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Hathras Stampede: वो अहम सवाल, जिससे बचती दिखी यूपी पुलिस
Hathras Stampede: लेकिन यहां सबसे बड़ा और अहम सवाल यह उठ रहा है कि कहीं भी पुलिस की एफआईआर में भोले बाबा का जिक्र नहीं है। यहां तक कि बाबा से पुलिस ने अभी तक इस मामले में कोई पूछताछ भी नहीं की है।
Hathras Stampede Photo- Newstrack
Hathras Stampede: हाथरस हादसे में 121 लोगों ने अपनी जान गंवा दी। इस दिल दहला देने वाले हादसे के बाद यूपी पुलिस अब इसके गुनाहगारों की धर पकड़ में जुटी है। दो जुलाई को हुए इस हादसे के दो दिन बाद गुरुवार को उत्तर प्रदेश पुलिस ने दो महिलाओं सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया है। वहीं शुक्रवार को हादसे के मुख्य आरोपी मधुकर को भी एसआईटी ने दिल्ली से अरेस्ट कर लिया। अब सात लोगों को अरेस्ट किया जा चुका है।
लेकिन यहां सबसे बड़ा और अहम सवाल यह उठ रहा है कि कहीं भी पुलिस की एफआईआर में भोले बाबा का जिक्र नहीं है। यहां तक कि बाबा से पुलिस ने अभी तक इस मामले में कोई पूछताछ भी नहीं की है। पूर्व डीजीपी, उत्तर प्रदेश विक्रम सिंह भी सवाल करते हुए कहते हैं कि बाबा का नाम बाद में क्यों आएगा? सत्संग करवाने वाली समिति किसकी थी? ये समिति बाबा की थी। बाबा का नाम एफआईआर में ना देना, यह दिखाता है कि उनके प्रति उदार दृष्टिकोण अपनाया गया है, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए था।
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हादसे में 121 लोगों की हो गई थी मौत
दो जुलाई को हाथरस के सिकन्द्राराऊ इलाके में एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान भगदड़ मचने से 121 लोगों की जान चल गई थी।इस मामले में पुलिस ने जिन लोगों को गिरफ्तार किया है, वो उस समिति का हिस्सा थे जिसने सूरज पाल जाटव यानी नारायण साकार उर्फ़ ‘भोले बाबा’ का सत्संग आयोजित किया था। हादसे का मुख्य अभियुक्त और कार्यक्रम के आयोजक देवप्रकाश मधुकर को भी यूपी पुलिस ने शुक्रवार को दिल्ली से अरेस्ट कर लिया। मधुकर की जानकारी देने वाले को पुलिस ने एक लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा भी की थी।लेकिन कहीं भी एफआईआर में भोले बाबा का जिक्र नहीं है। यहां तक कि उनसे पुलिस ने अभी तक कोई पूछताछ भी नहीं की है।
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बाबा का नाम क्यों नहीं?
गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पत्रकारों ने कई बार अलीगढ़ के आईजी शलभ माथुर से एक ही सवाल किया। वह सवाल था कि सत्संग में प्रवचन देने वाले भोले बाबा का नाम एफआईआर में क्यों नहीं है? क्यों उन्हें नामजद अभियुक्त नहीं बनाया गया है। जवाब में शलभ माथुर ने कहा कि भगदड़ की स्थिति जब हुई तो आयोजनकर्ता मौके से भाग गए थे। उन्होंने कहा कि आयोजन की जिम्मेदारी आयोजनकर्ताओं की थी, इसलिए उनकी जिम्मेदारी फ्रेम करते हुए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
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जरूरत पडे़गी तो पूछताछ की जाएगी
शलभ माथुर ने कहा कि फिलहाल बाबा से पूछताछ नहीं हुई है और अगर विवेचना में किसी का भी रोल निकल कर सामने आता है तो उसकी जांच की जाएगी। उन्होंने कहा, अगर जरूरत पड़ेगी तो पूछताछ की जाएगी। बाबा का रोल है या नहीं। अभी इस पर बात करना जल्दबाजी होगी। एफआईआर के अंदर उनका नाम नहीं है। एफआईआर में जिम्मेदारी आयोजक की होती है। आयोजक की जिम्मेदारी फ्रेम करते हुए उनका नाम डाला गया है।यहां यह साफ तौर पर देखा जा सकता है कि पुलिस ने हाथरस हादसे के लिए आयोजकों और सेवादारों को जिम्मेदार बताया और बाबा की भूमिका पर बात करने से बचते नज़र आए।
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कौन हैं वे लोग जिन्हें पुलिस ने गिरफ्तार किया
पुलिस के मुताबिक, हाथरस में हुए सत्संग के लिए एक समिति ने परमिशन ली थी, जिसके मुखिया वेद प्रकाश मुधकर हैं। पुलिस ने मधुकर को शुक्रवार को दिल्ली से अरेस्ट कर लिया है। वह अपने परिवार के साथ फरार था। शलभ माथुर ने बताया कि जिन छह लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है वे सभी आयोजन समिति के सदस्य हैं और सेवादार के रूप में काम करते हैं।
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कौन-कौन हुए गिरफ्तार,- पांच पुरुष, दो महिलाएं-
- वेद प्रकाश मुधकर,
-राम लड़ैते पुत्र रहबारी सिंह यादव, मैनपुरी
-उपेंद्र सिंह यादव पुत्र रामेश्वर सिंह, फिरोजाबाद
-मेघसिंह पुत्र हुकुम सिंह, हाथरस
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-मंजू यादव पत्नी सुशील कुमार, हाथरस
-मुकेश कुमार पुत्र मोहर सिंह, हाथरस
-मंजू देवी पत्नी किशन कुमार यादव, हाथरस
शलभ माथुर ने बताया कि गिरफ्तार किए ये लोग पहले भी कई आयोजनों में हिस्सा ले चुके हैं।
यह काम होता है इनके जिम्मे-
उनके मुताबिक- आयोजक और इनकी सत्संग कमेटी भीड़ को एकत्र करती है, चंदा जमा करने से लेकर बेरिकेडिंग के ज़रिए भीड़ पर नियंत्रण करना, श्रद्धालुओं के लिए पंडाल, वाहनों की पार्किंग, कार्यक्रम स्थल पर बिजली, जेनरेटर और सफाई व्यवस्था जैसी चीजों की व्यवस्था करते हैं।पुलिस ने बताया कि सेवादारों ने ‘बाबा’ के चरणरज लेने के लिए भीड़ को अनियंत्रित छोड़ दिया, जिसके बाद महिलाएं और बच्चे एक-दूसरे के ऊपर गिर गए और इसके बाद सेवादार वहां से फरार हो गए।
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जानिए क्या कहते हैं यूपी के पूर्व डीजीपी
पूर्व डीजीपी, उत्तर प्रदेश विक्रम सिंह कहते हैं कि बाबा का नाम बाद में क्यों आएगा? सत्संग करवाने वाली समिति किसकी थी? ये समिति बाबा की थी। बाबा का नाम एफआईआर में ना देना, दिखाता है कि उनके प्रति उदार दृष्टिकोण अपनाया गया है, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए था।