Hathras Stampede: अव्यवस्थाओं का आलम, नाकाफी इंतजाम ने ली 121 लोगों की जान!

Hathras Stampede: पंडाल से लेकर अस्पताल तक हर जगह नाकाफी इंतजाम रहे। किसी अस्पताल में चिकित्सक नदारद तो कहीं ऑक्सीजन ही नहीं।

Sidheshwar Nath Pandey
Published on: 3 July 2024 4:50 AM GMT (Updated on: 3 July 2024 5:04 AM GMT)
Hathras Stampede News
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Hathras Stampede News (Pic: Social Media)

Hathras Stampede News: हाथरस के सिकंदराराऊ क्षेत्र में मंगलवार को सत्संग के दौरान मची भगदड़ में 121 से अधिक श्रद्धालुओं की मौत हो गई। जबकि सौ से अधिक लोग घायल हो गए। घटना के बाद प्रशासन और सत्संग में अव्यवस्थाओं का अंबार सामने आया। पंडाल से लेकर अस्पताल तक हर जगह नाकाफी इंतजाम रहे। किसी अस्पताल में चिकित्सक नदारद तो कहीं ऑक्सीजन ही नहीं। आलम ये रहा कि अस्पताल में बिजली और स्टाफ भी नहीं मिले। साथ ही पंडाल में सुरक्षा कर्मियों की संख्या काफी कम थी। मामले का सीएम योगी ने संज्ञान लिया है। आज सीएम हाथरस का दौरा भी करेंगे।

ट्रॉमा सेंटर में अव्यवस्थाओं का आलम

हादसे के लिए सिकंदराराऊ स्थित ट्रॉमा सेंटर में अव्यवस्था का मंजर दिखा। यहां चिकित्सक, स्टाफ और ऑक्सीजन तक नहीं थी। कराहते हुए घायल पहुंचते रहे और उपचार न मिलने से दम तोड़ते रहे। टॉमा सेंटर पर करीब 2.45 बजे शवों और बायलों को लाना शुरू हुआ। हालात ऐसे थे कि न मौके पर चिकित्सक थे और न ही पैरामेडिकल स्टाफ मौजूद था। बिजली तक नहीं थी। बदहवास हालत में पहुंचे बायलों को ऑक्सीजन की जरूरत थी, लेकिन वह भी नहीं मिली। बिजली न होने के कारण कमरों में पंखे बंद पड़े थे। कमरों में अंधेरा छाया था।

जेनरेटर में तेल भी नहीं

जेनरेटर में नहीं था तेल ट्रॉमा सेंटर और सीएचसी पर जेनरेटर है, लेकिन जब उसे चलाने की बात आई तो पता चला कि उसमें तेल ही नहीं है। देर शाम तक स्वास्थ्य विभाग व प्रशसनिक अमला जेनरेटर के लिए तेल तक इंतजाम नहीं कर सका और पूरे परिसर में अंधेरा छाया रहा। एंबुलेंस से आए घायलों को ऑक्सीजन के लिए सत्संग स्थल से साथ में आए परिजन व अन्य लोग अंदर कक्षों तक लेकर पहुंचे, लेकिन यहां तत्काल उपचार नहीं मिलने के कारण कई घायलों ने दम तोड़ दिया।

डीएम पहुंचे अस्पताल, डॉक्टर नदारद

डीएम आशीष कुमार मौके पर पहुंच गए लेकिन हाथरस से चिकित्सक और स्टॉफ मौके पर नहीं पहुंचा। डीएम ने मौके पर पहुंचकर स्थिति देखी तो उन्होंने नाराजगी जताई। सीएमओ से बात की तो उन्होंने बताया कि चिकित्सक निकल चुके हैं। करीब दो घंटे तक चिकित्सीय स्टॉफ मौके पर नहीं पहुंच सका। आलम यह रहा कि घायलों को उपचार के लिए रेफर करना शुरू कर दिया गया

80 हजार की परमिशन, पहुंचे डेढ़ लाख से ज्यादा

आयोजकों ने सत्संग के लिए 80,000 लोगों की अनुमति मांगी थी। मगर सत्संग में आने वालों की संख्या इसकी दोगुनी हो गई। मंगलवार को करीब 50 हजार से ज्यादा लोग सत्संग में पहुंचे। सत्संग में श्रद्धालुओं की संख्या ढाई लाख के पार पहुंच गई। मगर इसके अनुकूल सुरक्षा और अन्य व्यवस्था नहीं की गई। आयोजकों के साथ साथ प्रशासन ने इस बात पर गौर न करके लापरवाही की। जानकारी के अनुसार आयोजकों द्वारा दी गई चिट्ठी में आने वालों श्रद्धालुओं की गिनती नहीं बताई गई थी। इसके बाद भी प्रशासन ने अनुमति दे दी। पुलिस को बताया गया कि 80 हजार लोग आने वाले हैं। इतनी भीड़ के लिए आयोजकों ने क्या प्रबंध किया है इस बात की जानकारी प्रशासन ने नहीं ली।

प्रशासन ने नहीं ली व्यवस्थाओं की जानकारी

मानव मंगल मिलन सदभावना समिति की ओर से इस सत्संग का आयोजन किया गया था। इसके साथ 26 आयोजक शामिल हैं। हाथरस के साथ ही अन्य जिलों में सत्संग के पोस्टर लगे हैं। इनमें सभी 26 लोगों के नाम मौजूद हैं। सत्संग के लिए आयोजक एवं प्रभारी इंजीनियर देव प्रकाश मधुकर ने तहसील प्रशासन से महज आठ दिन पहले अनुमति मांगी थी। प्रशासन ने इन्हें अनुमति दे भी दी। किसी भी कार्यक्रम के लिए थाना प्रभारी और चौकी इंचार्ज से लेकर बीट सिपाही की रिपोर्ट मांगी जाती है। सभी ने रिपोर्ट दी मगर किसी ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि जब लाखों की भीड़ आएगी तो उसको नियंत्रित करने के लिए आयोजकों की ओर से क्या इंतजाम किया गया है। आयोजकों ने प्रशासन से खुद ही इंतजाम करने को कहा था। प्रशासन ने आंख बंद करके उनपर भरोसा किया और सारा जिम्मा आयोजकों पर छोड़ दिया। यही लापरवाही हादसे की वजह बनी।

पंडाल में भी नहीं थी उचित व्यवस्था

किसी भी आयोजन में बहुत सारी चीज जरुरी होती हैं जो भोले बाबा की सत्संग के दौरान नहीं थी। इसी वजह से लोगों में भगदड़ मची।

  • पहले एग्जिट और एंट्री पॉइंट नहीं बनाया गया।
  • इमरजेंसी रास्ता नहीं बनाया गया।
  • मौके पर मेडिकल टीम नहीं थी।
  • कम से कम पांच एंबुलेंस होनी चाहिए थी वह नहीं थी।
  • भीड़ के हिसाब से कूलर और पंखे की व्यवस्था नहीं थी।
  • वालंटियर नहीं थे, सारा जिम्मा सेवादारों के पास था।
  • प्रशासन की तरफ से फोर्स भी कम लगाई गई थी ।
  • खाने पीने का उचित इंतजाम नहीं था।
  • जिस रास्ते से बाबा का काफिला गुजरा उसे पर कोई बैरिकेडिंग नहीं थी।
  • सभा में d नहीं बना था जिससे पब्लिक दौड़ने लगी और भगदड़ हुआ।
  • पुलिस रिपोर्ट में भी इन सब चीजों का जिक्र नहीं है।
  • पूरे मैदान को समतल करके कम से कम 10 एकड़ जगह को बराबर करना था जो नहीं किया गया।
  • मैदान के चारों तरफ आने-जाने के रास्ते बनने थे वह नहीं बनाए गए।
Sidheshwar Nath Pandey

Sidheshwar Nath Pandey

Content Writer

मेरा नाम सिद्धेश्वर नाथ पांडे है। मैंने इलाहाबाद विश्विद्यालय से मीडिया स्टडीज से स्नातक की पढ़ाई की है। फ्रीलांस राइटिंग में करीब एक साल के अनुभव के साथ अभी मैं NewsTrack में हिंदी कंटेंट राइटर के रूप में काम करता हूं। पत्रकारिता के अलावा किताबें पढ़ना और घूमना मेरी हॉबी हैं।

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