशाला में चारा पहुंचना व बेजुबानों को खाना खिलाने का भी कार्य करते रहते हैं। सुरेश सबलोक बताते हैं कि वह अपने वेतन से कुछ अंश प्रत्येक माह बेजनवानों की सेवा के लिए निकालते हैं। सुरेश सबलोक के इन्हीं कार्यों से प्रसन्न होकर पूर्व पुलिस अधीक्षक राजेश द्विवेदी ने उन्हें 10000 का नगद पुरस्कार भी दिया था।