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Hathras Lok Sabha Constituency: हाथरस लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र
Hathras Lok Sabha Constituency: हाथरस सीट पर इस बार समाजवादी पार्टी ने जसवीर वाल्मीकि को उतारा है जबकि बसपा ने हेमबाबू धनगर को टिकट दिया है। भाजपा ने इस बार अनूप वाल्मीकि को मैदान में उतारा है।
Hathras Lok Sabha Constituency: हाथरस का इतिहास महाभारत और हिन्दू धर्मकथाओं से जुड़ा हुआ है। यह एक ऐसा स्थान है जहां परजाट, कुषाण, गुप्ता और मराठा, सबका शासन रहा है। हाथरस का इतिहास 18वीं सदी में भूरि सिंह के शासनकाल के बाद से शुरू होता है जब उनके पुत्र राजा देवराम को साल 1775 में ताज पहनाया गया था। हिंदुओं, बौद्ध और जैन संस्कृति के पुरातत्व अवशेषों के साथ-साथ गुप्त, सुंग और कुषाणकाल के दौर की कई चीजें मिली हैं
इस बार कौन मैदान में?
हाथरस सीट पर इस बार समाजवादी पार्टी ने जसवीर वाल्मीकि को उतारा है जबकि बसपा ने हेमबाबू धनगर को टिकट दिया है। भाजपा ने इस बार अनूप वाल्मीकि को मैदान में उतारा है। वर्तमान सांसद राजवीर सिंह दिलेर की अचानक हार्ट अटैक ने निधन हो गया है। उन्हें भाजपा ने इस बार टिकट नहीं दिया था।
- तीर्थधाम मंगलायतन यहां का प्रमुख पर्यटन स्थल है।
- हाथरस जिला अपनी हींग और रंग-गुलाल की वजह से दुनियाभर में मशहूर है।
- 1997 में 3 मई को अलीगढ़ और मथुरा की कुछ तहसीलों को हाथरस तहसील में मिलाकर एक नया जिला बनाने की घोषणा की गई। यह जिला बृज क्षेत्र में आता है।
- हाथरस जिले में दक्षिण-पश्चिमी दिशा में 19वीं शताब्दी में बने एक दुर्ग के भग्नावशेष विद्यमान हैं। यहाँ के भगवान बालम मंदिर में हर साल लख्खी मेला मनाया जाता है।
- मायावती सरकार में हाथरस का नाम पहले गौतम बुद्ध की माता के नाम पर महामाया नगर रखा गया। फिर 2012 से इसे हाथरस कर दिया गया।
विधानसभा क्षेत्र
- हाथरस लोकसभा सीट के तहत पांच विधानसभा क्षेत्र हैं – छर्रा, इगलास, हाथरस (अनुसूचित जाति) , सादाबाद और सिकन्दाचराऊ।
पिछले चुनाव
- हाथरस सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।
- हाथरस सीट पर 1962 में पहली बार लोकसभा चुनाव हुए जिसमें कांग्रेस पार्टी ने जबरदस्त जीत दर्ज की थी। 1967 और 1971 में भी कांग्रेस ने परचम लहराया।
- 1977 में चली सत्ता विरोधी लहर में भारतीय लोक दल ने जीत दर्ज की।
- 1984 में कांग्रेस ने फिर वापसी की।
- 1989 में यह सीट जनता दल के खाते में चली गई।
- 1991 में आई रामलहर से ही ये सीट भारतीय जनता पार्टी का गढ़ रही है। 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में यहां बीजेपी ने एकतरफा जीत दर्ज की। बीजेपी के कृष्ण लाल दिलेर 1996 से 2004 तक सांसद रहे।
- 2009 में यहां राष्ट्रीय लोकदल के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की, तब रालोद-बीजेपी का गठबंधन था।
- 2014 में तो बीजेपी के राजेश कुमार दिवाकर ने यहां से प्रचंड जीत दर्ज की।
- बीजेपी के राजवीर सिंह दिलेर ने 2019 आम चुनाव में सपा के रामजी लाल सुमन को 2 लाख से ज्याकदा वोटों से हराया था।
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