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Hathras Satsang Hadsa: हादसे के बाद पूरी तरह लाचार दिखा तंत्र, अव्यवस्थाएं हावी, मेडिकल सुविधाओं के लिए तरस गए लोग
Hathras Satsang Hadsa: भीड़ प्रबंधन के प्रति इस लापरवाही के कारण इतनी ज्यादा संख्या में लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। इतना बड़ा हादसा होने के बाद प्रशासनिक तंत्र पूरी तरह लाचार दिखा।
Hathras Satsang Hadsa: हाथरस में मंगलवार को सत्संग के बाद हुई भगदड़ में 116 लोगों की मौत ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। मरने वालों में महिलाओं की संख्या सर्वाधिक है। मृतकों में 108 महिलाएं, 7 बच्चे और एक पुरुष शामिल हैं। हादसे में घायल हुए लोगों का विभिन्न अस्पतालों में इलाज किया जा रहा है। इस सत्संग में भारी भीड़ करने के बावजूद जिला प्रशासन पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई तैयारी नहीं की गई थी।
भीड़ प्रबंधन के प्रति इस लापरवाही के कारण इतनी ज्यादा संख्या में लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। इतना बड़ा हादसा होने के बाद प्रशासनिक तंत्र पूरी तरह लाचार दिखा। हादसे ने पुलिस, प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की कलई खोलकर रख दी है। एक लाख से अधिक की भीड़ इकट्ठा होने के बावजूद प्रशासन की ओर से की गई यह लापरवाही हैरान करने वाली है।
ऑक्सीजन और बिजली की बदहाल व्यवस्था
कार्यक्रम स्थल से लेकर ट्रॉमा सेंटर तक का अव्यवस्थाओं का पूरी तरह बोलबाला दिखा। भगदड़ के बाद प्रशासन और पुलिस अफसरों की ओर से व्यवस्था को संभालने की कोशिश की गई मगर इसका कोई ज्यादा असर नहीं दिख सका। अस्पताल में ऑक्सीजन और बिजली की व्यवस्था को दुरुस्त बनाने में अफसरों के पसीने छूट गए।
मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध कराने में भी प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग मुस्तैदी नहीं दिखा सका। प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की इस लापरवाही के कारण लोगों में काफी गुस्सा भी दिखा।
स्थानीय लोगों से मदद मांगने लगे अफसर
सिकंदरामऊ सीएचसी स्थित ट्रामा सेंटर पर घायलों को चिकित्सकीय सुविधा के मामले में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। ट्रॉमा सेंटर पर न तो ऑक्सीजन की पूरी व्यवस्था थी और न डॉक्टर और पैरा मेडिकल स्टाफ की। घायलों का कहना था कि अस्पताल में सिर्फ बोतल चढ़ाने की व्यवस्था है। लोगों को ऑक्सीजन तक मुहैया करने की सुविधा नहीं थी अस्पताल में पंखे भी नहीं चल रहे थे। जिलाधिकारी आशीष कुमार मौके पर पहुंचे तो उन्होंने सीएमओ और अन्य अफसरों को फोन मिलाए। इसके बावजूद व्यवस्था में ज्यादा सुधार नहीं हो सका। हालत यह थी कि अफसर खुद स्थानीय लोगों से पंखे और पानी की व्यवस्था करने के लिए मदद मांगते हुए दिखे।
सत्संग में पुलिस की मुकम्मल व्यवस्था नहीं
सत्संग में लोगों की भारी भीड़ उमड़ी थी मगर इस भीड़ को काबू में करने के लिए पुलिस की ओर से कोई बंदोबस्त नहीं किया गया था। इस आयोजन में 80 हजार लोगों के शामिल होने की अनुमति ली गई थी मगर जानकारों के मुताबिक एक लाख से अधिक लोग सत्संग में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे थे। सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात तो यह है कि इतनी भारी भीड़ को नियंत्रित करने और सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर महज 40 पुलिस कर्मियों की तैनाती की गई थी। पुलिस की ओर से बरती गई यह लापरवाही काफी भारी पड़ी।
भगदड़ के बाद लोग एक-दूसरे को कुचलते रहे मगर भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस की मुकम्मल व्यवस्था नहीं थी। इसी का नतीजा था कि इतनी ज्यादा संख्या में लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। माना जा रहा है कि हादसे के संबंध में रिपोर्ट मिलने के बाद कई अफसरों पर गाज गिर सकती है।
पूरी तरह फेल साबित हुआ खुफिया तंत्र
सत्संग की तैयारी पिछले 15 दिनों से चल रही थीं। पिछले 15 दिनों से सत्संग स्थल को तैयार करने और वहां पर साफ-सफाई का दौर चल रहा था। भोले बाबा के अनुयायी खुद मैदान को आकर साफ कर रहे थे। सत्संग के लिए भारी पंडाल तैयार किया गया था मगर खुफिया तंत्र सत्संग के लिए की जा रही इस जोरदार तैयारी से पूरी तरह अनजान बन रहा।
खुफिया तंत्र को इस सत्संग के दौरान इतनी भारी भीड़ उमड़ने के संबंध में कोई जानकारी ही नहीं थी और इस कारण भी पुलिस और प्रशासन की ओर से कोई तैयारी नहीं की गई थी।