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इतिहास गवाह है : जिस पार्टी के प्रत्याशी ने हस्तिनापुर सीट पर झंडा गाड़ा, प्रदेश में रहा उसी पार्टी का बोलबाला
आज भी हस्तिनापुर सीट ने अपना जलवा बरकरार रखा है। इस सीट पर जीतने वाला ही सूबे की सरकार को तय करता है। इस बार हस्तिनापुर सीट से बीजेपी के दिनेश खटीक ने जीत हासिल की है।
मेरठ: आज भी हस्तिनापुर सीट ने अपना जलवा बरकरार रखा है। इस सीट पर जीतने वाला ही सूबे की सरकार को तय करता है। इस बार हस्तिनापुर सीट से बीजेपी के दिनेश खटीक ने जीत हासिल की है।
हस्तिनापुर सीट पर थी सबकी नजर
-इस सीट की खास बात यह है कि जिस भी पार्टी का प्रत्याशी यहां जीतता है उसके हाथ में सूबे की सरकार होती है।
-यहां बीजेपी के दिनेश खटीक ने बीएसपी के योगेश वर्मा को हराया है।
-पिछले विधानसभा चुनाव की बात करे तो यहां 2007-2012 के बीच बीएसपीपार्टी के विधायक थे और बहुजन समाज वादी की सरकार बनी थी।
-2012 विधानसभा चुनाव में सपा के प्रभुदयाल वाल्मीकि ने बाजी मारी थी और सरकार सपा की बनी थी।
-वहीं 1957-1967 के बीच में हस्तिनापुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा तो कांग्रेस की सरकार रही।
-1977-1980 के बीच में जनता पार्टी के कैंडिडेटस ने जीत दर्ज की और पार्टी की पहली बार सरकार बनी थी।
-हस्तिनापुर सीट पर इस बार भी दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला। यहां इस बार भाजपा से दिनेश खटीक विजयी बने।
-उन्होने बीएसपी के योगेश वर्मा को 36,045 मतों से हराया।
ये है इतिहास
-2017—दिनेश खटीक—बीजेपी
-2012— प्रभुदयाल वाल्मीकि—सपा
-2007— योगेश वर्मा—बसपा
-1996—अतुल कुमार—निर्दलीय
-1989—झग्गर सिंह—जनता दल
-1985—हरशरण सिंह—कांग्रेस
-1980—झग्गर सिंह—कांग्रेस
-1977—रेवती शरण मोर्य—जनता पार्टी
-1974—रेवती शरण मौर्य—कांग्रेस
-1969—आशाराम इंदू—भारतीय क्रांति दल
हस्तिनापुर का इतिहास
-हस्तिनापुर कुरू वंश राजाओं की राजधानी थी।
-महाग्रंथ महाभारत में वर्णित घटनाएं हस्तिनापुर में घटी घटनाओं पर आधारित है।
-यहां मुगल शासक बाबर ने भारत पर आक्रमण के दौरान हमला किया था।
-वहां के मंदिरों पर तोपों से बमबारी की थी। और मुगलकाल में हस्तिनपुर में चारों ओर कई मंदिरों का निर्माण किया।